मंगलवार, 14 जून 2022

जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत पेपर संख्या 04 "कला का इतिहास" का हिंदी नोट्स। Hindi Notes of Paper No. 04 "History of Art" under Main Examination of District Art and Culture Officer.

       बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा में सभी 247 सफल उम्मीदवारों को बधाई एवं मेन्स के लिए शुभकामनाएं💐  इस Blogs के माध्यम हम मेंस के सभी विषयों के हिंदी नोट्स आपको प्रदान करते रहेंगे। नीचे दिए गए Link के माध्यम से आप सभी पोस्ट एक साथ प्राप्त कर सकते हैं।


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      आज के इस लेख में हम चर्चा करेंगे दृश्य कला से संबंधित एक महत्वपूर्ण terms छापा कला के बारे में।


छापा कला का इतिहास


आरंभिक मुद्रण काल:-  चित्रकला से लिपि (अक्षर) का निर्माण होता है तथा लिपि के पश्चात संप्रेषण बढ़ाने के लिए मुद्रण की खोज हुई। मानव के संप्रेषण इतिहास में यह एक क्रांति का युग था। मुद्रण कला का प्रारंभिक प्रयास बौद्धिस्थो द्वारा किया गया।

      सबसे प्रारंभिक मुद्रण कि यदि बात की जाए तो उसे कपड़ों पर पैटर्न के रूप में छापा गया था। इसमें "वुडकट" का प्रयोग करके छपाई की गई थी।

     छापा कला की खोज सर्वप्रथम चीन में हुई उसके उपरांत जापान, कोरिया, एशिया महाद्वीप में छापा कला का विस्तार हुआ। सामाजिक संवादों (संप्रेषण) को बढ़ाने के लिए बौद्ध अनुयायियों ने धर्म में इसका विशेष प्रयोग करते थे।

       चीन में 165 ईसवी के प्रारंभ में कनफियूसीयस नामक वैज्ञानिक ने पत्थरों पर छापा तैयार किया। जिसे पत्थर की पुस्तक कहा जाता है। चीन में ही 105 ईसवी में कागज का आविष्कार तसअईलून के द्वारा किया गया। मुद्रण कला के लिए कागज का आविष्कार एक क्रांतिकारी रूप था। 

Note:- कागज का प्रारंभिक रूप पेपिरस की छाल (वृक्ष) है जो हमें मिश्र से प्राप्त होता है।


     सबसे अच्छा कागज सैलूलोज फाइबर का माना जाता है। सन 770 (आठवीं शताब्दी) ईस्वी चीन में ऊपरी सतह पर छापाकारी का बहुत अधिक विकास होता हैं।

        अक्षरों के साथ चित्रों का संयुक्त रुप से छापा तैयार किया जाने लगा। सर्वप्रथम छापी गई पुस्तक हिरम्यसूत्र (डायमंड सूत्र)/हीरा सूत्र हैं। 16 फीट लंबी एवं 12 इंच चौड़ी इसका आकार है। इसे गोल लपेटकर स्क्रॉल के अनुरूप रखा जाता है। यह सबसे पुरानी दिनांकित मुद्रित पुस्तक है।


      सात कागजों के उपर यह पुस्तक तैयार हुई है। भारत के संस्कृत ग्रंथ वज्रछेदित प्रज्ञापरमिता का बाद में चीनी भाषा में अनुवाद किया गया।


     भारतीय + तुर्की भाषा में बाद के समय में बोध कुमार के द्वारा अनुवाद किया गया। तत्पश्चात चीनी भाषा में अनुवाद किया गया।

       चीन के पेई सेंग ने 1040 ई० में मिट्टी के पक्के हुए अक्षरों का आविष्कार किया। इन अक्षरों को लकड़ी के ब्लॉक में रखकर गतिशील रूप में वह छपाई करते थे। जिसे वुडेन मूवेबल टाइप कहा जाता है।

Note:- मेटल मूवेबल टाइप का आविष्कार जर्मनी में हुआ था।

     1403 ई० में कोरिया में पीतल के गतिशील  अक्षरों मूवेबल टाइप का आविष्कार हुआ। यह कला धीरे-धीरे समरकंद पारसिया होते हुए यूरोप पहुंची, रेशम के व्यापारियों के द्वारा। तेरहवीं शताब्दी में जब यह छापा कला यूरोप पहुंची तब वहां लकड़ी की छपाई (वुडकट) शुरू हुई। वहां पर प्लेइंग कार्ड (ताश के पत्ते) तत्पश्चात धार्मिक ग्रंथों को छापा गया।


     चौदहवीं शताब्दी ईस्वी में यूरोप में छापी गई प्रथम पुस्तक सौभाग्यवती मरियम की कहानी (द स्टोरी ऑफ द ब्लेस्ट मरियम) हैं।


      1440/50 में जर्मनी के मेंज शहर में जॉन गुटेनबर्ग के द्वारा धातुओ के गतिशील अक्षरों का आविष्कार किया गया। इसे मूवेबल मैटल टाइप भी कहा जाता है। जॉन गुटेनबर्ग के द्वारा मूवेबल मैटल टाइप से सर्वप्रथम 42 लाइनों वाली बाइबल को ओल्ड इंग्लिश (ब्लैकलेटर) में छापा गया। यूरोप में धातु के गतिशील अक्षरों द्वारा छापी गई प्रथम पुस्तक बाइबिल हैं। 

      जॉन गुटेनबर्ग ने 1455 ई० में अपना प्रेस बंद कर दिया। 16वीं शताब्दी ईस्वी में क्रिस्टोप प्लाटिन ने इस पद्धति का प्रयोग पुनः आरंभ किया।

      लगभग 1460 (15वीं शताब्दी) में अल्बर्ट फ़िसर के द्वारा गुटेनबर्ग के टाइप को मिलाकर लकड़ी के ब्लॉक पर चित्र बनाएं तथा दोनों को साथ में रखकर छापे। यूरोप की सर्वप्रथम सचित्र पुस्तक 1460 ई० में अल्बर्ट फ़िसर के द्वारा द फार्मर फ्रॉम बोहमैन्स छापी गई। यह पुस्तक सचित्र थी।


      गुटेनबर्ग का सहयोगी पीटर स्योफर के द्वारा दो रंगों से छापाकारी कार्य प्रारंभ होता है। 14 अगस्त 1457 ई० से वह यह कार्य प्रारंभ करते हैं।

         लाल और नीला इन दो रंगों का प्रयोग कर सर्वप्रथम स्रोत संहिता का मुद्रण किया गया था। इसलिए कह सकते हैं कि सर्वप्रथम रंगीन पुस्तक स्रोत संहिता थी। यूरोप में सर्वप्रथम हस्ताक्षरित यानी कि हस्ताक्षर की हुई पुस्तक स्रोत संहिता थी। 


1477 ई० में प्रथम प्रतीक चिन्ह/चित्र (सिम्बल) का प्रारंभ हुआ। 1477 ई० में ही अंग्रेजी भाषा का पहला विज्ञापन तैयार किया गया। 

चित्रकला के रूप में छापा कला का प्रयोग करने वाला प्रथम कलाकार अल्बर्ट डियूरर जर्मनी का है। 1471 से 1498 ई० में अल्बर्ट डियूरर के द्वारा एपीकेलिरस पुस्तक छापी गई इसमें 15 चित्र हैं। जिसका विषय संत जॉन हैं। इसे वुड कट में छापा गया है।

कुमारी का चित्र इन्हीं के द्वारा छापा गया था।

इटली के पुनर्जागरण में छापाकला का काफी योगदान हैं।

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