दर्द से भर गया वो मुझसे लिपटकर रोया ।
भूल वो शर्म-ओ-हया आज फफककर रोया ।।
इतना लाचार न पहले कभी उसे देखा ।
गम छुपाने में था नाकाम वो हंसकर रोया ।।
कैसे अल्फ़ाज़ में बयाँ करूँ उसकी हालत ।
दर्द से भर के गले तक वो तड़पकर रोया ।।
जिसको पत्थर बता रहा है सरेआम जहाँ ।
दिल ही दिल मोम का वो मर्द पिघलकर रोया ।।
घर में सबकी नज़र से बचके अपने कमरे में ।
दर-दरीचों को बंद कर वो सिसककर रोया ।।
इश्क में खुद को हार जिंदगी से उकता कर ।
माँ के आंचल से सूरमा वो दुबककर रोया ।।
जिसने मुद्दत से मुहब्बत लिखी है।
प्यार के नाम से घंटों वो सिहर कर रोया।।
साभार:- सोशल मीडिया
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