रविवार, 19 जून 2022

कला के षडंग ऑनलाइन क्लास नोट्स Kala Ke Shadang Online Class Notes 13-06-2022.

(4). लावण्य योजना:-  इसका अर्थ होता है- वाह्य सौंदर्य, रूप राशि  एवं इसे कांति भी कहा जाता है।

Note:- आयोग के द्वारा वाह्य सौंदर्य इसका सही विकल्प है।

(5). सादृश्य:- देखे हुए रूपों के समान आकृति। 

  • चित्रसुत्र पुस्तक में सादृश्य को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। 


चित्रेसादृश्य प्रकरणं प्रधानम परीकीर्तम् 

चित्रसूत्र 


      पंचदशी चौदहवीं शताब्दी ईस्वी में विधारण्यम मुनि ने लिखा था। इसमें भी सादृश्य के बारे में बताया गया है। 

  • मूर्तिकला पूर्णत: सादृश्य पर आधारित होती है।


 (6) वर्णिका भंग:- विभिन्न प्रकार के रंगों का मिश्रण।

  • वर्णिका - रंग भंग - मिश्रण  

षडंग की सबसे कठिन साधना वर्णिका भंग को माना जाता है।


कला के तत्व (एलिमेंट्स ऑफ आर्ट)

कला के तत्व छ: होते हैं 

  • रेखा (लाइन) 
  • वर्ण/रंग (कलर) 
  • रूप (फॉर्म) 
  • तान (टोन) 
  • पोत (टेक्चर) 
  • अंतराल (स्पेस)
(1) रेखा - दृश्य अभिव्यक्ति का सबसे प्राचीन तथा सरल माध्यम रेखा है। यदि इसकी परिभाषा की बात की जाए तो दो बिंदुओं के बीच की दूरी रेखा कहलाती है।

रेखा मुख्यतः दो प्रकार की होती है। 

  1. सरल रेखा/ज्यामितीय रेखा/आर्किटेक्चरल लाइन/औपचारिक रेखा/स्थापत्य रेखा/तटस्थ रेखा 
  2. वक्र रेखा/अनौपचारिक रेखा (इनफॉर्मल लाइन)

(1) सरल रेखा:- यह रेखा अपनी दिशा नहीं बदलती है। इन रेखाओं का निर्माण यंत्रों के माध्यम से किया जाता है इन रेखाओं से ही भारतीय लोक कला अल्पना अपना आधार बनाती है। इन रेखाओं के माध्यम से मकान तथा सेतु के प्राक्कल्पना को साकार किया जाता है। इसका भाव निर्जीवता एवं कठोरता को प्रस्तुत करता है। 

(2) वक्र रेखा:- यह रेखा अपनी दिशा बदलती रहती है इन रेखाओं का प्रयोग चित्रकला के लिए किया जाता है। इन रेखाओं के निर्माण में यंत्रों की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसका प्रभाव सजीवता को प्रस्तुत करता है। इन रेखाओं का प्रयोग एशिया की कला में सर्वाधिक हुआ है।

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           दिशा:- रेखाओं की तीन दिशा होती है-

  1. क्षैतिज रेखा (होरिजेंटल लाइन) ____
  2. उध्र्व रेखा (वर्टिकल लाइन) |
  3. कर्णवत रेखा (डायगोनल लाइन) /
रेखाओं के अन्य प्रकार -
  • लंबवत रेखा/सीधी खड़ी रेखा (वर्टिकल लाइन) |
प्रभाव/भाव - ऊंचाई, गौरव, दृढता, उच्चता, संतुलन, प्रतिष्ठा, महत्वाकांक्षा, इत्यादि।

  • क्षैतिज रेखा/पड़ी रेखा/आधारवत रेखा (होरिजेंटल लाइन) ____
प्रभाव/भाव - शांति, स्थिरता, निष्क्रियता, इत्यादि।
यह चित्र में भूमि का कार्य करती है।
  • कर्णवत रेखा/ अड़ी रेखा (डायगोनल लाइन) /
प्रभाव/भाव - व्याकुलता, बेचैनी, गति, इत्यादि।
यह रेखा हमेशा अपना आधार ढूंढती है।
  • चक्राकार रेखा (स्पाइरल लाइन)
प्रभाव/भाव -  भ्रम, गति, लय, इत्यादि प्रभाव पैदा करती हैं।

  • एक पूंजीय रेखा (राइडल लाइन)
प्रभाव/भाव - देश प्रेम, शांति, शोभा, प्रसार, प्रकाश, इत्यादि।

  • कोणात्मक रेखा 
प्रभाव/भाव -  व्याकुलता

  • दुर्बल रेखाएं - इनकी कोई दिशा नहीं होती।
प्रभाव - अनिशिचता

  • सशक्त रेखा यह रेखा एक निश्चित दिशा में एक निश्चित उद्देश्य से खींची जाती है।
प्रभाव - दृढ़ता।
Note - इस रेखा का प्रयोग के. के हैबर एवं निरोद मजूमदार ने किया है।

कोमल रेखा - (हल्की तथा धुंधली) इन रेखाओं का प्रयोग हल्के डम्प पेपर पर/नम पेपर पर किया जाता हैं। अधिकतर उसका प्रयोग वाश में  किया गया है।
प्रभाव - सुक्ष्मता,प्रेम, स्पर्श।

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