सीखने के लिए वातावरण निर्माण में शिक्षक की भूमिका
शिक्षा में अध्यापक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षण का कार्य मात्र शिक्षा में शिक्षण कार्य करने पर ही समाप्त नही हो जाता बल्कि छात्रों को उचित निर्देशन प्रदान करना, विद्यार्थियों की भावनाओं का निर्माण करना, विभिन्न पाठ्य-सहगामी क्रियाओं का संचालन करना आदि भी अध्यापक के महत्वपूर्ण कार्य हैं।
एक कुशल शिक्षक अपने विद्यालय में सीखने के वातावरण के स्तरों को बेहतर बनाने के लिए सक्रियता से निगरानी करता है।
वह कक्षा का अवलोकन करता है और अपने विद्यार्थियों के साथ बातचीत करता है। साथ ही समय की पाबंदी और स्वच्छता से सम्बंधित मुद्दों पर ध्यान देते हैं।
विद्यालय नेतृत्व की भुमिका का एक हिस्सा यह सुनिश्चित करता है कि विद्यालय का वातावरण सीखने की प्रक्रिया में सहयोग करें तथा जिन कारकों के बारे मे सचेत रहना चाहिए उनमें शामिल है-
1-सिखाने की गुणवत्ता।
2-पाठ्यपुस्तकों का प्रावधान।
3-विद्यार्थियों का व्यवहार ।
4-विद्यार्थियों के साथ सह्भगितपुर्ण तरीकों का इस्तेमाल करना।
विद्यालय मे प्राप्त वातावरण का बच्चों के व्यक्तित्व पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। बच्चा जब स्कूल में प्रवेश करता है तो अपने पारिवारिक समाजिक पर्यावरण से बहुत सारी जानकारी और अनुभव भी लाता है जिनमे शिक्षकों द्वारा बनाये गये वातावरण का विशेष महत्व होता है। बच्चा स्कूल मे एक छोटा सा समाज बनाता है जिसमे उसके मित्रों के समूह मे उसके शिक्षक भी होते हैं। यह शिक्षक द्वारा बनाये गए वातावरण का ही एक परिणाम होता है।यहां पर शिक्षक आत्मविश्वास से भरा वातावरण का निर्माण कर बच्चों में नये ज्ञान का निर्माण करता है।
विद्यालय का वातावरण अगर उसके सहज सीखने की प्रवृति को ध्यान में रखकर निर्मित किया जाये तो बच्चों के आचरण मे सकारात्मक बदलाव आते हैं।
एक शिक्षक बच्चे के जीवन को समाज की आवश्यकताओं से जोड़कर देखता है और बच्चे उस ज्ञान को परिस्थिति के अनुसार स्वयं ज्ञान का निर्माण कर सके और अपने जीवन से जोड़कर उसका उपयोग कर सके ऐसा वातावरण का निर्माण करता है।
एक कुशल शिक्षक का कार्य है कि बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को रुचिकर बनाये रखें, उसे प्रभावशाली बनाए रखे। उसके लिए शिक्षकों को निम्न प्रयास करने होंगे।
1-सरल, स्पष्ट एवं मातृभाषा मे शिक्षण- शिक्षकों को सरल, स्पष्ट एवं मातृभाषा मे शिक्षण करने होंगे क्योंकि बच्चे अपनी विषय-वस्तु को मातृभाषा में आसानी से समझ सकते हैं और इस तरह एक शिक्षक सीखने का वातावरण तैयार कर सकता है।
2:-स्वाध्याय या घर पर पढ़ने की आदत विकसित करना- एक शिक्षक को बच्चों में self-study तथा उसके फायदे के बारे मे जानकारी देकर सीखने का वातावरण तैयार कर सकता है।
3:-अध्यापक मित्र के रुप में- एक अध्यापक बच्चों का अभिन्न मित्र हो सकता है। वह ऐसा कर बच्चों के बीच एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण कर सकता है। बच्चे आसानी से नई चीजों को सीख सकते हैं अच्छा उनका अपनी विषय वस्तु पर जान का विकास सरलता पूर्वक संभव हो जाएगा।
4:- अध्यापक अपने कक्षा रोजाना लेकर- एक अध्यापक अपनी कक्षा को रोजाना लेकर बच्चों को आशान्वित बनाए रखता है। बच्चे भी आत्मविश्वास से भर जाते हैं और सीखने सिखाने का वातावरण का सतह निर्माण हो जाता है।
5:-शिक्षक द्वारा बच्चों को पढ़ाने का अवसर देकर- अगर शिक्षक एक ऐसे वातावरण का निर्माण करता है जहां वह अपने विद्यार्थियों को शिक्षण का एक अवसर प्रदान करता है तो इससे एक सकारात्मक सोच बच्चों में उत्पन्न होता है और बच्चे प्रति स्पर्धात्मक रूप से या प्रतियोगी रूप से खुद को उस स्तर पर तैयार करते हैं और एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण होता है और हम जानते हैं कोई भी बच्चा एक बार 100% नहीं सिखता और इस प्रक्रिया के द्वारा वह खुद से सकारात्मक वातावरण वातावरण में सीख पाता है।
6:- बच्चों का मनोबल बढ़ा कर- एक शिक्षक अपेक्षाकृत कमजोर बालक या सामान्य बालक का मनोबल बढ़ा कर उसे सीखने के प्रति प्रेरित करता है।
7:- बच्चों से अनेक क्रियाकलाप करवा कर:- एक शिक्षक बच्चों से तरह-तरह के क्रियाकलाप करवा कर बच्चों को सीखने का अवसर प्रदान करता है। इससे बच्चों के ऊपर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बच्चे तकनीकी रूप से अधिक सक्षम और कुशल हो पाते हैं।
8:- बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास करवा कर:- शिक्षक किसी प्रयोजन या शिक्षण के दौरान बच्चों को विभिन्न टोलियां में बांट दें तथा हर टोली का एक नेतृत्वकर्ता का चयन कर देता है तो बच्चे आत्मविश्वास से भर जाएंगे और एक जिम्मेदारी का एहसास भी उन्हें हो पाएगा इस तरह से बच्चे नेतृत्व क्षमता के दौरान बहुत कुछ सीख पाएंगे।
9:- शैक्षिक भ्रमण के द्वारा शिक्षण करवा कर:- शैक्षिक भ्रमण के द्वारा बच्चों का शिक्षण कराना बहुत उपयोगी होता है और यदि एक शिक्षक ऐसे वातावरण का निर्माण करता है जहां बच्चों को शैक्षिक भ्रमण के लिए ले जा सके जहां वे पर्यावरण से सीधे जुड़े पाते हैं पर्यावरण से हुए अवगत हो सकें तो ऐसे बच्चे सकारात्मक रूप से या प्रभावी रूप से बहुत कुछ सीख पाते हैं और एक अच्छे वातावरण का निर्माण होता है।
10:- गृह कार्य को नियमित रूप से देखकर:- गृह कार्य को नियमित रूप से देखकर तथा उसे जांच कर एक शिक्षक बच्चों के अंदर सीखने की प्रवृत्ति को उत्पन्न कर सकता है।
यहाँ हम कह सकते हैं कि के सीखने के लिए वातावरण निर्माण में एक शिक्षक की भूमिका अतुलनीय है।
विद्यालय में शिक्षक एक स्तंभ की तरह होता है जिस पर निश्चित रूप से बच्चों का भविष्य टिका हुआ होता है।
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