शनिवार, 7 मई 2022

कला का इतिहास, प्राक मौर्य काल (History of Art, Pre-Mauryan period) Online Class Notes:- 06-05-2022.

प्राक मौर्य काल 


 कौशांबी का घोषित राम विहार 

चौकोर वास्तु योजना:-  भगवान बुद्ध एवं उनके अनुयायियों के आवास हेतु घोषित राम व्यपारी ने इसका निर्माण किया। यह उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में स्थित है। यहां से एक चैत्य भी प्राप्त हुआ है एवं सप्त दल कमल के समान दीपक प्राप्त हुआ है।


      भगवान बुद्ध के मौर्य काल से पहले बने 08 स्तूप 


  1. पिपराहावा 
  2. कपिलवस्तु 
  3. वैशाली 
  4. पाटलिपुत्र 
  5. रामग्रह (जनता के विरोध की वजह से अशोक ने इसका उत्खनन कार्य नहीं करा पाया)
  6. बेदिपावा
  7. कुशीनगर/कश्या
  8. राजगृह

मौर्य काल
325/22 - 184 ई० पू०


      इसके संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य थे इन्होंने नन्दवंश के शासक धनानन्द को पराजित कर मौर्य वंश की स्थापना/नीव रखी।

     चंद्रगुप्त मौर्य जैन धर्म स्वीकार कर लिए थे भद्रबाहु इनके जैनी गुरु थे 

  • कल्पसूत्र के रचयिता भद्रबाहु हैं। 

     चंद्रगुप्त के एक और गुरु एवं उनके महामंत्री चाणक्य थे। चंद्रगुप्त के पुत्र बिंदुसार एवं के पुत्र अशोक हुए।

चाणक्य जिनको विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता हैं इन्होंने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक की रचना की। यह पुस्तक अपने नाम के विपरीत एक राजनीति-शास्त्र हैं।

अशोक 
272-223 ई०पू०


अशोक की माता का नाम :- शुभद्रागी 
अशोक की पिता का नाम :- बिन्दुसार

        इन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था। उनके शासन के 14वें वर्ष कलिंग पर युद्ध हुआ था। इसे कलिंग-युद्ध भी कहा जाता है। कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक ने अपने तलवार को म्यान में रख लेता है। बौद्ध धर्म धारण करने के उपरांत उसने उसका प्रचार-प्रसार शुरू किया 

      धर्म को पाली भाषा में धम्म बोला जाता है। बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए इसने अपने पुत्र एवं पुत्री को श्रीलंका भेजा।

  • मास्की तथा गुर्जरा अभिलेख में अशोक का वास्तविक नाम अशोक बताया गया है। 
  • भारत में शिलालेखों का प्रचलन अशोक ने करवाया।
अशोक ने अपने लेखों को चार लिपियों में अंकित करवाया।

  1. ब्राह्मी लिपि:- इसके अभिलेख भारत में ज्यादा मिले हैं। 
  2. ग्रीक लिपि:- अफगानिस्तान 
  3. खरोष्ठी लिपि:- पाकिस्तान का कुछ क्षेत्र  
  4. अरमाइक लिपि:- अफगानिस्तान 
अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम कैंथेलर ने 1750 ई० में खोजा था।

अशोक के अभिलेखों का पढ़ने का श्रेय जेम्स प्रिंसेप को जाता है। 1887 ई० में उन्होंने इसे पढ़ा था।

अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बांटा गया हैं:- 

  1. शिलालेख
  2. स्तंभ लेख (ब्राह्मी लिपि)
  3. गुहालेख
      इन सभी अभिलेखों का निर्माण चुनार के लाल बलुआ पत्थर से किया जाता था। स्तंभों का वजन 50 टन और ऊंचाई 35-50 Fit. होती थी। इन चट्टानों पर एक विशेष प्रकार की पॉलिसी की जाती थी जिसे मौर्यकालीन पॉलिश कहा जाता है।

Note:- फिरोज शाह कोटलक दिल्ली वाले स्तम्भ पर चार अन्य अशोक के स्तंभो के बारे में चर्चा है।

मौर्य कालीन स्तम्भ 




सारनाथ स्तंभ:- इसे नेशनल एंबलम कहा जाता है इस स्तम्भ को मौर्य काल का सबसे सर्वश्रेष्ठ स्तम्भ माना गया है। इसके शीर्ष पर चार सिंह चारों दिशा में उकड़ू मारे बैठे हैं। इनकी पीठ आपस में सटी है। सिंह के ऊपर एक विशेष प्रकार का चक्र बनाया गया था। जिसका व्यास लगभग 02 फीट 03 इंच था। इसमें 32 तीलियां थी। जिसके अवशेष आज सारनाथ संग्रहालय में रखा गया है।

        सारनाथ की चौकी पर चार अलग-अलग चारों दिशाओं में जानवर बने है, जिनका कुछ ना कुछ प्रतीक है। 

जैसे:- 

पूरब की ओर - हाथी चातुर्य और विचारशील 
पश्चिम की ओर - बैल भूमि की उर्वरता का प्रतीक है। 
दक्षिण की ओर - घोड़ा राज्य विस्तार का प्रतीक है। 
उत्तर की ओर सिंह शौर्य एवं निर्भरता का प्रतीक है

इन्ही जानवरों के बीच चक्र बने हुए है जिनमे 24 तीलियां हैं। जिसका प्रतिक प्रगती/गती हैं इस चक्र के निचे सत्यमेव जयते लिखा गया है जो कि मुंडक उपनिषद से लिया गया है। 

उपनिषदो की संख्या 108 है। 

सारनाथ का प्राचीन नाम:- मृगदाब, ऋषिपटनम था।

लुम्बनी स्तम्भ - नेपाल 
इसके शीर्ष पर घोड़े की आकृति है।  

लौरिया नंदनगढ़, चंपारण, बिहार 

इसके शीर्ष पर सिंह की आकृति है एवं चौकी पर उड़ते हुए राजहंस तथा  मोर को दिखाया गया है। 

बखीरा स्तंभ वैशाली बिहार 

इसके शीर्ष पर सिंह की आकृति बनाई गई है

रामपुरवा स्तंभ शीर्ष बिहार 

यहां से 02 स्तंभ मिले हैं प्रथम स्तंभ के  शीर्ष पर सिंह एवं दूसरे स्तंभ के शीर्ष पर बैल बना हुआ है 

रामपुरवा शीर्ष का बैल राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में रखा गया है

संकिशा फर्रुखाबाद यू.पी. 

इसके शीर्ष पर हाथी का अंकन है 

लौरिया अरेराज, बिहार 

इसके शीर्ष पर लेख उत्क्रीर्ण है 

धौली चट्टान उड़ीसा 

यहां पर हाथी की आकृति बनाई गई है।

रोमन देवी स्तम्भ 

यहां पर घोड़े की आकृति है। 


Pre-Mauryan period


 Kaushambi declared Ram Vihar

 Square Vastu Plan:- Ram Vyapari, declared for the residence of Lord Buddha and his followers, built it.  It is located in Kaushambi district of Uttar Pradesh.  A chaitya has also been received from here and a lamp like a seven-party lotus has been received.



 08 stupas built before the Mauryan period of Lord Buddha



(1) Piprahawa
(2) Kapilvastu
(3) Vaishali
(4) Patna
(5) Ramgraha (Ashoka could not get its excavation work done due to public opposition)
(6) Bedipawa
(7) Kushinagar/Kashya
 palace
(8) Rajagrih

 Mauryan period
 325/22 - 184 BC

 Its founder was Chandragupta Maurya, he established/founded the Maurya dynasty by defeating the ruler of Nanda dynasty, Dhananand.

 Chandragupta Maurya accepted Jainism, Bhadrabahu was his Jain guru.

 The author of Kalpasutra is Bhadrabahu.

 Another guru of Chandragupta and his great minister was Chanakya.  Chandragupta's son was Bindusara and his son was Ashoka.

 Chanakya, also known as Vishnugupta, wrote the book Arthashastra.  Contrary to its name, this book is a political science.

 Ashok
 272-223 BC

 Ashoka's mother's name :- Shubhdragi
 Ashoka's father's name :- Bindusara

 He had accepted Buddhism.  There was a war on Kalinga in the 14th year of his rule.  It is also called Kalinga-Yudh.  After the Kalinga war, Ashoka keeps his sword in its sheath.  After adopting Buddhism, he started spreading it.

 Dharma is called Dhamma in Pali language.  He sent his son and daughter to Sri Lanka to propagate Buddhism.

 Ashoka's real name is mentioned in Maski and Gurjara inscriptions.
 Ashoka got the inscriptions practiced in India.
 Ashoka got his writings inscribed in four scripts.

 Brahmi script:- Its inscriptions have been found more in India.
 Greek script:- Afghanistan
 Kharoshthi script:- Some areas of Pakistan
 Aramaic script:- Afghanistan
 The inscription of Ashoka was first discovered by Canthaler in 1750 AD.

 The credit of reading Ashoka's inscriptions goes to James Prinsep.  He read it in 1887.

 Ashoka's inscriptions are divided into three parts:-

 inscription
 Pillar inscription (Brahmi script)
 inscription
 All these inscriptions were made from the red sandstone of Chunar.  The weight of the pillars is 50 tons and the height is 35-50 ft.  There was  A special type of policy was done on these rocks, which is called Mauryan polish.

 Note:- There is a discussion about four other Ashoka pillars on the pillar of Firoz Shah Kotlak, Delhi.


 Mauryan Pillar
 


 Sarnath Pillar:- It is called the National Emblem, this pillar is considered to be the best pillar of the Mauryan period.  On top of this, four lions are sitting crouching in all four directions.  Their backs are adjacent to each other.  A special type of chakra was made on the lion.  Whose diameter was about 02 feet 03 inches.  It had 32 spokes.  The remains of which are kept in the Sarnath Museum today.

 On the post of Sarnath, animals have been made in four different directions, which have some symbol.

 As:-

 To the east - the elephant is tactful and thoughtful
 On the west side - the bull is a symbol of the fertility of the land.
 To the south - the horse symbolizes the expansion of the kingdom.
 To the north, the lion is a symbol of bravery and dependability.

 There is a chakra between these animals, in which there are 24 spokes.  Which symbolizes progress.  Satyameva Jayate is written at the bottom of this chakra which is taken from the Mundaka Upanishad.

 The number of Upanishads is 108.

 The ancient name of Sarnath was Mrigdab, Rishipatnam.

 Lumbani Pillar - Nepal
 On its top is the figure of a horse.

 Lauria Nandangarh, Champaran, Bihar

 On its top there is a figure of a lion and a flamingo and a peacock are shown flying on the post.

 Bakhira Pillar Vaishali Bihar

 The shape of a lion has been made on its top.

 Rampurwa Pillar Top Bihar

 02 pillars have been found from here, on the top of the first pillar there is a lion and on the top of the second pillar there is a bull.

 Rampurwa shirsha's bull is kept at Rashtrapati Bhavan, New Delhi.

 Sankisha Farrukhabad U.P.

 There is an elephant marking on its top.

 Lauria Areraj, Bihar

 The article at the top of it is inscribed.

 Dhauli Rock Orissa

 Here the shape of an elephant has been made.

 Roman goddess pillar

 Here is the figure of a horse.

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