गुरुवार, 17 जून 2021

अपने जीवन मे स्वयं को समझते हुए लक्ष्यों को निर्धारित करने में कौन-कौन सी बातें सहायता करती है ? What are the factors that help in determining your goals while understanding yourself in your life?

प्रश्न:- अपने जीवन मे स्वयं को समझते हुए लक्ष्यों को निर्धारित करने में कौन-कौन सी बातें सहायता करती है ? 

Question:- What are the factors that help in determining your goals while understanding yourself in your life?




Answer:- हम अपने जीवन में जो भी लक्ष्य का निर्धारण करते हैं उनमें कहीं ना कहीं हमारी मनोदशा, आर्थिक दशा, हमारा परिवेश, हमारे रिश्तेदार, इत्यादि। इन सभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि इन सभी के सानिध्य में रह करके ही हम अपनी भूमिका को स्पष्ट करनी होती है। यदि हमारे द्वारा कोई लक्ष्य का चुनाव किया जाता है या करना होता है तो मेरा मानना है कि सबसे पहले हमें स्वयं को समझ लेना चाहिए। 

           हम अपने स्वयं के साथ चौबीसों घंटा (24 hrs.) रहते हैं। दूसरा व्यक्ति दो या चार घंटा या फिर उससे भी कम समय में वह मुझे कैसे समझ सकता है? इसीलिए जब भी लक्ष्य का निर्धारण करना हो चाहे वह भविष्य के लिए हो या जीवन से संबंधित। हमें सबसे पहले स्वयं से वार्तालाप करना चाहिए कि अमुक कार्य जो हम करने जा रहे हैं या मेरे द्वारा किया जा रहा है वह उचित है या अनुचित। उसका भविष्य में क्या परिणाम हो सकता है क्या दुष्परिणाम हो सकता है। जब तक इन सभी प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर न प्राप्त हो जाए तब तक हमें उस कार्य को शुरू नहीं करना चाहिए।

          अब हम चर्चा कर लेते हैं उन कारकों (Factors) के बारे में जो लक्ष्यों के निर्धारण के उपरांत हमारे सम्मुख प्रस्तुत होते हैं उनमें से कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो आपको सहायता प्रदान करते हैं तो दूसरा आपको कार्य से विचलित भी कर सकते हैं। हमें ऐसे कार्यों की पहचान करके उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम बेहतर ढंग से अपने कार्य को संपन्न कर पाए।

            अपने जीवन में स्वम् को समझते हुए लक्ष्य को निर्धारित करने में निम्न बातें सहायता प्रदान कर सकती है-

(1) घर वालों का आप के प्रति सकारात्मक विचार:- यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं उससे आपके घर वालों की पूर्ण सहभागिता (Full Participation) होनी चाहिए तभी आप अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं अन्यथा भविष्य में परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

(2) स्वयं के प्रति ईमानदार होना:- अधिकतर बार देखा गया है कि लक्ष्य का निर्धारण करने के उपरांत हमारे द्वारा इतनी ईमानदारी से मेहनत नहीं की जाती जितनी की होनी चाहिए जो कि लक्ष्य को प्राप्त करने में परेशानी खड़ी कर सकती है।

(3) मित्रों का सहयोग:- हम अपने जीवन में कई तरह के व्यक्तियों से मिलते हैं कुछ लोगों के आचरण एवं व्यवहार की वजह से वह हमारे मित्र भी बन जाते हैं। अच्छे मित्रों के उचित सहयोग एवं मार्गदर्शन की वजह से हमें अपने लक्ष्य निर्धारित एवं प्राप्त करने में काफी सुविधा होती है।

(4) अच्छे शिक्षकों की भूमिका:- छात्रों के भविष्य निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है वह अपने छात्रों के प्रत्येक गुण एवं दोषों से वाकिफ होते हैं एवं उन्हें पता होता है कि उनका अमुक छात्र किस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। उनके उचित सलाह एवं निर्णय से छात्रों के अपने लक्ष्य निर्धारण एवं उन्हें पूरा करने में काफी सहायता प्राप्त होती है।

(5) छात्रों का परिवेश:- अपने लक्ष्यों का निर्धारण एवं उसे क्रियान्वयन करने में छात्रों के परिवेश की भूमिका सर्वोपरि होती है। वह अपने परिवेश में हो रही गतिविधियों को देख कर के ही अपने लक्ष्य का चुनाव करते हैं। उदाहरण स्वरूप यदि किसी क्षेत्र विशेष के छात्रों का यदि कहीं चुनाव (Selection) हो जाता है तो उस से प्रेरणा पाकर वहां के क्षेत्र के लड़के वही कार्य संपन्न करना शुरू कर देते हैं उन्हें लगता है कि यदि अमुक व्यक्ति ने यह कार्य संपन्न किया है तो वह भी कर सकते हैं। यहां पर वह अपने स्वयं को पहचाने की गलती कर बैठते हैं जिस वजह से उन्हें निराशा हाथ लगती है।

              अंततः हम कह सकते हैं कि जीवन में हमें सफलता तभी मिल सकती है जब हम स्वयं को पहचानते हुए किसी कार्य को संपन्न करें।

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