आज ही के दिन यानी 14 जून 2022 ज्येष्ठ पूर्णिमा को भक्ति आंदोलन में योगदान देने वाले रहस्यवादी कवि व समाज सुधारक कबीर दास की 645वीं जयन्ती मनाई जा रही है। काशी में जन्मे और रामानन्द के शिष्य कबीर दास ने अपना सम्पूर्ण जीवन धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और मानव सेवा के कार्यो में लगा दिया था। अपने दोहों के माध्यम से भाईचारे, प्रेम, सद्भावना और सामाजिक समानता का संदेश देने वाले एवं वाह्य आडम्बर, पूजा पाठ, कर्मकांड, रूढियों और अंधविश्वास, जातिभेद, साम्प्रदायिकता का विरोध करने वाले कबीर दास के दोहे पांच सौ वर्षों के बाद आज भी भारतीय लोकमानस में बेहद प्रासंगिक, जीवंत और अपार लोकप्रिय है। निर्गुण उपासना और सत्य, अहिंसा, दया, करूणा, परोपकार जैसे मानवीय मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देने वाले कबीरदास जी ने सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जनजागरण कर समाज को नई दिशा देने का काम किया।
उपरोक्त प्रस्तुत चित्र कबीर की दार्शनिकता और आध्यात्मिक विचारों से प्रेरित जानीमानी समकालीन चित्रकार अर्पणा कौर की रचना है। चित्र में पेशे से बुनकर कबीर को धागा पकड़े दिखाया गया है, धागा जो आत्मा-परमात्मा सबको जोड़ता है। उनके द्वारा कबीर के विचारों के इर्द-गिर्द घूमते तैंतीस पेंटिंग और छह स्कल्पचर की सीरीज "बॉडी इज जस्ट अ गारमेंट" 1993 में ललित कला अकादमी में प्रदर्शनी के दौरान दुनिया भर में प्रशंसित हुई।
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