सोमवार, 16 मई 2022

🤣 हास्य हंगामा🤩


एक दिन सब्जी मंडी मे मिल गया, 

मुझको मेरा कॉलेज का बिछुड़ा यार।


बाहें पसार मिले🫂 तबीयत से,

दोनो दोस्त बीच बाजार।


हुआ अचानक यह कि टमाटर की थैली🍅 गिर गई नीचे, 

मिलने के चक्कर मे।


दो सांड झपट पडे एक साथ,

धरती🌏 लाल हुई दौनों की भीषण टक्कर मे।


 भारत-पाकिस्तान की तरह दौनों लड़ाके डट गये,

 अपने सींग फंसा कर।


कोहराम मच गया सब्जी मंडी मे, 

सब के सब भागे अपनी जान बचा कर।


सब के सब जो वीर महात्मा सलाह कुशल विश्लेषक,

 भागे सर पे रख के पैर।


मिर्ची वाला खंभे पर आलू वाला पिक् अप पर चढ़,

 मनाए जान की खैर।


मैंने कहा- भाई जरा बताओ? 

किस चक्की का आटा खाते हो।


जब भी मिलते हो हर बार पहले से तुम, 

डबल नजर आते हो।


यह लटका पेट, आंखों पे चश्मा,

दांतों मे सोना और चांदी चमकती बालों में।


गालों पर गलियारे कैसे जरा बताओ, 

ना उलझाओ और सवालों में।


तू तो कालेज का हीरो😎 था, 

तेरे सामने जीरो थे- आमिर, शाहरुख और सलमान।


सभी ल़डकियों को घायल🥰 करता था,

चला नयनों से तीर कमान।💘 


धुक-धुक करती बाईक पर जब घुसता गेट में, 

उड़ाता धुंआ का छल्ला।💨


जैसे घुसा टाइगर भेड़ों के बाड़े मे था, 

मचता कोहराम एवं हो-हल्ला। ।


याद तो होगी वो कोने वाली कानी कमला,  

जो तुझ पर जान छिड़कती थी।


जब होती थी नजरें तीन तुम्हारी, 

तो लिटरेचर वाली मैम भड़कती थी।


और बताओ,


कैसे हो? बाल-बच्चे भाभी कैसे हैं? 

कैसा है घर परिवार?


सुन लिपट गया वो मुझसे रोने लगा,

बह निकली आंखों से धार। 


निकल कालेज से डिग्री ले, 

पाने नॉकरी दो साल दर दर घूमा।


 बेरोजगार से ब्याह कौन करती, 

मंदिर-मस्जिद के दर को चूमा।


बड़ी मुश्किल से ब्याह हुआ, 

दस साल मे बना दी पूरी कबड्डी टीम।


एक चक्की है चून पीस करता गुज़ारा,  

निगल ग़म और चबाकर नीम। 


आटा, दाल, नमक, बिजली-बिल,

स्कूल फीस कपड़े साड़ी और मोबाइल। 


आमदनी चवन्नी खर्च रुपया और ऊपर से मारती,

 मंहगाई मिसाइल। 


घर गृहस्थी की चक्की  और आटे  की  चक्की, 

दोनों मे पिस रहा हूं।


बस कट रही है जैसे-तैसे जिंदगी  सड़क पर जूते  घिस रहा हूं।


फिर मुँह कान के पास ला कर बोला- 


सुन भाई, 

तुझे एक राज की बात बताऊँ।


तेरी भाभी वो ही कालेज वाली कानी कमला है,

अब बोल कहाँ मर जाऊँ।


🤣🤣🤣🤩🤩


योगेन्द्र शर्मा✍️

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