भारत में नृत्य की जड़ें प्राचीन परंपराओं में है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्यों की विभिन्न विधाओं ने जन्म लिया है। जिनमें से प्रत्येक का संबंध देश के विभिन्न भागों से है। प्रत्येक विधा किसी विशिष्ट क्षेत्र से संबंधित है। भरत मुनि ने अपनी पुस्तक नाट्यशास्त्र में शास्त्रीय नृत्य का वर्णन किया है।
भारत के कुछ शास्त्रीय नृत्य इस प्रकार हैं :-
भरतनाट्यम् या सधिर अट्टम मुख्य रूप से दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली है। इस नृत्यकला में भावम्, रागम् और तालम् इन तीन कलाओ का समावेश होता है।
- भावम् से 'भ',
- रागम् से 'र' और
- तालम् से 'त' लिया गया है।
कूचिपूड़ी आंध्र प्रदेश, भारत की प्रसिद्ध नृत्य शैली है। यह पूरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। इस नृत्य का नाम कृष्णा जिले के दिवि तालुक में स्थित कुचिपुड़ी गाँव के ऊपर पड़ा, कहां जाता हैं कि यहां रहने वाले ब्राह्मण इस पारंपरिक नृत्य का अभ्यास करते थे।
ओड़िसी भारतीय राज्य ओडिशा की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। अद्यतन काल में गुरु केलुचरण महापात्र ने इसका पुनर्विस्तार किया। ओडिसी नृत्य को पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित नृत्य रूपों में से एक माना जाता है। इसका जन्म मन्दिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था।
कथकली मालाबार, कोचीन और त्रावणकोर के आस-पास प्रचलित नृत्य शैली है। यह केरल की एक सुप्रसिद्ध शास्त्रीय रंगकला है। 17वीं शताब्दी में कोट्टारक्करा तंपुरान ने जिस रामनाट्टम का आविष्कार किया था उसी का विकसित रूप है- कथकली। यह रंगकला नृत्यनाट्य कला का सुंदरतम रूप है।
मोहिनीअट्टम भारत के केरल राज्य के दो शास्त्रीय नृत्यों में से एक है, जो अभी भी काफी लोकप्रिय है केरल की एक अन्य शास्त्रीय नृत्य कथकली भी है। मोहिनीअट्टम नृत्य शब्द मोहिनी के नाम से बना है, मोहिनी रूप हिन्दुओ के देव भगवान विष्णु ने धारण इसलिए किया था ताकि बुरी ताकतों के ऊपर अच्छी ताकत की जीत हो सके।
कथक नृत्य उत्तर भारतीय शास्त्रिय नृत्य है। कथा कहे सो कथक कहलाए। कथक शब्द का अर्थ कथा को नृत्य रूप से कथन यानी प्रस्तुत करना है। प्राचीन काल मे कथक को कुशिलव के नाम से जाना जाता था। यह बहुत प्राचीन शैली है क्योंकि महाभारत में भी कथक का वर्णन है। मध्य काल में इसका सम्बन्ध कृष्ण-कथा और नृत्य से था।
कथक के लखनऊ घराने का जनक ईश्वरी प्रसाद को माना जाता है।
मणिपुरी नृत्य भारत का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है। इसका नाम इसकी उत्पत्ति स्थल के नाम पर पड़ा है। यह नृत्य मुख्यतः हिन्दू वैष्णव प्रसंगों पर आधारित होता है जिसमें राधा और कृष्ण के प्रेम प्रसंग प्रमुख है। मणिपुरी नृत्य भारत के अन्य नृत्य रूपों से भिन्न है।
सत्रीया नृत्य (असमिया: সত্ৰীয়া নৃত্য), आठ मुख्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपराओं में से एक है। यह नृत्य असम का शास्त्रीय नृत्य है। वर्ष 2000 में इस नृत्य को भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में सम्मिलित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस नृत्य के संस्थापक महान संत श्रीमनता शंकरदेव हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें