(2). रंग Colour):- रंग प्रकाश का गुण है कोई स्थूल वस्तु नही।
वर्ण- वर्ण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ऋग्वेद ग्रंथ में मिलता है।
अजाइक न्यूटन वैज्ञानिक ने प्रकाश को प्रिज़्म के सहारे से गुजारा जिससे सात रंग (इंद्रधनुषिय रंग) प्राप्त होता है।
- बैगनी - V - वायलेट
- आसमानी - I -नीला
- नीला - B - ब्लू
- हरा - G - ग्रीन
- पीला - Y - येल्लो
- नारंगी - O - ऑरेंज
- लाल - R - रेड
Note:- हरा रंग अपना स्थान नहीं छोड़ता है।
रंगों के गुण
- रंगत (ह्यू)
- मान/बल (वैल्यू)
- घनत्व/सघनता
- रंगत (ह्यू) - रंगत (ह्यू) वर्ण का स्वभाव होता है। जैसे:- लालपन, नीलापन, पीलापन, इत्यादि।
- मान/बल (वैल्यू) - मान रंगत के हल्के एवं गहरेपन को कहते हैं।
- घनत्व/सघनता - यह रंगों की शुद्धता का परिचायक होता है।
पुराने ग्रंथों में रंगों के बारे में वर्णन
- शिल्प रत्न- शिल्प रत्न नामक ग्रंथ में प्राथमिक रंगों को सुधा वर्ण कहा गया है।
- विष्णुधर्मोत्तर पुराण- विष्णुधर्मोत्तर पुराण के 35 - 43 अध्याय तक चित्रसुत्र नामक प्रकरण के 9वें अध्याय में कला के बारे में बताया गया है जिसमें प्राथमिक रंग को मुल वर्ण के नाम से पुकारा गया है।
पदार्थ के प्राथमिक रंग - नीला, पीला, लाल. (B, Y, R)
प्रकाश के प्राथमिक रंग लाल, हरा, नीला. Or लाल, हरा, बैंगनी। (R.G.B. or R.G.V.)
प्राथमिक रंग - ऐसे रंग जो किसी अन्य रंगो के मिलाने से नहीं बनाए जा सकते उन्हें प्राथमिक रंग कहा जाता है। यह रंग सर्वाधिक सघन माने जाते हैं।
जैसे:- लाल, पीला, नीला।
द्वितीयक रंग/सेकेंडरी कलर - दो प्राथमिक रंगों को मिलाने से द्वितीयक रंगो का निर्माण होता है।
जैसे:- लाल + नीला = बैंगनी
लाल + पिला = नारंगी
पिला + नीला = हरा
प्राग ने तृतीयक रंगों के बारे में बताया।
आलिष (जैतूनी)
रसैट (समुद्री हरा)
सिटन (धानी)
रंगों के प्रभाव
ठण्डा रंग (कुल कलर) - इनका संबंध प्रकृति की हरियाली से होता है। नीला सबसे ठंडा रंग माना जाता है इसके अलावा हरा एवं बैंगनी भी ठंडे रंग की श्रेणी में आते हैं।
इन ठंडे रंगों को पृष्ठगामी रंग भी कहा जाता है।
गर्म रंग (वार्म कलर) - सूरज की लालिमा से इसका संबंध हैं। ऐसे रंगों को चुहचूहा रंग कहा जाता है। चुहचूहा रंग शब्दों का प्रयोग मुगल शैली में किया गया है।
पीला, लाल, नारंगी गर्म रंग की श्रेणी में आते हैं।
C - श्याम - नीला
M - मैजेंटा - लाल
Y - येलो - पीला
K - की कलर (काला रंग) Key Colour (Black Colour)
योगात्मक कलर (एडिटिब कलर) - इन्हें हम प्रकाश के रंग भी कह सकते हैं। इन सभी रंगों को आपस में मिलाने से ये सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं तथा ये रंग सॉफ्ट होते हैं। इनका इस्तेमाल स्क्रीन (Mobile, T.V. Laptop, Desktop, etc.) पर किया जाता है।
व्यकलात्मक रंग (subtractive colour) पदार्थ की रंगत :- इन रंगों के प्रयोग से आजकल समाचार पत्र, पत्रिका, इत्यादि में विज्ञापन छापे जाते हैं। इन सभी रंगों को आपस में मिलाने से यह काले रंग में परिवर्तित हो जाते हैं।
समीपवर्ती वर्ण (Analogous colour):- रंग चक्र में आपस के रंगों को/आसपास के रंगों को समीपवर्ती वर्ण कहते हैं।
विरोधी रंग (कंप्लीमेंट्री कलर) रंग चक्र में आमने-सामने के रंगों को विरोधी रंग कहा जाता है। इन दोनों रंगों को आपस में मिलाने पर काला प्रभाव छोड़ते हैं।
तटस्थ रंग (एक्रोमेटिक कलर) धूसर रंग :- काला, सफेद, भूरा।
Note:- रंगों में काला एवं सफेद की गिनती नही की जाती है।
रंगों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
लाल - यह सबसे आकर्षक रंग माना जाता है। यह रंग स्त्रियों का सबसे प्रिय रंग होता है। यह खतरा, उग्र, प्रेम का प्रतीक होता है।
नीला - इसका प्रतीक शांत, ईमानदारी, गहराई विशालता का प्रतीक होता है। यह रंग पुरुषों का सबसे प्रिय होता है।
पीला - यह सबसे कम लोकप्रिय रंग है। इसका प्रभाव प्रकाश, दिव्यता, ज्ञान, आशावाद, बुद्धि का प्रतीक होता है।
सफेद रंग - शांति, शुद्धता, पवित्रता का प्रतीक होता है।
काला रंग - तमस (अंधेरा) डर, भय, विरोध और अवसाद इत्यादि को प्रदर्शित करता है।
बैंगनी रंग - यह राजसी वैभव का प्रतीक है। इसके अलावा यह सम्मान, मृत्यु का भी प्रतीक होता हैं।
नारंगी - ज्ञान, वीरता, बलिदान।
नीला + कत्थई को मिलाने से लगभग काला रंग तैयार होता है।
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