गुरुवार, 5 मई 2022

कला का इतिहास, स्तूप एवं स्तम्भ (History of Art, Stupas and Pillars) Online Class Notes:- 05-05-2022.

 स्तूप

      अर्थ:- स्तूप का अर्थ होता है मिट्टी का ढेर इसके निर्माण के पश्चात इसकी पूजा की जाती है। सबसे पहले स्तूप शब्द का प्रयोग ऋग्वेद में किया गया है। हवन कुंड में जो आग की लपटें🔥 उठती है उसे ही स्तूप की संज्ञा दी गई है। 


      स्तूप एक अर्धवृताकार संरचना होता है जो मेधी (चबूतरे के ऊपर) निर्मित होता है। स्तूप का सबसे पवित्र भाग हर्मिका होता है। 

स्तूप मूलतः चार (04) प्रकार के होते हैं:-

  1. पारिभौमिक स्तूप 
  2. शारीरिक स्तूप 
  3. उद्देशिक स्तूप 
  4. संकल्पित स्तूप

 

1. पारिभौमिक स्तूप:- पारिभौमिक स्तूप के हर्मिका में बुद्ध एवं उनके अनुयायियों के द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं को रखा जाता था।


2. शारीरिक स्तूप:- शारीरिक स्तूप में बुद्ध एवं उनके अनुयायियों के शरीर के हिस्सों को रखा जाता है। जैसे:- नाखून, बाल, इत्यादि।


3. उद्देशिक स्तूप:- उद्देशिक स्तूप वह स्तूप होते हैं जो भगवान बुद्ध एवं उनके अनुयायियों के यात्रा घटना के स्थलों पर बनाए गए हैं। जैसे:- कपिलवस्तु, बोधगया, सारनाथ, राजगीर, कुशीनगर, इत्यादि।


4. संकल्पित स्तूप:- संकल्पित स्तूप वे स्तूप होते हैं जो आकार में छोटे होते हैं जिन्हें श्रद्धालुओं द्वारा अपनी पूर्ण हुई मनोकामना के आधार पर बनाया जाता है।


स्तूप का क्रमानुसार वर्णन


मेधी➡️ अंड (हेमिस्फीयर)➡️ हार्मिका ➡️यष्ठी➡️ छत्रप➡️रेलिंग ➡️तोरण द्वार.


Note:- स्तूप के चार (04) भाग एवं आठ (08) प्रकार होते हैं।


स्तम्भ (पिलर)

    इनका मुख्य उद्देश्य धर्म का प्रचार-प्रसार करना था। इसके मुख्य 02 भाग होते हैं:- 
  1. परगहा - ऊपर वाला हिस्सा 
  2. लाट - नीचे वाला हिस्सा
Note:- परगहा के भी 05 भाग होते हैं- 

  • शीर्षल 
  • चौकी 
  • कंठा 
  • बैठकी 
  • मेधला


शैशुनाग तथा नंद वंश
(727 ई० पू० से 325 ई० पू० तक)

    मूर्तिकला (Sculpture) की दृष्टिकोई से यदि बात की जाये तो भारत मे शैशुनाग तथा नंद वंश के साथ ही मूर्तिकला का ऐतिहासिक क्रम शुरू होता हैं। 

     भारत में ऐतिहासिक रूप से जितनी भी प्राचीन मूर्तियां प्राप्त हुई है उनमे से अधिकतर मगध के शैशुनाग तथा नंद वंश की है। उस समय भारत 16 महाजनपदों में विभक्त था, जिसमें मगध सबसे बड़ा एवं शक्तिशाली जनपद था।

   शैशुनाग तथा नंद वंश के कालखंड में एक महाकवि हुए जिनका नाम भास था जिन्होंने प्रतिमा नाटकंम नामक पुस्तक की रचना की। इन्हे नाटक का जन्मदाता के रूप में भी जाना जाता है।इनकी पुस्तक प्रतिमा नाटकंम से हमें यह ज्ञात होता है कि उस समय मृत पूर्वजों की मूर्तियां बनाई जाती थी और जहां यह मूर्तियां रखी जाती थी उस स्थान को देवकूल कहा जाता था।

      अजातशत्रु की प्रतिमा पर (परखम यक्ष की प्रतिमा) यह प्रतिमा शैशुनाग तथा नंद वंश की प्राप्त प्रतिमाओं में सबसे प्राचीन मानी गई है।

Note:- इस प्रतिमा को कई पाठ्य-पुस्तकों में मौर्य वंश का भी माना गया है।

      यह प्रतिमा मथुरा के परखम नामक स्थान से प्राप्त हुई है इसलिए इसे परखम यक्ष भी कहा जाता है। इसकी ऊंचाई 09 फीट है एवं वर्तमान में इसे मथुरा संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है।

       अजातशत्रु के पौत्र उदयन (अजउदयिन) की प्रतिमा पटना (बिहार) से प्राप्त हुई है। इन्होंने ही पाटलिपुत्र नगर को बसाया था, जिसे वर्तमान में हम पटना के नाम से जानते हैं जो कि बिहार राज्य की राजधानी है। इनकी प्रतिमा को कोलकाता संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। उदयन के बेटे का नाम नंदीवर्धन था। इनकी भी प्रतिमा पटना के पास से प्राप्त हुई हैं। इसे भी कोलकाता संग्रहालय में रखा गया है। इसके अलावा हमें मथुरा से मनसा देवी की प्रतिमा प्राप्त हुई है। बेसनगर से यक्षी की प्रतिमा एवं मथुरा से पुरुष यक्ष की प्रतिमा भी प्राप्त हुई है। 

Note:- इस काल-खंड में निर्मित मूर्तियों में उन मूर्तियों का नाम अंकित किया गया है। जिससे हम आसानी से पहचान सकते हैं कि उक्त प्रतिमा किसकी है।

भगवान बुद्ध 

बुद्ध की पांच मुद्राएं:-
  1. अभय मुद्रा 
  2. वरद मुद्रा 
  3. धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा 
  4. ध्यान मुद्रा 
  5. भूमि स्पर्श मुद्रा

प्राक मौर्य काल 

      गिरीब्रज के ध्वनावशेस राजगृह (बिहार) वर्तमान नाम राजगीर। गिरीब्रज महाभारत काल में बृहद्रथ की राजधानी थी। यह पांच (05) पहाड़ियों से गिरा हुआ राज्य था। 

  1. वैभवगिरी 
  2. विपुलगिरी 
  3. बराहगिरी 
  4. वृषभगिरी 
  5. ऋषिगिरी
      
       राजधानी के चारों तरफ पत्थर की लगभग 12-13 फीट मोटी दीवार बनाई गई थी जिन्हें साइक्लोप वाल (Cyclop Wall) कहां जाता था।


1. वैभव गिरी:-  
  • सप्तपर्णिक गुफ़ा (इसमें सात कक्ष बनाएं गये थे)
  • सोन भंडार गुफा (इस गुफा का द्वार मेहराब युक्त निर्मित किया गया है।)
    अजातशत्रु ने इसका निर्माण किया था एवं सर जॉन मार्शल ने इसकी खोज एवं उत्खनन की थी।

stupa

 Meaning:- The meaning of Stupa is 'heap of soil' after its construction it is worshiped.  First of all, the word 'Stupa' has been used in 'Rigveda'.  The flames that rise in the Havan Kund have been called a Stupa.


      A stupa is a semicircular structure built on a Medhi (top of a platform).  Harmika is the most sacred part of the Stupa.

 There are basically four (04) types of stupas:-

 1. Paribhaumik stupa

 2. Body stupa

 3. Purpose stupa

 4. Contemplated stupa



1. Paribhaumika Stupa:- In the Harmika of the Paribhaumika Stupa, the objects used by Buddha and his followers were kept.


2. Body Stupa:- The body parts of Buddha and his followers are kept in the physical stupa.  Eg:- Nails, Hair, etc.


3. Purposeful Stupa:- Purposeful stupas are those stupas which have been built at the sites of travel event of Lord Buddha and his followers.  Eg:- Kapilvastu, Bodh Gaya, Sarnath, Rajgir, Kushinagar, etc.


4. Sankalpit Stupas:- Sankalpt Stupas are those stupas which are small in size which are built by the devotees on the basis of their fulfillment.


 chronological description of the stupa


 Medhi➡️ Aand (Hemisphere)➡️ Harmika ️Yashti➡️ Chhatrapa️➡️ Railing➡️ Torna Door.


 Note:- Stupa has four (04) parts and eight (08) types.

 


 Pillar


       Their main aim was to spread the religion.  It consists of two main parts:-

 1. Paragha - Upper part

 2. lat - Bottom part

 Note:- Paragha also has 05 parts-


 Heading

 Outpost

 Throat

 sitting

 Medhala



 Shaishunag and Nanda dynasty

 (727 BC to 325 BC)


         If we talk from the point of view of sculpture, then the historical sequence of sculpture begins in India along with the Shaishunag and Nanda dynasty.


 Most of the ancient sculptures that have been found in India historically belong to the Shaishunag and Nanda dynasty of Magadha.  At that time India was divided into 16 Mahajanapadas, in which Magadha was the largest and powerful district.


 In the period of Shaishunag and Nanda dynasty, there was a great poet whose name was Bhasa, who composed a book named Pratima Natakam.  He is also known as the 'born creator' of drama. From his book 'Pratima Natakam', we know that at that time the idols of dead ancestors were made and the place where these idols were kept was called 'Devakul'.


 On the statue of Ajatashatru (Statue of Parakham Yaksha), this statue is considered to be the oldest among the idols of Shaishunag and Nanda dynasty.


 Note:- This statue has also been considered in many text-books of Maurya dynasty.


 This idol has been obtained from a place called 'Parakham' of Mathura, hence it is also called 'Parkham Yaksha'.  Its height is 09 feet and at present it is kept safe in the Mathura Museum.


 The statue of Ajatashatru's grandson Udayan (Ajaudayin) has been received from Patna (Bihar).  He had established Pataliputra Nagar, which we currently know as Patna, which is the capital of the state of Bihar.  His statue is kept safe in the Kolkata Museum.  Udayan's son's name was Nandivardhana.  Their statue has also been received from near Patna.  It is also kept in the Kolkata Museum.  Apart from this we have got the idol of Mansa Devi from Mathura.  Statue of Yakshi has also been found from Besnagar and male Yaksha from Mathura.


 Note:- The names of those idols have been mentioned in the idols built in this period.  With which we can easily identify who the said statue belongs to.


 Lord Buddha


 Five Mudras of Buddha:-

 abhay mudra

 Varad Mudra

 turning wheel

 meditation posture

 ground touch gesture


 Pre-Mauryan period


 Rajgriha (Bihar) present name of Giribraj, Rajgir.  Giribraj was the capital of Brihadratha during the Mahabharata period.  It was a kingdom fallen from five (05) hills.


 Vaibhavgiri

 Vipulgiri

 Barahgiri

 Vrishabhagiri

 Rishigiri



 Around 12-13 feet thick stone wall was built around the capital which was known as the Cyclop Wall.


 1. Vaibhav Giri:-

(a) Saptaparnik Cave (Seven rooms were made in it)

(b) Son Bhandar Cave (The entrance of this cave has been built with arches.)

      It was built by Ajatashatru and it was discovered and excavated by Sir John Marshall.

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