यह मेला बिहार में मधुबनी जिले के सौराठ नामक गाँव में ज्येष्ठ-आषाढ़ माह में पन्द्रह (15) दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। यह मेला एक सभा की तरह होता है। यह शादी-विवाह के अर्थों को अति सरल बनाने तथा इसमें मितव्ययिता लाने में सहायक सिद्ध होता है।
इस मेले में विवाह योग्य युवकों एवं उनके अभिभावकों की उपस्थिति आकर्षण का मुख्य केन्द्र बिन्दु होती है।
विवाह योग्य कन्याओं के अभिभावक यहाँ योग्य युवकों के साथ विवाह सम्बन्धी निर्णय लेते हैं। पंजीकारों द्वारा विवाह सम्बन्धी निर्णय को स्वीकृति दी जाती है। विवाह तय होने के उपरान्त तात्कालिक विवाह का आयोजन भी हो जाता है। इस मेले में ज्योतिष, संस्कृत, वेद और दर्शन इत्यादि के बड़े-बड़े विद्वान् उपस्थित होते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें