दो भाई सुकुमारे,
है ये मम्मी को प्यारे।
पापा के तो है ये,
राज-दुलारे।
रंग-रूप में नहीं,
हैं कोई विभेद।
स्वप्न सुहाने,
रहे हैं देख।
क़द में बड़ा,
न कोई छोटा।
दिखता कोई न,
तिलभर मोटा।
मन में इनके क्या है?
यही है जाने।
नपी-तुली
दोनों की मुस्कानें।
इनकी ही बाते,
इन्हें ही सुनाएँ।
झटपट एक,
कविता बनाएँ।
Thank you so much sir ☺️
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