मंगलवार, 22 जून 2021

F-1 समाज, शिक्षा और पाठ्यचर्या की समझ D.El.Ed.1st Year B.S.E.B. Patna.


 संदर्भ

              शिक्षा अपने बुनियादी रूप में समाजीकरण (socialization) की प्रक्रिया है। साथ ही, शिक्षा अपने क्रियात्मक रूप में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया है। आधुनिक समाज में इस प्रक्रिया का व्यवस्थापन या संचालन अनेक स्तर यथा माता-पिता, परिवार, पड़ोस, समुदाय, मीडिया तथा विद्यालय स्तर पर किया जाता है। इन संस्थाओं में विद्यालय का अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान है जो न केवल बच्चों और बचपन को अपनी समाजीकरण की संस्थायी प्रक्रिया के द्वारा गढ़ता है बल्कि यह प्रारम्भिक स्तर के समाजीकरण की संस्थाओं की भूमिकाओं को भी सतत् रूप से प्रभावित करता है। परिणामस्वरूप, यह समाज के सांस्कृतिक एवं बौद्धिक संदर्भो को भी पुननिर्मित करता है। सामाजिक दृष्टिकोण से विद्यालय प्रारम्भिक स्तर के संस्थाओं का विस्तार है जो न केवल एक समाज विशेष में बच्चे एवं बचपन को गढ़ने में सक्रिय भूमिका निभाता है बल्कि यह स्वयं भी सामाजिक विमर्शों एवं संदर्भो से नियंत्रित होता है। अनुभव के स्तर पर विद्यालय सामाजिक-सांस्कृतिक तथा ज्ञानात्मक संदर्भ में अंतःक्रियात्मक स्थान है जिसमें समस्त गतिविधियाँ बच्चे एवं बचपन के इर्द-गिर्द केन्द्रित होती हैं। बच्चे और बचपन से सम्बंधित ये अंतःक्रियाएँ समय व स्थान के सापेक्ष बहुल अर्थों को प्रतिबिम्बित करती हैं। साथ ही सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के रूप में विद्यालयी शिक्षा निरन्तर ज्ञानमीमांसीय (Epistemological) relating to the theory of knowledge, especially with regard to its methods, validity, and scope, and the distinction between justified belief and opinion. प्रश्नों से भी मुखातिब होती रहती है। इस संदर्भ में अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आने वाले बच्चों की विविधताओं को जानना तथा सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में उन विविधताओं को स्थान देना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त विद्यालय तथा उसकी गतिविधियाँ विद्यालय के बाह्य स्थापित कारकों से भी प्रभावित व संचालित होती हैं। इस संदर्भ में विद्यालय, अभिभावक, समुदाय तथा समाज के मध्य अंतर्सम्बंधों की समझ व समीक्षा एक शिक्षक को अपनी कक्षा में बाल-केन्द्रित व लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाने में समर्थ बनाती है। विद्यालयी सीखने-सिखाने की प्रकिया को आकार देनेवाली पाठ्यचर्या तथा बच्चों के आस-पास के संदर्भ को समेटे स्थानीय पाठ्यचर्या की समझ को इस विषयपत्र में शामिल किया गया है। साथ ही, शिक्षकों में अध्ययनशीलता तथा समीक्षात्मक चिंतन निर्मित करने के लिए कुछ चिंतकों की शिक्षा से सम्बंधित मूल रचनाओ को भी यहाँ लिया गया है।


उद्देश्य :-

इस पाठ्यक्रम पर आधारित विषयवस्तु के शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं :-

बच्चे और बचपन से सम्बंधित विभिन्न परिप्रेक्ष्यों की समझ को विकसित करना।

बचपन को आकार देनेवाले ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनैतिक तथा सांस्कृतिक कारकों की भूमिकाओं को समझना।

विद्यालय की भूमिका को समाजीकरण के संदर्भ में विश्लेषित करने की समझ बनाना।

शिक्षा और ज्ञान के अवधारणा की समीक्षात्मक समझ विकसित करना।

भारतीय चिंतकों की शैक्षिक रचनाओं के आधार पर उनकी शैक्षिक विचारों से अवगत होना तथा समकालीन परिदृश्य में उन विचारों की सार्थकता की समीक्षा करना।

पाठ्यचर्या की समझ और स्थानीय पाठ्यचर्या की आवश्यकता एवं महत्व की समझ बनाना।

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