नभ में बैठे नभ से गगन की खूबसूरती चाहते हैं।
जा दिया तुझको अपनी नीलिमा,
क्या बादलों सी सफेदी चाहते हैं?
बोला गगन मुस्कुराकर, भाई..😊
क्यों आसमां सिर पर उठाये बैठे हो?
थोड़ी तन्हाई मुझको देकर,
मेरा किसलय तुम बन पाओगे।
देख लेना जगत में तुम विश्वजीत कहलाओगे।
उमा शंकर विद्यार्थी✍️
इतनी प्यारी रचना और शुभ-आशीष के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर🙏
विश्वजीत कुमार.
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