विवाह के उपरांत जीवन-साथी को छोड़ने के लिए 02 शब्दों का प्रयोग आमतौर पर होता हैं।
01-Divorce (अंग्रेजी)
O2- तलाक (उर्दू)
कृपया हिन्दी का शब्द बताए...????
यह लेख आजतक के Editor संजय सिन्हा के द्वारा लिखा गया है। यह जानकारी विस्तृत रूप में सभी के पास पहुंचे इसके लिए मेरे द्वारा पोस्ट किया जा रहा है। कृपया🙏 इसे पूरा पढ़ें।
तब मैं 'जनसत्ता' में नौकरी करता था। एक दिन खबर आई कि एक आदमी ने झगड़ा के बाद अपनी पत्नी की हत्या कर दी। मैंने खब़र में हेडिंग लगाई
"पति ने अपनी बीवी को मार डाला"
खबर छप गई, किसी को आपत्ति नहीं थी। पर शाम को दफ्तर से घर के लिए निकलते हुए प्रधान संपादक प्रभाष जोशी जी सीढ़ी के पास मिल गए। मैंने उन्हें नमस्कार किया तो कहने लगे कि
"संजय जी, पति की 'बीवी' नहीं होती !!!"
“पति की 'बीवी' नहीं होती?” मैं चौंका था🤔
तब वो बोले “बीवी" तो 'शौहर' की होती है, 'मियाँ' की होती है, पति की तो 'पत्नी' होती है।
भाषा के मामले में, प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था। हालांकि मैं कहना चाह रहा था कि
"भाव तो साफ है न ?"
बीवी कहें या पत्नी या फिर वाइफ, सब एक ही तो हैं। लेकिन मेरे कहने से पहले ही उन्होंने मुझसे कहा कि "भाव अपनी जगह है, शब्द अपनी जगह। कुछ शब्द कुछ जगहों के लिए ही बने ही होते हैं। ऐसे में शब्दों का घोलमेल गड़बड़ी पैदा करता है।
खैर, आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया। आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूं। लेकिन इसके लिए, आपको मेरे साथ निधि के पास चलना होगा।
निधि, मेरी दोस्त है। कल उसने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था। फोन पर उसकी आवाज़ से मेरे मन में शंका हो चुका था कि कुछ न कुछ गड़बड़ है। मैं शाम को.उसके घर पहुंचा। उसने चाय बनाई और मुझसे बात करने लगी। पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं, फिर उसने कहना शुरू कर दिया की नितिन से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है।
मैंने पूछा की- "नितिन कहां है?" तो उसने कहा कि अभी कहीं गए हैं, बता कर नहीं गए। उसने आगे कहा कि- बात-बात पर झगड़ा होता है और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है। ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है की अलग हो जाएं, तलाक ले लें!!
निधि जब काफी देर बोल चुकी तो मैंने उससे कहा कि तुम नितिन को फोन करो और घर बुलाओ। कहो कि संजय सिन्हा आए हैं। निधि ने कहा कि उनकी तो बातचीत नहीं होती फिर वो फोन कैसे करे ?
अज़ीब संकट था। निधि को मैं बहुत पहले से जानता हूं। मैं जानता हूं कि नितिन से शादी करने के लिए उसने घर में कितना संघर्ष किया था। बहुत मुश्किल से दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे। फिर धूमधाम से शादी हुई थी। ढ़ेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं। ऐसा लगता था कि ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है लेकिन शादी के कुछ ही साल बाद दोनों के बीच झगड़े होने लगे। दोनों एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाने लगे और आज उसी का नतीज़ा था कि संजय सिन्हा निधि के सामने बैठे थे, उनके बीच के टूटते रिश्तों को बचाने के लिए।
खैर, निधि ने फोन नहीं किया। मैंने ही फोन किया और पूछा कि तुम कहां हो? मैं तुम्हारे घर पर हूँ। जल्दी आ जाओ। नितिन पहले तो आनाकानी करता रहा पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया।
अब दोनों के चेहरों पर तनातनी साफ नज़र आ रही थी। ऐसा लग रहा था की कभी दो जिस्म-एक जान कहे जाने वाले ये पति-पत्नी आंखों ही आंखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे। दोनों के बीच कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी।
नितिन मेरे सामने बैठा था। मैंने उससे कहा कि सुना है कि तुम निधि से तलाक लेना चाहते हो ?
उसने कहा- हाँ!!! बिल्कुल सही सुना है। अब हम साथ नहीं रह सकते।
मैंने कहा कि तुम चाहो तो अलग रह सकते हो पर तलाक नहीं ले सकते।
उन दोनों ने एक साथ कहा- क्यों ???
क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है।
अरे यार, हमने शादी तो की है।
हाँ, शादी की है। शादी में पति-पत्नी के बीच इस तरह अलग होने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर तुमने 'मैरिज़' की होती तो तुम 'डाइवोर्स' ले सकते थे। अगर तुमने 'निकाह' किया होता तो तुम "तलाक" ले सकते थे लेकिन तुमने 'शादी' की है इसका मतलब ये हुआ कि "हिंदू धर्म" और "हिंदी" में कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं।
मैंने इतनी-सी बात पूरी गँभीरता से कही थी पर दोनों हँस पड़े थे। दोनों को साथ-साथ हँसते देख कर मुझे बहुत खुशी हुई थी। मैंने समझ लिया था कि रिश्तों पर पड़ी बर्फ अब पिघलने लगी है वो हँसे लेकिन मैं गँभीर बना रहा...
मैंने फिर निधि से पूछा कि ये तुम्हारे कौन हैं?
निधि ने नज़रे झुका कर कहा कि पति हैं। मैंने यही सवाल नितिन से किया कि ये तुम्हारी कौन हैं? उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि बीवी हैं।
मैंने तुरंत टोका- ये तुम्हारी बीवी नहीं हैं !!! ये तुम्हारी बीवी इसलिए नहीं हैं क्योंकि तुम इनके 'शौहर' नहीं !!! क्योंकि तुमने इनसे साथ "निकाह" नहीं किया तुमने "शादी" की है। 'शादी' के बाद ये तुम्हारी 'पत्नी' हुईं। हमारे यहाँ जोड़ी ऊपर से बन कर आती है। तुम भले सोचो कि शादी तुमने की है पर ये सत्य नहीं है तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ मैं सबकुछ अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा। बात अलग दिशा में चल पड़ी थी। मेरे एक-दो बार कहने के बाद निधि शादी का एलबम निकाल लाई अब तक माहौल थोड़ा ठँडा हो चुका था। एलबम लाते हुए उसने कहा कि कॉफी बना कर लाती हूं।
मैंने कहा कि "अभी बैठो इन तस्वीरों को देखो। कई तस्वीरों को देखते हुए मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई जहाँ निधि और नितिन शादी के जोड़े में बैठे थे और पाँव~पूजन की रस्म चल रही थी। मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली और उनसे कहा कि इस तस्वीर को गौर से देखो।
उन्होंने तस्वीर देखी और साथ-साथ पूछ बैठे कि "इसमें खास क्या है ?"
मैंने कहा कि "ये पैर पूजन का रस्म है तुम दोनों इन सभी लोगों से छोटे हो जो तुम्हारे पांव छू रहे हैं।
हां तो ???
ये एक रस्म है। ऐसी रस्म सँसार के किसी धर्म में नहीं होती जहाँ छोटों के पांव बड़े छूते हों लेकिन हमारे यहाँ शादी को ईश्वरीय विधान माना गया है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि शादी के दिन पति-पत्नी दोनों 'विष्णु और लक्ष्मी' के रूप हो जाते हैं। दोनों के भीतर ईश्वर का निवास हो जाता है। अब तुम दोनों खुद सोचो कि क्या हज़ारों-लाखों साल से विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग हुए हैं ? दोनों के बीच कभी झिकझिक हुई भी हो तो क्या कभी तुम सोच सकते हो कि दोनों अलग हो जाएंगे? नहीं होंगे। हमारे यहां इस रिश्ते में ये प्रावधान है ही नहीं। "तलाक" शब्द हमारा नहीं है, "डाइवोर्स" शब्द भी हमारा नहीं है।
यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि बताओ हिंदी में "तलाक" को क्या कहते हैं ???
दोनों मेरी ओर देखने लगे उनके पास कोई जवाब था ही नहीं फिर मैंने ही कहा कि दरअसल हिंदी में 'तलाक' का कोई विकल्प ही नहीं है। हमारे यहां तो ऐसा माना जाता है कि एक बार एक हो गए तो कई जन्मों के लिए एक हो गए तो प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता उसे करने की कोशिश भी मत करो या फिर पहले एक दूसरे से 'निकाह' कर लो फिर "तलाक" ले लेना।
अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ काफी पिघल चुकी थी।
निधि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी। फिर उसने कहा कि- "भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूं।
वो कॉफी लाने गई। मैंने नितिन से बातें शुरू कर दीं। बहुत जल्दी पता चल गया कि बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं। बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं।
खैर, कॉफी आई मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली। नितिन के कप में चीनी डाल ही रहा था कि निधि ने रोक लिया, भैया, इन्हें शुगर है चीनी नहीं लेंगे।
लो जी!!! घंटा भर पहले ये इनसे अलग होने की सोच रही थीं। और अब इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं।
मैं हंस पड़ा मुझे हंसते देख निधि थोड़ा झेंपी कॉफी पी कर मैंने कहा कि अब तुम लोग अगले हफ़्ते निकाह कर लो फिर तलाक में मैं तुम दोनों की मदद करूंगा।
शायद अब दोनों समझ चुके थे।
हिन्दी एक भाषा ही नहीं - संस्कृति है।
इसी तरह हिन्दू भी धर्म नही-सभ्यता है।
👆उपरोक्त लेख मुझे बहुत ही अच्छा लगा जो सनातन धर्म और संस्कृति से जुड़ा है। आप सभी से निवेदन है कि समय निकाल कर इसे पढ़ें, गौर करें, अच्छा लगे तो आप अपने मित्रों के बीच साझा करे। 👏👏
साभार:- सोशल मीडिया
Edit & Modified:- Bishwajeet Verma