राघव कनेरिया
इनका जन्म 1936 ई० में गुजरात में हुआ था। इनकी शिक्षा महाराजा सैयाजी विश्वविद्यालय (M.S. University) से पूरी हुई।
Note:- M.S. University की स्थापना 1950 में हुई थी।
राघव कनेरिया के गुरु शंखों चौधरी थे। इन पर मारिनी मरिनो, हेनरी मूर, अमरावती के मूर्ति शिल्प का प्रभाव दिखाई देता है। इनका माध्यम कांसा, लकड़ी एवं टेराकोटा (मटके के टुकड़े) इत्यादि था।
इनके विषय हमेशा से सुंदर जानवरों की मूर्तियां रही हैं। जैसे:- गाय, साड़, बछड़े, इत्यादि।
इनके द्वारा बनाई गई मूर्तिया निम्न हैं:-
- बुल - कांसा
- विस्फोट
- कलोल करता बछड़ा कांसा
- लाल कलंगी
- राजसी मुर्गी
- नंदी - stainless-steel
इनका जन्म 1935 ईस्वी में केरल में हुआ था। इन्होंने केरल की एक मंदिर का डिजाइन तैयार किया था। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प हैं-
- मुकेला पेरूमल
- यक्षी
- मदर एंड फर्टिलिटी।
नागजी पटेल
इनका जन्म 1937 ईस्वी में गुजरात में हुआ था एवं इनकी शिक्षा गुजरात से ही पूरी हुई। इनकी आकृतिया रहस्यात्मक (इन्द्रिय अनुभूती) प्रभाव लिए हुए होती है। इनके गुरु स्थापित गणपति हैं।
नागजी पटेल अपनी मूर्तियों में शीशम की लकड़ी का प्रयोग करते थे। संगमरमर के संवेदनशील कार्यों के लिए भी यह जाने जाते हैं। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प है:-
बलबीर सिंह कट्टट
इनका जन्म 1938 ईस्वी में रावलपिंडी पाकिस्तान में हुआ था। इनकी शिक्षा शांतिनिकेतन से पूरी हुई। इनके गुरु रामकिंकर बैज थे जिनका जन्म 1910/1906 में हुआ था।
स्कल्पचर फोरम ऑफ इंडिया के सदस्य भी थे। इन्होंने बड़े-बड़े आकार की मूर्तियों का निर्माण किया और इसके लिए वे प्रसिद्ध भी थे। इनका माध्यम पत्थर (गुलाबी पत्थर, चूना पत्थर, संगमरमर पत्थर, उड़ीसा के पतंग पत्थर) हैं इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प है-
- नामदेश्वर
- मॉन्यूमेंट
- यलो शन सलीस्ट वुड्स ए क्रॉस इत्यादि।
मृणाली मुखर्जी
इनका जन्म 1949 ईस्वी में मुंबई में हुआ था। इनके पिता विनोद बिहारी मुखर्जी एवं माता लीला मुखर्जी है। इनकी शिक्षा बरौदा से पूर्ण हुई एवं के.जी. सुब्रमण्यम से भित्ति चित्रण (म्यूरल) की शिक्षा ली थी। माध्यम इनका जुट एवं सन की रस्सी (मैक्रोम)/झालर एवं धातु के छल्ले थे। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प है-
- वूमेन ऑफ पीकॉक
- वाहन
- पुष्प (द फ्लावर)- मैक्रोम/झालर।
अंकित पटेल
इनका जन्म 1957 ईस्वी में गुजरात के सूरत में हुआ था। यह अपने चलायमान (काइनेटिक स्कल्पचर) के लिए जाने जाते हैं। मोबाइल कृति चंचल कृति भी उसे कहा जाता है।
Note:-शंखों चौधरी भी इसी कार्य के लिए प्रसिद्ध है।
इनका माध्यम ब्रास - पीतल, कॉपर - तांबा हैं इन्होंने अधिकतर धातुओं में कार्य किया। इनके मूर्ति शिल्प है-
- युगल/मुगल
इनका जन्म 1956 ईस्वी में हुआ था। यह संगमरमर एवं मिट्टी (क्ले) से मूर्तियों का निर्माण करते थे। इन्हें 2010 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। इनके मूर्ति शिल्प बनी-ठनी है जोकि संगमरमर से निर्मित हैं एवं वर्तमान में दिल्ली में इसे रखा गया है। इसकी विशेषता पारदर्शी घुंघट है जिसके लिए यह बहुत प्रसिद्ध है।
इनका जन्म 1955 ई० ,में शिलांग में हुआ था। यह फाइबर ग्लास माध्यम से मूर्तियों का निर्माण करते थे।
विमान बिहारी दास
इनका जन्म 1943 ईस्वी में पश्चिम बंगाल में हुआ था, यह एक मूर्तिकार है। इन्होंने शिक्षण कार्य कोलकाता कॉलेज ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल के पद पर रहकर किया। इनके गुरु चिंतामणिकर थे। इनके मूर्ति शिल्प देवी एवं मिथुन है जो कि श्रृंखला कार्य है। यह पोर्टेड भी बनाते थे एवं शास्त्रीय संगीत से प्रभावित थे।
अनीता दुबे
इनका जन्म 1958 ईस्वी में लखनऊ में हुआ था एवं शिक्षा बड़ौदा से इन्होंने प्राप्त की। ये मूर्तिकला, इंस्टॉलेशन, फोटोग्राफी के लिए जानी जाती है।
लतिका/ललिता कट्टट
इनका जन्म 1948 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुआ था, शिक्षा इन्होने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (B.H.U.) से प्राप्त की। 1971 ई० में अपने पति बलबीर सिंह कट्टट/काट (B.S. Katt) के साथ इंग्लैंड गई तथा 1973 में भारत वापस आकर एम. एस. विश्वविद्यालय से संबंध हो गई।
यह धातुओं की बड़ी-बड़ी मूर्तियों के लिए जाने जाती है। इन्होंने पत्थर पर उत्कीर्णन का कार्य किया है। इनके विषय संवेदनशील हुआ करते थे। यह वर्तमान में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में H.O.D. के पद पर आसीन हैं। इनके मूर्ति शिल्प हैं:-
- जे. राम पटेल पान खाते हुए जो कि कांसे से निर्मित है और वर्तमान में NAGMA में स्थापित है। इसकी स्थापना 1954 ई० में हुई थी।
- खेत (फील्ड)
- तख़्ती (अर्थी)
जे. राम पटेल
इनका जन्म 1930 ईस्वी में गुजरात में हुआ था। इन्होंने लंदन से टाइपोग्राफी एवं विज्ञापन की शिक्षा प्राप्त की है। इनका माध्यम धातु एवं जली हुए लकड़ियों का यह प्रयोग करते थे। इसके अलावें काले रंग (चीनी स्याही) से कागज पर विशेष आकार की खोज कर चित्रों का निर्माण किए हैं। इनके मूर्ति शिल्प हैं-
- स्टडी इन साइलेंस
ध्रुव मिस्त्री
इनका जन्म 1957 ई० में गुजरात में हुआ था। इनकी शिक्षा बड़ौदा से पूरी हुई इनके गुरु राघव कनेरिया हैं। लंदन में फिलिप किंग तथा जॉन डेविस के साथ इन्होंने कार्य किया। इनके मूर्ति शिल्प है:-
- मैन विथ डॉग
- वेस्ट धड़
- हर हेड (उसका सिर)
- यूथ (Youth).
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