रविवार, 24 मई 2020

नाट्य: अवधारणा की समझ और शिक्षा में इसका महत्व (Understanding the concept of Drama and its relevance for Education)



नाट्य: अवधारणा की समझ और शिक्षा में इसका महत्व

Tell me and i will forget,
Teach me and i remember,
Involve me and i learn.

अर्थात्, 
        मुझे बताओ और मैं भूल जाऊंगा,
 मुझे पढ़ाओ और मुझे याद है,
 मुझे शामिल करो और मैं सीखता हूं।

           बेंजामिन फ्रेंकलिन का उपरोक्त कथन नाट्य कला के महत्व को समझने के लिए अत्यंत उपयुक्त है।  नाट्य कला आत्माभिव्यक्ति का एक सुंदर माध्यम प्रस्तुत करता है।  नाट्य कला शिक्षा किसी समस्या का हल ढूंढने में प्रशिक्षुओं को सृजनात्मक रूप से प्रेरित  करता है यह प्रशिक्षुओं को स्वयं तथा विश्व के प्रति उनके दृष्टिकोण को भी निरूपित करता है।
         नाट्य कला प्रशिक्षुओं के गहरे भावों, विचारों जो यथार्थ रूप में धरातल पर नहीं आ पाते हैं। उनको प्रस्तुत करने का एक सुंदर माध्यम प्रदान करता है।  नाट्य कला शिक्षा में विद्यार्थियों को सृजनात्मक  रूप से उत्प्रेरित (Inspire) कर विश्व के प्रति उनके दृष्टिकोण को निरूपित भी करता है। विद्यार्थी कुछ क्षणों के लिए ही सही दूसरी भूमिका निभा सकता है। इस कार्य के दौरान वह अपने निजी जीवन की समस्याओं के हल भी प्राप्त कर सकता है। नाट्य कला की प्रस्तुति के दौरान प्रतिभागियों को जनसमूह के मध्य बोलने तथा विचार रखने में कठिनाई नहीं होती वे अपनी बात को प्रभावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करने में समर्थ हो जाते हैं एवं दूसरों के दृष्टिकोण को समझने में भी सफल रहते हैं। 
        'नाटक' विद्यार्थियों को समूह (Team) में कार्य करने हेतु तैयार करता है नाटक सहनशीलता तथा सहानुभूति की भावना का विकास करता है। एक अभिनेता के लिए यह आवश्यक है कि वह दूसरे पात्र को पूर्णता समझे तथा यह जाने कि उसके दृष्टि से इस का किरदार कैसा है?  इस प्रकार हम पाते हैं कि नाटक विश्व को अच्छे नागरिक प्रदान कर सकता है।  ऐसे विद्यार्थी जो नाटक में प्रतिभागी होते हैं वह ऐतिहासिक तथा वर्तमान घटनाओं को समझने में सक्षम होते हैं। नाटक साहित्य को समझने में भी सुगमता प्रदान करता है।
             नाट्य कला एक ऐसी विशिष्ट कला है। एक ऐसा उपकरण है जिसके माध्यम से मानवीय भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। नाट्यकला विद्यार्थियों की ज्ञानात्मक, भावनात्मक तथा अंग-संचालन संबंधी क्षमताओं का विकास करता है। विभिन्न संस्कृतियों (Cultures, Civilization) में नाट्य कला मानवीय व्यवहार के दर्पण के रूप में उपयोग में लाई गई है।

         नाट्य कला एक विशिष्ट कौशल है जो विद्यार्थियों में- 
  1. कल्पनाशीलता का विकास करता है।  
  2. सृजनात्मक आत्माभिव्यक्ति(Creative Self-esteem Expression) की शक्ति का विकास करता है।
  3. निर्णय तथा समस्या के हल संबंधी क्षमता का विकास करता है। 
  4. विश्व एवं स्वयं को समझने में सहायता करता है। 
  5. आत्मविश्वास योग्यता के महत्व की समझ का विकास करता है। 
  6. दूसरों के प्रति उदारता के भाव को विकसित करता है।

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