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आज के इस लेख में हम चर्चा करेंगे विज्ञापन से संबंधित एक महत्वपूर्ण terms टाइपोग्राफी के बारे में।
Typography
टाइपोग्राफी को हिंदी में मुद्रण कला कहते हैं। किसी भी भाषा के शब्द को सुंदर तरीके से लिखने की कला जो पढ़ने एवं देखने में आकर्षक लगे उसे हम टाइपोग्राफी या मुद्रण कला कह सकते हैं।
Type का चुनाव:- वर्तमान में कंप्यूटर से तैयार डिजाइन के लिए विभिन्न प्रकार के टाइप प्राप्त होते हैं। यह टाइप का चुनाव की विज्ञापन को सुपाठ्य या आकर्षित बनाते है तथा संप्रेषित भी करते है।
लेआउट में प्रयुक्त टाइप:- 05 से 14 पॉइंट के अक्षरों का प्रयोग लेआउट बनाते समय किया जाता है। जिन्हें हम टेक्स्ट टाइप कहते हैं इनका प्रयोग बॉडी कॉपी, पत्रिका, समाचार पत्रों तथा पुस्तकों में किया जाता है। 14 से 72 पॉइंट के अक्षर को डिस्प्ले टाइप कहते हैं इनका प्रयोग मुख्य शीर्षक लिखने में किया जाता है। 72 से ऊपर बड़े अक्षरों को पोस्टर टाइप कहा जाता है।
सामान्यत: एक लाइन (-------) में 12 से 16 शब्द तथा 50 से 70 अक्षर अधिक सुपाठ्य माने जाते हैं।
क, ख, ग.... - 03 अक्षर
कमल - 01 शब्द
टाइप के मापन:- टाइप मापन में पॉइंट पद्धति का प्रयोग किया जाता है। टाइप मापने की सबसे बड़ी इकाई 72 पॉइंट होती है।
टाइप बॉडी = .918 इंच 2.33 सेंटीमीटर
टाइपफेस = मुख्य भाग
- अधिक चौड़े अक्षरों (M,W) को सेट वेथ कहा जाता है।
- कम चौड़े अक्षरों (I) को मेरोथ कहा जाता है।
टाइपोग्राफी की खोज 18वीं शताब्दी (1737 ई०) में फ्रेंच टाइपोग्राफर पियरे सिमोन फेरनी सेन ने की थी।
पॉइंट तथा पाईका विधि के माध्यम से टाइपोग्राफी की माप की जाती है जो हाथों से बने होते हैं जबकि कंप्यूटर से बने टाइप को मापने के लिए यूनिट (इकाई) का प्रयोग किया जाता है।
पॉइंट:- यह अक्षरों की ऊंचाई को मापता है। A
पाईका:- यह शब्द के लाइनों को माप करता है। Bishwajeet
01 इंच में छ: पाईका होते हैं।
01 पाइका में 12 पॉइंट
01 इंच में 72 पॉइंट।
हाथ से ढाले गए अक्षरों को हम 05 से 72 टाइप के अक्षर छाप सकते हैं जबकि डिजिटल तरीके से अक्षरों को हम 02 से 120 पॉइंट तक छाप सकते हैं।
अंतराल (Space) :- एक अक्षर एवं शब्द लिखने के उपरांत उसके बीच खाली जगह को हम अंतराल कहते हैं, अंतराल को चार भागों में बांटा गया है।
- अक्षर अंतराल
- शब्द अंतराल
- रेखा अंतराल
- पैराग्राफ अंतराल
टाइप सेटिंग:- पृथक-पृथक अक्षरों को संयोजित करके एक लेख (मैटर) तैयार करने को टाइप सेटिंग कहते हैं। टाइप सेटिंग दो प्रकार की होती है-
- हार्ड मेटल कंपोजिंग
- कोल्ड मेटल कंपोजिंग
हार्ड मेटल कंपोजिंग:- इसमें हाथ तथा मशीनों से टाइपो को संयोजित करके मुद्रण किया जाता है।
कोल्ड मेटल कंपोजिंग:- इसमें कंप्यूटर का प्रयोग करके टाइपो को संयोजित किया जाता है।
Remember
- प्रथम टाइप कंपोजिंग मशीन 1825 ईस्वी में आई थी।
- प्रथम मोनोटाइप मशीन 1887 ई० में टालबर्ट लास्टर के द्वारा लगाया गया था।
- लाईनोटाइप मशीन 1886 ई० में मेजर ऐंथेलर के द्वारा लाया गया।
- कोल्ड कंपोजिंग मशीन 1960 ई० इससे कंप्यूटर के द्वारा मुद्रण किया जा सकता था।
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