सोमवार, 18 मई 2020

बाल कार्य बनाम बाल श्रम (Child Work v/s Child Labour)





D.El.Ed. 2nd Year. S - 3 बाल कार्य बनाम बाल श्रम (Child Work v/s Child Labour) B.S.E.B.Patna. Video Link:-  https://www.youtube.com/watch?v=oMu2oDJi4ks


बाल कार्य बनाम बाल श्रम (Child Work v/s Child Labour) 


---18 साल से कम उम्र के बच्चों को काम देना एवं इन्हें किसी भी तरह से प्रताड़ित कर इनसे कार्य संपन्न करवाना गैरकानूनी है। यानी यह बाल श्रम के अंतर्गत आता है। लेकिन इस नियम में कुछ अपवाद भी है जैसे:-  परिवारिक व्यवसायियों में बच्चे स्कूल से वापस आकर या गर्मी की छुट्टियों में कार्य कर सकते हैं। उसी तरह फिल्मों में बाल-कलाकारों को काम करने की अनुमति है।  विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में खेल से जुड़ी गतिविधियों में भी वह भाग ले सकते हैं। 14 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को कार्य पर रखा जा सकता है जो किशोर/किशोरी की श्रेणी में आते हैं। (यदि कार्यस्थल खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया से न जुड़ा हो) बाल श्रम का मतलब होता है कि कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है इस प्रथा को कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने शोषित करने वाली प्रथा  भी माना है।


बाल मजदूरी पर एक कविता है जो कर्णिका पाठक के द्वारा रचित की गई है।

"बाल मजदूर"

कंधों पर है जीवन का लोड, 
किताबों की जगह है रद्दी का बोझ

जिस मैदान पर खेलना था, 
उसको साफ करना ही उसका जीवन बना। 

 जिस जीवन में हंसना था, 
वह आंसू पीकर मजबूत बना।

पेट भरना होता क्या है,
 आज तक उसे मालूम नहीं।  

चैन की नींद सोना क्या है, 
आज तक उसने जाना नहीं।

बचपन कहां खो गया, 
वह मासूम क्या बताएगा? 

जीवन सड़क पर गुजर गया, 
वो यादें क्या सुनाएगा।

कभी तरस भरी आंखों से, 
वह दो वक्त की खाता है। 

कभी धिक्कार के धक्के से,  
वह भूखा ही सो जाता है।

बाल मजदूरी पाप है, 
नियम तो बना दिया।

 ये उसके हित में है?  
या जीवन कठिन बना दिया।

जब आज खतरे में है, 
वह क्या भविष्य बनाएगा। 

जब पेट की भूख की चिंता है, 
तो क्या वह पढ़ने जाएगा।

बाल मजदूर मजबूर है,  
नियम और सताता है। 

अगर देश का भविष्य बनाना है तो, 
इस मजबूरी को हटाना है।

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