"संयोजन के सिद्धांत"
चित्र संयोजन में कला के तत्व को तथा षडंग को सुनियोजित करके कलाकार चित्र की रचना करता है। जिसमें निम्न सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है।
- सहयोग (यूनिटी)
- सामंजस्य हारमनी)
- संतुलन (बैलेंस)
- प्रभाविता (इन्फिसिस)
- प्रवाह (रिदम) लय
- प्रमाण (प्रपोषण))
सहयोग:- चित्र के आकर्षण तथा सुंदरता के बिखराव को बचाना। अर्थात, चित्र में सभी तत्वों का होना अनिवार्य है। इसके द्वारा चित्रों में एकरूपता बनी रहती है। सहयोग का मुख्य उद्देश्य होता हैं चित्र को एक से अधिक भागों में बंटने से बचाना।
सामंजस्य:- इसके द्वारा कला तत्वों में एकता उत्पन्न की जाती है तथा चित्र के भाव के अनुरूप तत्व तथा षडंग का चयन किया जाता है।
संतुलन:- यह एक ऐसा सिद्धांत है जिसमें विरोधी तत्वों को व्यवस्थित किया जाता है। यह गति को रोकता है एवं इससे स्थिरता आती है।
उद्देश्य:-
- आकृतिगत भार
- दृष्टिगत भार
- वर्ग सन्तुलन
प्रभाविता:- इसका तात्पर्य है किसी एक आकृति को महत्व देना, जिससे दर्शक की नजर सर्वप्रथम इसी पर केंद्रित हो।
उदाहरण:- अजंता की गुफा संख्या 17 में बना माता-पुत्र (भिक्षुक बुद्ध) का चित्र।
लय:- यह सभी ललित कलाओं में सामान्य तरीके से विद्यमान रहता है। सामंजस्यपूर्ण पुनरावृत्ति से उत्पन्न प्रभाव को लय कहा जाता है। इसमें नीरसता को कम किया जाता है।
प्रमाण (संबद्धता का सिद्धांत):- किसी भी आकृति का सही माप-तौल प्रमाण कहलाता है। प्रमाण को प्रमा भी कहा जाता है।
माध्यम एवं प्राविधि
टेम्परा:- भित्ति चित्रण का सबसे प्राचीन माध्यम टेंपरा है, इसमें माध्यम के रूप में किसी ना किसी पायस (चिपचिपा पदार्थ) की जरूरत होती है।
चित्र बनाते समय रंगों में तैल तथा जलीय दोनों प्रकार के तत्वों से युक्त पदार्थ को टेंपरा कहते हैं, जिसे आधुनिक रूप में ऐक्रेलिक कहा जाता है।
टेंपरा के लिए सबसे अच्छा पायस (प्रकृति) अंडे की जर्दी की सफेदी (एल्बुमिन) या पूर्ण अंडा। दूध की रेसिन (छाली), ग्लिसरीन, अलसी का तेल इत्यादि है।
Note:- सबसे प्राचीन गुफा जोगीमारा टेम्परा विधि से निर्मित है।
धरातल:- टेंपरा के लिए शोषक एवं कठोर धरातल की आवश्यकता होती है।
टेंपरा के लिए सबसे सर्वोत्तम धरातल "गैसोपट" होता है। दीवार (भित्ति), छत, कागज, कपड़े पर टेम्परा चित्रण किया जा सकता है।
भित्ति तथा छत टेंपरा का सर्वप्राचीन धरातल हैं।
उदाहरण:- अजन्ता, बाघ, जोगीमारा, इत्यादि।
कागज एवं कपड़ा:- कागज के ऊपर कागज रखकर घुटाई/घोटाई की जाती थी जिसे बसली कहते हैं तत्पश्चात टेंपरा से चित्रकारी की जाती थी, मुगल, राजस्थानी, पहाड़ी शैली, इत्यादि।
गैसोपट:- आधुनिक समय में चित्रकारों द्वारा इसका प्रयोग किया जाता है। इसको बनाने के लिए P.O.P + खरिया मिट्टी + सरेस + गर्म पानी को डालकर मिलाया जाता है, फिर इसे लकड़ी के पट पर डाला जाता है। सूखने के उपरांत से घीसा जाता है और टेंपरा के लिए धरातल तैयार किया जाता है।
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