शनिवार, 11 जून 2022

समकालीन भारतीय मूर्तिकार (contemporary Indian sculptor) Online Class Notes:- 10-06-2022.

वेद नायर 


        इनका जन्म 1933 ईस्वी में पंजाब के लायलपुर में हुआ था वर्तमान में यह पाकिस्तान के इलाके में पड़ता है। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प हैं:- 

  • कल्पवृक्ष 
  • डिस्पेयर एंड होप 
    पेशे से यह मूर्तिकार, चित्रकार एवं इंस्टॉलेशन आर्टिस्त हैं, इनकी शिक्षा दिल्ली से पूरी हुई।


शिव सिंह 


     इनका जन्म 1938 ईस्वी में होशियारपुर पंजाब में हुआ था। इनकी शिक्षा चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से पूरी हुई। मूर्ति के लिए इसमें लोहे की रॉड (सरिया) का प्रयोग किए हैं।


एम.एम. रिमजान


       इनका जन्म 1957 में केरल में हुआ था यह एक मूर्तिकार है। इन्होंने धातु एवं फाइबरग्लास के माध्यम का प्रयोग कर मूर्तियों का निर्माण किया। विशेष रूप से यह स्टील का प्रयोग करते थे। इन्हें दार्शनिक मूर्तिशिल्प  भी कहा जाता है। यह प्रतीकात्मक तथा गुढ़ मूर्तियों के लिए जाने जाते हैं। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प है- 

  • मैंन इन ए चौक सर्कल - फाइबरग्लास। वर्तमान में यह मूर्ति शिल्प नगमा (NGMA) में सुरक्षित है।

जी. रविंद्र रेडी 

     इनका जन्म 1956 ई० में आंध्र प्रदेश में हुआ था। पेशे से यह एक मूर्तिकार थे। इन्होंने अपनी शिक्षा महाराजा सयाजी विश्वविद्यालय बड़ौदा गुजरात से प्राप्त की थी। यह ओवर लाइफ़साइज मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
       गोल्ड लीफ से सजी-धजी स्त्रियां, अनोखे प्रकार से स्त्रियों को इंद्रियता के आधार पर इन्होंने बनाइ हैं। 
Note:- यह कामुक स्त्रियों की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।

 इनकी मूर्तियां पिनय गर्ल का प्रभाव दर्शाती है।

सुबोध गुप्ता 

       इनका जन्म 1964 में बिहार में हुआ था। यह एक मूर्तिकार एवं इंस्टॉलेशन आर्टिस्ट है। इनकी शिक्षा कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना एवं नई दिल्ली से प्राप्त हुई। वर्तमान में यह नई दिल्ली में रहते हैं। इनका माध्यम इस्पात (स्टील)/धातु/बर्तन है। इनके द्वारा बनाए गए मूर्ति शिल्प है:- 
  • बनयान ट्री (वट वृक्ष) राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के प्रांगण में स्थित है जिसमें बर्तनों का प्रयोग किया गया है। 
  • लाइन ऑफ कंट्रोल 
  • सात समंदर पार 
  • मी एंड माय मदर (काऊ डंक) गाय के गोबर से निर्मित 
  • बिहारी 
  • वेरी हैम्ती गॉड 
  • गांधीजी के तीन बंदर

के.जी. सुब्रमण्यम 

          इनका जन्म 1924 ईस्वी में पालघाट केरल में हुआ था। इनकी शिक्षा शांतिनिकेतन एवं मद्रास से पूरी हुई। इनके गुरु विनोद बिहारी मुखर्जी थे। यह गांधी जी के विचारों से बहुत ही ज्यादा प्रभावित थे। शिक्षण कार्य इन्होंने शांतिनिकेतन एवं बड़ौदा में किया। यदि इनके माध्यम की बात की जाए तो लकड़ी, फाईबर, टेराकोटा टाइल्स का प्रयोग ये खिलौने और म्यूरल (भिति चित्र) के निर्माण में करते थे। इनका प्रिय माध्यम टेराकोटा टाइल्स था। इनके द्वारा लिखी पुस्तक मूविंग फोकस द लिविंग ट्रेडिशन है।

       द किंग ऑफ डार्क चैंबर म्यूरल जिसमें 13000 टेराकोटा टाइल्स का प्रयोग किया गया है। यह लखनऊ के रविंद्रालय के बाहर दीवार पर बना है। इसे 1962 ई० में बनाया गया था।


N. पुष्पमाला 

        यह एक महिला मूर्तिकार है। इनका जन्म 1956 ईस्वी में कर्नाटक में हुआ था। पिछले कुछ वर्षों से यह स्वयं को मॉडल बनाकर प्रस्तुत करती आ रही है। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प हैं:- 
  • एंड देंन व्हाटस हैपेन्ड (And Then Whats Happend) - टेराकोटा 

    भारतीय कला में सबसे मनोरंजक (आईकोकास्टल) कलाकार इन्हें माना जाता है।

अनीश कपूर

      इनका जन्म 1954 ईस्वी में मुंबई में हुआ था। यह एक मूर्तिकार एवं इंस्टॉलेशन आर्टिस्ट है। यह भारतीय मूल के ब्रितानी कलाकार है। 1991 ई० में इन्हें टर्नर पुरस्कार ब्रिटिश सरकार के द्वारा दिया गया। वेनिस के बिनाले 1982 ईस्वी में इन्होंने भाग लिया था।
     इनके पिता पंजाबी, माता यहूदी एवं पत्नी जर्मन से है। इनका माध्यम लाइम स्टोन एवं स्टील है। इनके द्वारा निर्मित मूर्तिशिल्प हैं-
  • इज इफ टू सेलिब्रिटी - 1981 
  • स्काई मिरर - 2001 
  • क्लाउड गेट - 2006 
  • टर्निंग बर्ड अप साइड - 2010 
  • डर्टी कॉर्नर - 2011 
  • तारा तंत्र 
  • मेमोरी 
  • इमेज मोनोक्रोम
सुदर्शन पटनायक 

     यह सैंड आर्टिस्ट (रेत के कलाकार) हैं। इस विद्या में कार्य करने वाले भारत के प्रथम कलाकार कहलाये। इन्हें 2014 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। 2009 में पीपल फॉर ज्वाइन इटली के द्वारा इन्हें प्राप्त हुआ। उड़ीसा में हुए कला महोत्सव में ये ब्रांड एंबेसडर बनाए गए थे। उड़ीसा ललित कला अकैडमी के वर्तमान अध्यक्ष हैं।

वालन न वियार 

         इनका जन्म 1937 ई० में केरल में हुआ था। यह एक मूर्तिकार एवं फोटोग्राफर है। इनका माध्यम stainless-steel रहा है। इन्होंने मद्रास कला विद्यालय जिसकी स्थापना 1850 ई० में हुई थी एवं यह भारत का पहला कला महाविद्यालय हैं, वहां से प्राप्त की हैं। यह यंत्र विधि से कलाकृतियों का निर्माण करते हैं। इन्होंने इनामिल (तामचीनी) का प्रयोग अपने कलाकृतियों में किया है।

राधाकृष्णन

       इनका जन्म 1956 ई० में केरल में हुआ था। इनका माध्यम धातु एवं लोहा है। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प है- 
  • रैम्प

राम वनजी सुतार 

       इनका जन्म 1925 ईस्वी में महाराष्ट्र के धुलिया में हुआ था। इन्हें नकलची/अनुकृत कलाकार भी कहा जाता है। इनका माध्यम धातु रहा है। इन्होंने रामकिंकर बैज की संथाल फैमिली तथा डी. पी. राय चौधरी की श्रम की विजय नामक मूर्ति शिल्प अनुकृति धातु माध्यम में बनाई है। इन्होंने भारत के सभी महान पुरुषों की मूर्तियां बनाई जिसमें महात्मा गांधी को बारंबार बनाया। स्टैचू ऑफ यूनिटी का डिजाइन इन्हीं के द्वारा संपन्न हुआ था। यह अपने विशालकाय मूर्तियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

बी.आर. खजुरिया

       इनका जन्म 1937 ईस्वी में जम्मू कश्मीर में हुआ था।

रमेश पटेरिया

        इनका जन्म 1937 ईस्वी में राजस्थान में हुआ था। इनका माध्यम संगमरमर रहा है। इनकी शिक्षा एम.एस. विश्वविद्यालय बड़ौदा एवं ब्रिटेन से पूरी हुई। यह अमूर्त मूर्ति शिल्पकार (Abstract sculpture Artist) के रूप में जाने जाते हैं।

M. धर्मानी

    इनका जन्म 1931 ईस्वी में हुआ था। इनका माध्यम पत्थर (संगमरमर) है। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प हैं 
  • बर्ड फॉर्म (पक्षी का रूप) 

सरबरी राय चौधरी

      इनका जन्म 1933 ई० मैं पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) में हुआ था। प्रदोष दास गुप्ता से यह कला की शिक्षा प्राप्त किये है। इनका माध्यम पत्थर एवं कांसा है। इनके द्वारा निर्मित मूर्ति शिल्प है-
  • रिकलाइनिंग वूमेन 

    इन्होंने कुछ जाने-माने संगीतकारों की स्मारकीय शबीहे (Portrait) बनाई है। जैसे- बड़े गुलाम अली, छोटे गुलाम अली।


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