दर्द को मेरे रवानी चाहिए।
आँखों में रोने को बस पानी चाहिए।।
कर तो लें फिर से मुहब्बत💗 हम इक दफ़ा।
मीरा जैसी इक दीवानी चाहिए ।।
शौक है जिनको जोखिम उठाने का।
हमें उनकी उल्फ़त भी आजमानी चाहिए।।
लाश स्वं की अब हमसे उठती नहीं।
हमें ना ऐसी जिंदगानी चाहिए।।
....और वो कितनी खता मेरी सहें।
अब तो हमको लाज आनी चाहिए ।।
दौलतें तो आती-जाती रहती हैं पर।
शान-ओ-शौकत तो हमे खानदानी चाहिए।।
नब्ज़ थम जाए उससे पहले 'विश्वजीत कुछ कर।
"जीस्त" को भी तो एक कहानी चाहिए।
विश्वजीत कुमार✍️
ग़ज़ल में प्रयुक्त कुछ शब्दों के अर्थ -
रवानी :- धारा-प्रवाह, बहाव।
उल्फ़त:- वह मनोवृत्ति जो किसी को बहुत अच्छा समझकर सदा उसके साथ या पास रहने की प्रेरणा देती है।
जैसे:- प्रेम; प्यार; इश्क़; प्रीति। दोस्तों या मित्रों में होने वाला पारस्परिक संबंध मित्रता; दोस्ती; याराना।
लाज:- (स्त्रीलिग) लज्जा, शर्म।
ज़ीस्त ziist (زِیسْت) :- (स्त्रीलिग) - जीवन, ज़िंदगी, जीवनयापन।
ज़ीस्त ziist (زِیسْت) :- (स्त्रीलिग) - जीवन, ज़िंदगी, जीवनयापन।
Bahut hi sundar
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