मेरी ग़ज़लों में तुम्हारी ही गुफ़्तगू आए ।
सैकड़ों मील से मुझको तेरी खुश्बू आए ।।
कितने रंगीन थे साए वो तेरी जुल्फों के।
सोचता हूं मैं जब तो आंख से लहू आए ।।
तुमने ही मुझे पे किया है कोई काला जादू।
हर घड़ी चेहरा तेरा मेरे रूबरू आए ।।
इतनी आवारागर्दी है कि हम अब क्या ही कहें।
मेरी नजरों को इक तेरी ही जुस्तजू आए ।।
कितने उक्ताए हैं हम जिंदगी से मत पूछो।
दिल जो थम जाए तो साक़ी हमें सुकूँ आए । ।
दिल की मैं बेकली कहूँ या आखरी ख्वाहिश ।
काश मैय्यत पे मेरी सज सँवर के तू आए।।
इस कदर भर गया बुराइयों से मैं अब तो ।
अपने किरदार से 'रघुवंशी' मुझे बू आए।।
साभार :- सोशल मीडिया
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