मंगलवार, 29 जून 2021

S-4, Unit-1 अपने व्यक्तित्व को समझने की जिज्ञासा (Curiosity to understand Self Personality) D.El.Ed. 2nd Year B.S.E.B. Patna.

एक व्यक्ति के रूप में स्वयं को समझना 
(KNOW YOURSELF AS A PERSON) 


अपने व्यक्तित्व को समझने की जिज्ञासा 
(Curiosity to understand Self Personality) 

            स्वयं से अवगत होना एक सचेतन (conscious) आन्तरिक प्रयास है जिसके लिये कोई भी व्यक्ति प्रयास कर सकता है। इसके द्वारा वह अपनी शक्तियों, क्षमताओं, कमजोरियों आदि को समझ सकता है। वह अपनी बाह्य क्रियाओं के प्रति भी सजग, सतर्क, जागृत, विवेकशील हो सकता है। 
       यूं तो आत्मावलोकन (Introspection) the examination or observation of one's own mental and emotional processes. स्वयं की मानसिक और भावनात्मक प्रक्रियाओं की परीक्षा या अवलोकन। द्वारा स्वयं की पहचान करना किसी के लिए भी अच्छा है, मगर यह शिक्षा से जुड़े व्यक्तियों हेतु बहुत जरूरी हो जाता है। शिक्षा की प्रक्रिया शिक्षार्थी के भीतर निश्चित रूप से बहुत बदलाव लाती है। वह पहले से ज्यादा  जानने एवं समझने लगता है। शिक्षा एक तरह से व्यक्तित्व और समाज के रूपांतरण (conversion) की प्रक्रिया से ही जुड़ी हुई है, भले ही इसका स्पष्ट बोध शिक्षा से जुड़े लोगों में न हो। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आत्मावलोकन शिक्षा की प्रक्रिया में एवं शैक्षिक प्रक्रिया स्वयं की पहचान में क्या भूमिका निभा सकते हैं। 
        सीखना ज्यादा सार्थक और प्रभावशाली तभी होता है जब सीखने वाला निरन्तर अपनी समीक्षा करने की इच्छा रखता हो एवं जायजा लेते हुए चलता हो। कक्षा का माहौल हो या सीखने-सिखाने की पद्धतियाँ या फिर मूल्यांकन की रणनीतियाँ, इन्हें इस ढंग से बनाया जाना चाहिए कि वे शिक्षार्थी को पहल करने के लिए प्रेरित करें और उसे धीरे-धीरे अपने सीखने हेतु स्वयं जिम्मेदार बनाएँ। ऐसा करते हुए एक ही कक्षा में मौजूद शिक्षार्थियों की व्यक्तिगत भिन्नताओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
           एक शिक्षक शिक्षार्थियों में सीखने और आत्मविश्वास का जज्बा तब तक उत्पन्न नहीं कर सकता, जब तक कि वह स्वयं इन बातों को दिली (Heartwarming) तौर पर न समझता हो एवं इन्हें अमल में न लाता हो। एक शिक्षक जो शिक्षार्थियों के आत्म-विकास के काम में सहायक बनना चाहता है, अपने आप से ये सवाल पूछ सकता है कि- क्या वह एक स्पष्ट विश्वास से भरी आत्म-छवि रखता है? उसके पास किसी प्रक्रिया में डटे रहने का माद्दा, अहमियत (Materiality) कितना है? उसमें सीखने की आत्म-प्रेरणा कितनी है? क्या उसमें आलोचनात्मक और रचनात्मक तरीके से सोच-विचार की क्षमता है? क्या वह दक्षतापूर्वक किसी समस्या का समाधान कर सकता है? आत्मानुशासन और उसकी ध्यान केन्द्रित रखने की सामर्थ्य कितनी है? स्वयं की क्षमता की खोज से जुड़े इस तरह के और भी सवाल हो सकते हैं। आपके मन में और कौन-कौन से सवाल उत्पन्न हो रहे हैं आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।



 

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