प्रश्न:- क्या कला का प्रयोग चिकित्सा के रूप में किया जा सकता है ?
उत्तर:- बच्चों को उनके संवेगों (Moments) से जोड़ने और विकसित करने के लिए कला चिकित्सा एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
हम यह भी पाते हैं कि चित्रकला ऑटिज्म (Autism) से ग्रस्त बच्चों की अनुभूतियों को व्यक्त करने में सहायता प्रदान करता है जिससे वो अन्य तरीकों से व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
Autism (आटिज्म) स्वलीनता, इसे आत्मविमोह के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे किसी से ठीक से बातचीत नहीं कर पाते हैं और ना ही सामाजिक रूप से जुड़ जाते हैं। इलाज से लाभ हो सकता है लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता।
उसी प्रकार जिन बच्चों ने डर जैसे:- युद्ध, महामारी, इत्यादि। का सामना किया हो उन्हें अपने प्रत्यक्ष अनुभवों को व्यक्त करने में कठिनाई होती है। किंतु कला के माध्यम से वेदना को आसानी से व्यक्त किया जा सकता है। ऐसी अनेक परिस्थितियों में कला बच्चों को उनके मन में उत्पन्न भावों को आसानी से प्रस्तुत कर सकती है।
आप एक क्रोधी कलाकार विरले ही पाएंगे क्योंकि एक कलाकार के पास अपने विचारों को कलात्मक अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करने का एक आसान तरीका होता हैं।
मुझे यहां एक घटना का स्मरण हो रहा है। उक्त बातें लगभग 2015 या 16 की है जब पटना के गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान मची भगदड़ में कई लोगों की मृत्यु हो गई थी। अगले दिन एक कार्टूनिस्ट के द्वारा एक कार्टून बनाया गया था जिसमें रावण रो रहा था और कह रहा था- हे राम!!!
हम कला के द्वारा किसी रोगी को स्वस्थ तो करते ही हैं और साथ ही साथ कई तरह की सूचना एवं बातों को सार्थक तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं जो रोगी के मनोभावों को हर्षित कर सकता हैं और आप सभी को ज्ञात तो होगा ही कि जो व्यक्ति खुश रहता है वह जल्दी बीमार नहीं पड़ता। या यूं कह सकते हैं की उसे किसी तरह की मानसिक बीमारियां ग्रसित नहीं करती। इसीलिए आप सभी से आग्रह है कि कला के साथ जुड़े। जो भी कला आपको पसंद हो चाहे वह चित्रकला हो, संगीत कला हो, नृत्य कला हो या फिर नाटक कला। जिस कला में आपको मन लगता है प्रत्येक दिन में कम से कम 1 या 2 घंटे उस कला को जरूर समय दे। तभी आप स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रह सकते हैं।
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