मगही भाषा का विकास मगधी से हुआ है जो प्राचीन काल में मगध साम्राज्य की प्रमुख भाषा थी। इसे धार्मिक भाषा के रूप में भी मान्यता प्राप्त थी क्योंकि महावीर और गौतम बुद्ध दोनों उपदेशकों ने मगधी को अपनी उपदेश की भाषा बनाया था। बुद्ध ने भाषा की प्राचीनता के प्रश्न पर स्पष्ट कहा था कि सा मागधी मूल भाषा अतः मगही मूलतः मगधी भाषा से विकसित हुई है। बिहार राज्य में यह भाषा पटना, गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, नावादा, नालंदा, अरवल, लखीसराय, शेखपुरा एवं जमुई जिले में बोली जाती है। मगही भाषा के प्रथम कवि ईशान है। महाकवि योगेश आधुनिक मगही के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते हैं।
मगही का पहला महाकाव्य गौतम महाकवि योगेश द्वारा वर्ष 1960-62 के मध्य लिखा गया। मगही भाषा में विशेष योगदान हेतु वर्ष 2002 में डॉ. राम प्रसाद सिंह को साहित्य अकादमी भाषा सम्मान प्रदान किया गया। आधुनिक युग में मगही भाषा के विकास में लक्ष्मी नारायण पाठक का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सुरेश दुबे को मगही भाषा का शेली कहा जाता है। मगही भाषा के रचनाकारों में हरिहर पाठक, रामरहस्य साहेब, भैयानंद, बाबा कदमदास, चतुर्भुज मिश्र, श्रीधर मिश्र, वेदनाथ, जलगोविन्द दास आदि प्रमुख हैं।
सिद्ध वंश की प्रारम्भिक रचनाएँ मगधी भाषा में है।
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