भारत में राजनीतिक कार्टून कला के पितामह कहे जाने वाले "शंकर" के नाम से लोकप्रिय केशव शंकर पिल्लई का जन्म आज ही के दिन 31 जुलाई 1902 को कन्याकुमारी, केरल में हुआ था। स्कूल के दिनों में शंकर ने अपने एक शिक्षक की नींद की मुद्रा में कार्टून बनाकर एक कार्टूनिस्ट के रूप में अपनी क्षमता को दिखाया था।
मुम्बई में पढ़ाई के दौरान ही शंकर ने कई समाचारपत्रों में अपने कार्टून भेजना शुरू कर दिए थे। उन्होंने 1932 में हिन्दुस्तान टाईम्स में स्टाफ कार्टूनिस्ट के रूप में कार्टून बनाने की शुरुआत की। उन्होंने कार्टूनिंग के उन्नत तकनीक के अध्ययन के लिये लंदन, बर्लिन, रोम, वियना, जिनेवा और पेरिस का दौरा किया। शंकर्स वीकली, चिल्ड्रन्स वर्ल्ड और भारत पंच पत्रिकाओं का प्रकाशन के साथ उन्होंने अबू अब्राहम, रंगा और कुट्टी जैसे कार्टूनिस्टों को प्रशिक्षित भी किया।
1975 में शंकर ने इमरजेंसी के कारण राजनीतिक कार्टून बन्द कर बच्चों के लिए चित्र कहानियां शुरु किया। बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए उन्होंने 1952 में बच्चों के लिए एक वार्षिक चित्रकला प्रतियोगिता की शुरूआत की। बच्चों से विशेष प्यार के लिये उन्होंने 1957 में चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट और 1965 में अंतर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय की भी स्थापना की। उनका मानना था कि गुड़ियों के माध्यम से बच्चे तरह-तरह के लोगों के रहन सहन और वेश-भूषा के बारे में ज्यादा जान पायेंगे। उन्हे 1976 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री, पद्म भूषण एवं पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 26 दिसम्बर 1989 को शंकर का निधन हुआ। भारत में कार्टून कला की शुरुआत करने वाले कार्टूनिस्ट के रूप में वे सदैव याद किये जायेंगे।
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