मंगलवार, 27 जुलाई 2021

हमारी प्राचीन विरासत को मिली वैश्विक मान्यता। यूनेस्को द्वारा गुजरात स्थित धोलावीरा साइट को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में घोषित किया गया।

 


हमारी प्राचीन विरासत को मिली वैश्विक मान्यता!

         गुजरात में 'धोलावीरा' एक हड़प्पन शहर' को UNESCO की #WorldHeritage सूची पर लिखा गया है। हम
सभी भारतीयों के लिए बड़े गर्व का क्षण!!💪🙂

           यूनेस्को द्वारा गुजरात स्थित सिन्धु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े और सबसे प्रमुख पुरातात्विक स्थलों में से एक धोलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया है। गुजरात के कच्छ जिले के रण में स्थित नमक के विशाल मैदानों से घिरे भचाऊ तालुका के खदिरबेट में स्थित धोलावीरा में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष पाए जाते हैं, जो दुनिया भर में अपनी अनूठी विरासत के तौर पर मशहूर हैं।

               यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के 44वें सेशन में धोलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का टैग दिए जाने का फैसला लिया गया। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा 1967-68 में में खोजे गये मासर और मानहर नदी के संगम पर स्थित धोलावीरा को हड़प्पाकाल के पांच सबसे बड़े स्थलों में शुमार किया जाता है।

             ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार पांच हजार साल पहले विश्व के सबसे व्यस्त महानगरों में शामिल धोलावीरा में 3500 ईसा पूर्व से लोग बसना आरम्भ हो गए थे और फिर लगातार 1800 ईसा पूर्वतक आबादी बनी रही। दक्षिण एशिया के प्राचीन शहरों में शामिल धोलावीरा में शहरी व्यवस्था को बेहतर तरीके से संरक्षित कर रखा गया है। सिंधु-घाटी सभ्यता से जुड़ा स्थल पुरातत्विक लिहाज से काफी अहम इस शहर की खास पहचान अपनी जल प्रबंधन व्यवस्था, बहु-स्तरीय सुरक्षा तंत्र सहित ढांचों के निर्माण में अत्यधिक पत्थरों के इस्तेमाल के लिए रही है।

              इसके साथ ही अब भारत में कुल ऐसी 40 साइट्स हैं, जिन्हें वर्ल्ड हेरिटेज का टैग मिल चुका है। गुजरात की बात करें तो धोलावीरा के अलावा पावागढ़ स्थित चंपानेर, पाटन और अहमदाबाद में रानी की वाव को भी वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिला है। आप को बता दें, इस बार वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल होने की रेस में धोलावीरा के साथ ईरान से हवारामन, जापान से जोमोन जॉर्डन से एस-साल्ट और फ्रांस से नाइस शामिल थे।




2 टिप्‍पणियां: