बुधवार, 18 मई 2022

प्रोफ़ेसर साहब, लाला, झारखंडी, लाठी और डॉक्टर जी (डाक्टरवां) के बरात।

      लेख✍️ शुरू करने से पूर्व मैं शीर्षक में प्रयुक्त नामों के अर्थ बताता हूं। प्रोफेसर साहब यानी कि मैं विश्वजीत कुमार, लाला यानी की अनीश कुमार, झारखंडी यानी कि मनीष कुमार, लाठी  यानी कि रंजीत कुमार, डॉक्टर जी (डाक्टरवां) यानी कि अनुज कुमार जो कि आज शादी के परिणय-बंधन में बंधने वाले थे। 


      हम सभी जब +2 में थे तो एक ही साथ Sure Success Coaching में साथ पढ़ते थे। ऐसे इन सभी के अलावें और भी थे लेकिन वो डाक्टरवां यानी कि अनुज की शादी में सम्मिलित नही थे इसीलिए इस लेख में उनके बारे में ही चर्चा करते हैं जो शादी में सम्मिलित थे। पूरे ग्रुप के बारे में चर्चा फिर कभी अगले लेख✍️ में......



      09 April 2022 को 10:53 में 🤝🤝Sure Success नाम के Whatsapp Group में एक संदेश आता है। भेजने वाले हैं अनुज और यह उनकी शादी का कार्ड था जिसमें लड़की का नाम पुष्पा लिखा हुआ था। फिर क्या था हाल ही में रिलीज हुई पुष्पा मूवी के डायलॉग से ग्रुप में हलचल होने लगी।


      शादी में शामिल होने का मैंने निर्णय ले लिया क्योंकि सिवान से वो मुझे अपने घर ले जाने पर राजी हो गए थे। भगवानपुर से मौर्य एक्सप्रेस में बैठ सिवान स्टेशन लगभग 01:00 बजे तक पहुंच गए थे। सिवान से मैं कैसे जाऊंगा इसकी व्यवस्था डॉक्टर ने लाला को दे रखा था और लाला ने झारखंडी एवं लाठी को। पूरे 02 घंटे इंतजार के बाद मनीष (
झारखंडी) और रणजीत (लाठी) स्टेशन आये उनके साथ मैं फिर चला। मुझसे मिलने के उपरांत रंजीत जी ने अपने घर फोन कर के खाना बनाने के लिए बोल दिये जबकी अनीश के घर पहले से मेरे लिए खाना  तैयार हो रहा था। 


     चूंकि रणजीत के घर मैं पहली बार जा रहा था इसीलिए कुछ Sweet ले लिया, अनीश के घर के लिए Sweet मैंने पहले ही ले रखा था। शादी में जाने से पूर्व ही दो बार खाना, खाना पड़ गया। ख़ैर जब तक डॉक्टर साहब (अनुज) के घर पहुंचे पता चला की बारात निकल रही हैं। ऐसे बरात में सारी गाड़ियां निकलने के बाद ही दूल्हा की गाड़ी निकलती हैं लेकिन मैंने वहां देखा कि सबसे पहले दूल्हा की गाड़ी ही निकली। जब बारात से दूल्हा ही निकल चुके थे तो वहां रुकने का कोई खास औचित्य नहीं था इसलिए हम सभी फिर लड़की के घर की ओर प्रस्थान कर गए। 


       वहां पर व्यवस्था बहुत ही जबरदस्त था। जबरदस्त बोले तो पूरा घोड़ो का दौर हो रहा था। बरात में इंसानों के साथ घोड़े भी आए थे जो अपना करतब दिखा रहे थे। बरात में घोड़ों का क्या काम यह मुझे आज तक समझ में नहीं आया है। हमलोगों के सम्मुख ही पटाखा वाला पटाखा फोड़ रहा था मैं यूँ ही एक फ़ोटो खींच लिया क्योंकि मैं अपना कैमरा भी साथ लेकर गया था। जब पटाखा वाला देखा कि कोई उसे अटेंशन दे रहा है तब वह और कला-बाजिया दिखाते पटाखा फोड़ने लगा और हम सभी से अनुरोध किया कि फोटो खींचते रहिए। माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भांति हम उसके आदेश को मानकर फोटोशूट करने लगें।


     घर के पास ही एक ऊंचा सा टीलानुमा स्थल था। हमने ऊपर चढ़कर देखा तो पाया कि वहां एक माताजी का मंदिर हैं और भजन-कीर्तन का कार्य चल रहा है। मंदिर में, मैं और अनीश जी प्रवेश किये, मनीष जी मंदिर के बाहर रुके।  इसका वजह मुझे उस समय ज्ञात हुआ जब हम मंदिर से निकले। हमलोगों के मंदिर में प्रवेश करने एवं निकलने का मनीष जी के द्वारा एक सुंदर वीडियो बनाया गया था वो भी स्लो मोशन में। फिर हमें दोबारा मंदिर में प्रवेश करके पुनः वीडियो को शूट कराये। पहली बार हम फोटो/वीडियो खींच नहीं रहे थे बल्कि खिंचवा रहे थे।


      बचपन से ही मुझे बरात में सम्मिलित होने का बहुत शौक रहा है। बरात में जाना और नाश्ता करना मेरी पहली प्राथमिकता रहती थी लेकिन जब से कैमरा📸 संभाल लिया है नाश्ता तो दुर की बात हुई कई बार खाना खाने का भी टाइम नहीं मिलता।



      इसकी वजह यह है कि बरात के पहुंचते ही सबसे पहले द्वार पूजा, जयमाला और फिर कन्या का क्लोज़ अप शूट उसके बाद शादी की फोटो करते-करते बहुत देर हो जाती थी और बड़ी मुश्किल से जब खाना खाने के लिए समय निकाल कर जाते तो पता चलता की बहुत सारा आइटम खत्म हो गया हैं। बड़ी मुश्किल से जुगाड़ कर के खाना खाने बैठते तब तक 02 लोग हल्ला करते आते की आरे!! फोटोग्राफरवां कहां चला गया ? गुरहथनी शुरू हो गया है। कई बार तो टेबल पर ही खाना छोड़कर जाना पड़ता क्योंकि हमारे लिए फोटो खींचना पहली प्राथमिकता रहती।

       अनुज जी की शादी में ऐसा कुछ नहीं हुआ क्योंकि जब तक हम फोटो खींच रहे थे तब तक अनीश जी मेरे लिए नाश्ता ले कर रखे थे। जयमाला की फोटो खींचने के बाद मैंने नाश्ता किया और फिर क्लोजअप सूट के लिए आंगन में गए। क्लोजअप सूट के दरम्यान एक लड़की👩 मुझे बार-बार नोटिस कर रही थी। कुछ देर उपरांत वह मेरे पास आई और बोली:- 

सुनिए ना!!! 

मैंने कहा:- बोलिए ना!!!

तब उसने कहां:- अगले महीने मेरी शादी है।

मैंने कहा:- तो......

उसने झेंपते हुए कहा कि आप को ही मेरी शादी में फोटो खींचनी है।

मैंने कहा:- आपको मेरी फोटोग्राफी इतनी पसंद आई।

तब उसने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहां की:- तो आपको कह क्यों रहे हैं।

मैंने कहा:- ठीक है। डॉक्टर साहब को बोल दीजिएगा।

अब चौकना उसे था क्योंकि मैंने अनुज को डॉक्टर साहब बोल दिया था। फिर मैंने तुरंत ही अपने शब्दों को सुधारा और कहा कि अनुज जी को बोल दीजिएगा। वह कहेंगे तो हम आ जाएंगे।

      इसके उपरांत वह अपनी खुद की फोटो खिंचवाई शायद डेमो क्लास ले रही थी। डेमो क्लास में तो हर कोई अपना 100% देता है लेकिन मैंने उससे भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया।

      हमारा डेमो क्लास और चलता लेकिन तब तक उसके घर वाले विलेन के रूप में यह कहते हुए आ गए कि कब तक फोटो खिंचवाईयेगा गुरहथनी का समय हो गया है। इस तरह हमारे डेमो क्लास का The End हो गया।

      फिर हम खाने की टेबल की ओर बढ़े क्योंकि अभी तो पूरी कहानी बाकी ही थी। खाना खाने के दरम्यान भी पूरा ध्यान उस डेमो क्लास पर ही टिका रहा।


एक गाना भी है ना....,


जहां चार यार मिल जाएं वहां रात हो गुलजार.....


 लेकिन यहां तो 05 थे। प्रोफेसर साहब, लाला,  झारखंडी, लाठी, डॉक्टर जी (डाक्टरवां). हमारी रात तो कुछ ज्यादा ही गुलज़ार होने वाले थी। फिर हमलोग वहां पहुंचे जहां पर आर्केस्ट्रा💃 का कार्यक्रम चल रहा था। पहले तो दो-चार हिंदी गाना बजा उसके उपरांत भोजपुरी के अश्लील गानों पर जो लाइव प्रदर्शन शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा और सभी लोग उस में गोते लगाते रहे। छोटी सी बानगी आप भी देखिए👇👇


धन्यवाद 🙏🏻




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें