गुरुवार, 29 जुलाई 2021

देख लेना जगत में तुम विश्वजीत कहलाओगे।


 नभ में बैठे नभ से गगन की खूबसूरती चाहते हैं।

जा दिया तुझको अपनी नीलिमा,

क्या बादलों सी सफेदी चाहते हैं?

बोला गगन मुस्कुराकर, भाई..😊


क्यों आसमां सिर पर उठाये बैठे हो?

थोड़ी तन्हाई मुझको देकर, 

मेरा किसलय तुम बन पाओगे।

देख लेना जगत में तुम विश्वजीत कहलाओगे।

 

  उमा शंकर विद्यार्थी✍️

इतनी प्यारी रचना और शुभ-आशीष के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर🙏

 विश्वजीत कुमार.

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