कैसे करें स्वयं का मूल्यांकन B.Ed. 2nd Year, EPC -4. Munger University, Munger. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=53pMy1gc6no&list=PL9TVIXFOxWRqvXdC0lXbarJopIEIijDPY&index=11
सफल जीवन की चाह प्रत्येक इंसान को होती है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में खुशहाली और सफलता निरंतर बनी रहे। एक सफल जीवन व्यतीत करने के लिए यह अत्यंत जरूरी है कि हम सबसे पहले स्वयं को अच्छी तरह से समझ ले। जब तक हम अपनी कमजोरियों और कमियों को नहीं पहचानेंगे तब तक हम सफलता प्राप्त नहीं कर सकते।
हम स्वयं का मूल्यांकन कैसे कर सकते हैं। इसको हम एक कहानी के माध्यम से समझ सकते हैं।
एक बहुत ही ईमानदार और मेहनती लड़का था जिसका नाम छोटू था। छोटू को अपना काम बहुत ही प्रिय था। वह अपना काम हंसी-खुशी और ईमानदारी के साथ करता था। वह हंसमुख और मधुर स्वभाव का भी धनी था जिस कारण घर के सभी लोग उसे बहुत ही पसंद करते थे और अपने घर का एक सदस्य मानते थे। एक दिन छोटू किसी काम से बाजार गया। वह देखता है वहां सिक्का डालने वाला सार्वजनिक फ़ोन लगा था। छोटू ने फोन में सिक्का डाला और एक नम्बर डायल किया।
ट्रिंग-ट्रिंग..ट्रिंग-ट्रिंग… घंटी कि आवाज़ सुनकर किसी ने सामने से फोन पर हेलो बोला और पूछा कौन?
छोटू बोला – ”हेलो सर, नमस्ते, मुझे किसी ने कहा है कि आपको एक नौकर की आवश्यकता है। मैं भी एक सर्वेन्ट हूँ, अगर आप चाहे तो मैं आपके यहाँ नौकरी कर सकता हूँ।”
सामने से व्यक्ति ने कहा – “बेटा, मेरे यहाँ तो पहले से ही एक नौकर है, तो मैं तुझे रखकर क्या करूँगा? इसलिए फिलहाल मुझे अन्य किसी नौकर की जरूरत नहीं है।”
छोटू ने कहा – “सर, मैं एक अच्छा सर्वेंट होने के साथ-साथ ईमानदार भी हूँ। आपके यहाँ जो भी सर्वेंट है, आप मुझे उससे भी कम वेतन दे देना लेकिन मुझे आपके यहां काम दे दीजिए क्योंकि मुझे काम कि बहुत जरूरत है।”
व्यक्ति ने कहा – “बेटा, मैं अपने सर्वेंट के काम से खुश हूँ। बात वेतन की नहीं है, हम जैसा सर्वेंट चाहते थे, वैसा हमारे पास हैं इसलिए हमें किसी अन्य नौकर की अभी कोई आवश्यकता नहीं है। व्यक्ति ने विनम्रता से उस लड़के को समझाया।”
छोटू ने जोर देकर कहा – “सर, आपके यहां कोई तो काम होगा? मैं ड्राईवर का काम भी जानता हूँ। इसके अलावा मैं घर के अन्य काम भी कर सकता हूँ जैसे – सब्जी लाना, बच्चों को स्कूल छोड़ना या लाना, खाना बनाना आदि। आप मेरा विश्वास कीजिए मैं आपको कभी भी शिकायत का मौका नहीं दूँगा। अब तो आप मुझे काम देने से इंकार नही करेंगे।”
व्यक्ति ने कहा – “तुम्हें कितनी बार समझाऊ मुझे अभी किसी सर्वेंट की जरूरत नहीं है।” शुक्रिया कहते हुए व्यक्ति ने फोन रख दिया।
पास खड़ा एक व्यक्ति छोटू की बात बहुत ध्यान से सुन रहा था। उसने छोटू से कहा – ”मेरी बेटी के ससुराल में एक अच्छे सर्वेंट कि बहुत जरूरत है अगर तुम कहो तो मैं तुम्हे वहाँ नौकरी दिलवा सकता हूँ।”
छोटू ने उस व्यक्ति से कहा – “आपका बहुत-बहुत आभार पर मुझे नौकरी की कोई आवश्यकता नहीं है।”
व्यक्ति आश्चर्यचकित होकर बोला – “लेकिन, अभी तो तुम फोन पर नौकरी के लिए गिडगिडा रहे थे, अब क्या हुआ? जब मैं तुम्हे घर बैठे ही नौकरी दिलवा रहा हूँ तो तुम मुझे नखरे दिखा रहे हो…. भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा।”
छोटू ने बड़े प्यार और विनम्रता से कहा – “आप मुझे गलत समझ रहे है, दरअसल मुझे काम की कोई आवश्यकता ही नहीं है। सच्चाई तो यह है कि, मैं अपने ही काम की परीक्षा ले रहा था। उस व्यक्ति के यहाँ काम करने वाला सर्वेन्ट और कोई नहीं, मैं खुद ही हूँ।”
इस कहानी से हमें यह बात समझने की जरूरत है कि कोई भी व्यक्ति हमें इतना बेहतर नहीं समझ सकता जितना कि हम स्वयं को समझ सकते हैं। जिस तरह कहानी का पात्र छोटू ने अपने मालिक के द्वारा अपने काम का और स्वयं का मूल्यांकन किया ठीक उसी तरह से समय-समय पर हमें भी स्वयं का मूल्यांकन करना चाहिए यह एक ऐसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम स्वयं ही स्वयं की परीक्षा ले सकते हैं और अपनी कमजोरियों या कमियों को दूर करने की कोशिश भी स्वयं ही कर सकते हैं । बस हमें स्वयं के प्रति पूरी ईमानदारी रखनी होगी और समय-समय पर खुद से पूछना होगा-
- मैं जो भी कार्य कर रहा हूं, क्या मैं उसे पूरी ईमानदारी के साथ कर रहा हूं??
- क्या मैं अपने काम को अपना 100% योगदान दे पा रहा हूं??
- क्या मैं अपने काम को और भी बेहतर तरीके से कर सकता हूं??
- क्या मेरा काम समाजिक एवं परिवारिक हित में है??
इस तरह हम पाते हैं कि स्वयं के मूल्यांकन से हम अपने Professional एवं Personal Life दोनों को पहले से अधिक बेहतर बना सकते हैं। इसके साथ-ही-साथ हम जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भी अपनी सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं।
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