गुरुवार, 1 जुलाई 2021

दो भाई सुकुमारे, सभी जुड़वां भाइयों को समर्पित। Dedicated to all twins brother.

 


दो भाई सुकुमारे, 
है ये मम्मी को प्यारे। 
पापा के तो है ये, 
राज-दुलारे।

रंग-रूप में नहीं, 
हैं कोई विभेद।
स्वप्न सुहाने,
रहे हैं देख।

क़द में बड़ा,
न कोई छोटा।
दिखता कोई न,
 तिलभर मोटा।

मन में इनके क्या है?
यही है जाने।
नपी-तुली
दोनों की मुस्कानें।

इनकी ही बाते,
इन्हें ही सुनाएँ।
झटपट एक,  
कविता बनाएँ।

झटपट एक,  
कविता बनाएँ।

विश्वजीत कुमार ✍🏻

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