गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

सोचा है आज बैठ के ये इत्मीनान से...



सोचा है आज बैठ के ये इत्मीनान से। 

हम तुमको भुला देंगे यार जेहन-ओ-जान से ।।


बैठा है दिल उदास कब से जिद में तुम्हारी । 

लौटा है कब वो तीर जो गया कमान से ।।


हर सम्त बहार-ए-खुशी हो तेरी मुन्तशिर । 

गुजरे तेरी हयात आन - बान - शान से ।। 


जब से वो जान - ए - मन बनी है जान हमारी । 

धो बैठे हम तो हाथ तब से अपनी जान से ।। 


'रघुवंशी' बिना ब्याहा तन है, मन है विवाहित । 

माना है दुल्हन तुमको जिगर ने ईमान से ।।


साभार :- सोशल मीडिया

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