रविवार, 30 मई 2021

बूटी ज्ञान के पिला द s गुरुदेव, दरद मोरा नश-नश में।


बूटी ज्ञान के पिला द s गुरुदेव,

 दरद मोरा नश-नश में।

नश-नश में गुरु, नश-नश में। -२

बूटी ज्ञान के पिला द s गुरुदेव,

 दरद मोरा नश-नश में। -२ 

चार महीना गरमी के दिन, 
गरमी-गरमी होए। -२
 A. C. ज्ञान के चला द s गुरुदेव, 
दरद मोरा नश-नश में -२

नश-नश में गुरु, नश-नश में। -२

बूटी ज्ञान के पिला द s गुरुदेव,

 दरद मोरा नश-नश में। -२ 

चार महीना बरखा के दिन, 
बरखा-बरखा होए। -२ 
छतरी ज्ञान के ओढा/खुला द s गुरुदेव,
दर्द मोरा नश-नश में। -२

नश-नश में गुरु, नश-नश में। -२

बूटी ज्ञान के पिला द s गुरुदेव,

 दरद मोरा नश-नश में। -२ 


चार महीना जाड़ा के दिन,
जाड़ा जाड़ा होए,
कंबल ज्ञान के ओढा द s गुरुदेव,
दर्द मोरा नश-नश में। -२

नश-नश में गुरु, नश-नश में। -२

बूटी ज्ञान के पिला द s गुरुदेव,

 दरद मोरा नश-नश में। -२ 

"प्रकृति के संग कुछ पल"

           आप सोच रहे होंगे कि आज प्रकृति की बातें क्यों? वह इसलिए कि हम वर्तमान में जिस परिस्थिति में पहुंच गए हैं प्रकृति की बातें तो करनी ही है बल्कि मेरा मानना है कि प्रकृति के संग अपने आप को संलग्न कर लेना है। ख़ैर आज के Blog की शुरुआत करते हैं। 

       दो-चार दिनों से आदिमानव जैसी Feeling लग रही थी। तभी मेरे एक मित्र ने ये लिख कर भेजा:- 

आदिमानव जैसी हो गई है जिंदगी। 

ना ऑफिस ना स्कूल बस अपनी गुफा में रहो और सब्जी लेने जाओ तो ऐसा लगता है कि 

शिकार पर निकले हैं। 

       इसे पढ़कर Background में संगीत बजने लगा "दुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना कम है।"

      मेरी समस्या कुछ अलग थी लॉक-डाउन की वजह से पिछले एकाध महीने से बाल नहीं कटवाए थे। स्थिति यह आने वाली थी कि संभालना मुश्किल लग रहा था। मुझे तो यह आश्चर्य लग रहा था कि महिलाएं कैसे अपने बालों को संभालती है। आज निर्णय कर लिए कि चाहे जो हो आज बाल (Hair) कटवा ही लेना है। घर से निकल तो गए, लेकिन सैलून खुला ही नहीं था। एकाध किलोमीटर का दौरा कर लिए। Morning Walk तो पूरा हो गया लेकिन सैलून खुला नहीं मिला। अक्सर नाई की दुकाने सड़क के किनारे ही होती है क्योंकि कोई भी राह चलते आसानी से देख सके और शायद यही वजह भी थी दुकानें बंद होने की। फिर सोचे की बरबीघा चले जाते हैं वहां कुछ ना कुछ विकल्प तो मिल ही जाएगा लेकिन बरबीघा में भी दुकानें 11:00 बजे तक ही खुलती है और उस समय 10:40 हो रहा था यानी वहां जाने से भी कुछ फायदा होने वाला नहीं था।

          मेरे कार्य स्थल के आसपास जंगल है या यूं कह लीजिए कि पेड़ो की संख्या कुछ ज्यादा है। कभी-कभी तो रात में बिजली के जाने के बाद ऐसा महसूस होता है कि किसी डरावनी फिल्म की शूटिंग होने वाली है। उसी जंगल में से कुछ आवाजे आ रही थी। मुझे समझते देर नहीं लगी कि वहां 15-20 लोग मौजूद हैं। जिज्ञासावश कि वे सभी कर क्या रहे होंगे? हम भी जंगल में प्रवेश कर गए। देखा कि कुछ बैठे हैं कुछ खड़े अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। सामने एक नाई ईंट सजाकर बेंच बनाया था और लोगों के बाल काट रहा था।

         मेरा नंबर कब आएगा? जब मैंने यह पूछा तो उसने बोला- बईठs थीन ना सर (बैठिए ना सर) वहां पर भले ही बैठने की कोई व्यवस्था ना हो लेकिन उसकी बातें मुझे अच्छी लगी। हम भारतीयों की यही तो खूबी है हम हर समस्या का समाधान ढूंढ ही लेते हैं। धीरे-धीरे सभी लोग अपना कार्य संपन्न करा चले जा रहे थे चूंकि हम वहां सबसे अंतिम में पहुंचे थे इसीलिए मेरा नंबर भी अंतिम में ही आया। वह तो अच्छा है कि इंटरनेट का युग है तीस मिनट का समय भी कैसे कट गया पता ही नहीं चला। हम अपने मोबाइल में इतने व्यस्त हो गए थे कि नाई को दो बार आवाज़ लगानी पड़ी।

          बाल काटने को भी हम एक कला मानते हैं। किस पर कौन सा हेयर स्टाइल अच्छा लगेगा वह एक नाई को बखूबी पता होता है। इसीलिए मैंने आज तक बाल कटवाते समय कभी भी नाई को नहीं बोला कि किस स्टाइल में काटना है। वह जैसा लुक प्रदान कर दे, हम सहज स्वीकार कर लेते हैं। शायद इसीलिए मेरे बालों का कोई एक लुक आज तक नहीं रहा। जब-जब नाई बदले तब-तब एक नया लुक प्राप्त हो गया और वैसे ही एक नया लुक आज प्राप्त होने वाला था। 

          नाई अपनी आदत के अनुसार पूछा कि बाल कैसे काटना है? क्योंकि वह बढ़े हुए बालों को देखकर समझ रहा था कि कोई नया लुक देना होगा। मैंने कहा- यह लॉकडाउन का असर है। आप को जो बेहतर लगे वैसा आप कर दीजिए। मेरी तो बस यही इच्छा है कि बाल छोटा हो जाए। उसने मुझे वहां पर रखी ईंट पर बैठने का इशारा किया ईंट पर हम बैठ गए और वह अपना कार्य शुरू कर दिया। जब तक वह बाल काट रहा था तब तक मैं अपने बचपन की यादों में चला गया कैसे रविवार हमारे लिए महत्वपूर्ण रहता था। प्रत्येक रविवार को एक हजाम (नाई) मेरे घर आता और वैसे ही ईंट या छोटा सा लकड़ी का बना जिसे हम लोग पिढ़ा बोलते थे उस पर बैठ बाल कटवाते थे। महीना में दो बार मेरा बाल कटता था। चाह कर भी कभी बाल बड़ा नहीं रख पाए शायद उसी इच्छा की पूर्ति इस लॉकडाउन में हो गई।

           सर!!! और छोटा कर दें? मैंने देखा- नाई एक हाथ में दर्पण और दूसरे में कैंची लेकर खड़ा था। मैंने दर्पण में देखा उसने बाल बहुत अच्छे से काटा था। नहीं-नहीं ठीक है, शुक्रिया। मैंने कहा। 

         फिर उसने एक पुराने से डिब्बे से पाउडर निकाला और कान और गर्दन के पीछे वाले हिस्से में लगाने लगा। मैंने कहा:- यह पाउडर का डिब्बा कब का है? तब उसने कहा- मुझे तो अच्छे से याद नहीं लेकिन इसे बचपन से देख रहा हूं। मुझे तो बहुत आश्चर्य हुआ। आखिरकार ये पाउडर खत्म क्यों नहीं होता है। उसने कहा- पाउडर का डब्बा बड़ा सा आता है। इसमें से थोड़ा-थोड़ा निकाल कर इस छोटे डब्बे में लाते हैं। तब मैंने राहत की सांस ली। 

            मैंने उसे तय दर से कुछ ज्यादा पैसे दिये जब वह लौटाने लगा तो मैंने कहा- रख लीजिए। इस कठिन परिस्थिति में आप कार्य कर रहे हैं, मेरी तरफ से छोटा सा TIP समझिए। उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गई जो कि मास्क में होने की वजह से मैंने उस मुस्कान को तो नहीं देखा लेकिन आंखों की चमक उसकी खुशी बयां कर रही थी। कभी-कभी मुझे लगता है कि एक इंसान को हमेशा जब समय मिले थोड़ी-थोड़ी खुशियां बांटते रहनी चाहिए। इसमें आपका बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होता है लेकिन सामने वाले की नजर में आप बहुत बड़े बन जाते हो। 

        शायद यही वजह रहा है कि आज भी जब हम अपने गांव सीवान, छपरा, पटना, बनारस या बरबीघा शेखपुरा कहीं भी जाते हैं हजारों लोग जान-पहचान के मिल जाते हैं। जिन से जाने-अनजाने दोस्ती हो गई है, चाहे वह कोई भी व्यवसाय कर रहे हो। Educational Line से अलग मेरी यह एक अलग दुनिया है जिसे मैं खुलकर जीता हूं। शायद इसीलिए मेरा मन हर जगह रम जाता है, चाहे परिस्थिति जैसी भी हो।

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शुक्रवार, 28 मई 2021

जीवन के कुछ गूढ़ रहस्य, आप कभी नहीं समझ पायेंगे।

 


पहले भटूरे को फुलाने के लिये, 
उसमें ENO डालिये।
फिर भटूरे से फूले पेट को पिचकाने के लिये,
 ENO पीजिये।
जीवन के कुछ गूढ़ रहस्य, 
आप कभी नहीं समझ पायेंगे।

पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी 
लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें 
पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था। 
पुस्तक के बीच पौधे की पत्ती और मोर-पंख रखने से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था। 
कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था।

हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव था।
माता-पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी,
न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी..
सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे । 

एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा हमने कितने रास्ते नापें हैं,
यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं।

स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था,
दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?

पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी,
पीटने वाला और पिटाने वाला दोनो खुश थे,
पिटाने वाला इसलिए की कम पिटाये,
पीटने वाला इसलिए खुश की हाथ साफ़ हुवा..

हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं,
क्योंकि हमें "आई लव यू" कहना नहीं आता था।

आज हम गिरते - सम्भलते,
संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं।
कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ, 
न जाने कहां खो गए हैं।

हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है।
हमे हकीकतों ने पाला है,
हम सच की दुनियां में थे।

कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना,
 हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे।
अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं,
शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जी कर आये हैं 
उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं ।

हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे, 
काश वो समय फिर लौट आए।

एक बार फिर अपने बचपन के पन्नो को पलटिये, 
सच में फिर से जी उठेंगे..
 
हमारे पिताजी के समय में दादाजी गाते थे
"मेरा नाम करेगा रोशन,
जग में मेरा राज दुलारा"

हमारे ज़माने में हमने गाया
"पापा कहते है
बड़ा नाम करेगा"

अब हमारे बच्चे गा रहे हैं .... 
"बापू सेहत के लिए ..
तू तो हानिकारक है!!"

सही में हम कहाँ से कहाँ आ गए..
🙏🏻🙏🏻

साभार:- सोशल मीडिया

अध्यापक का उत्तरदायित्व एवं कार्य (RESPONSIBILITY AND WORK OF TEACHER) D.El.Ed.1st Year. F-11, Unit-4.

 अध्यापक का उत्तरदायित्व एवं कार्य (RESPONSIBILITY AND WORK OF TEACHER) 


     अध्यापक राष्ट्र निर्माता होता है, बालकों के भविष्य का निर्माता होता है और संस्कृति का आधार स्तम्भ भी इसे माना गया है। अध्यापक ही वह आधार है जिस पर समाज का विकास और विद्यालय का विकास निर्भर करता है। इसलिए कहा जाता है कि कोई समाज या विद्यालय का स्तर अध्यापकों से ऊपर नहीं हो सकता है। अतः वह जहाँ एक ओर शिक्षक है वहीं दूसरी ओर नेतृत्व प्रदान करने वाला नेता भी है। 

      एक अध्यापक के अनेक उत्तरदायित्व एवं कार्य निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किए जा सकते हैं। 

(01.) ज्ञान प्राप्ति में छात्रों की सहायता करना और व्यक्तिगत एवं सामाजिक समस्याओं का समाधान कर सुझाव देना। 

(02.) कक्षा को उचित प्रकार व्यवस्थित करना, उपयुक्त कक्षा कार्य एवं गृह कार्य देना एवं निरीक्षण कर सुझाव देना। 

(03.) समय-सारणी के अनुरूप कक्षाएँ निरन्तर लेना, किसी भी प्रकार अवहेलना नहीं करना, उपयुक्त शिक्षण विधियों का प्रयोग करना, दृश्य-श्रव्य साधनों का प्रयोग कर शिक्षण को प्रभावशाली बनाना। 

(04.) छात्रों के चरित्र और नैतिक विकास में सहायता करना और समाज के लिए उपयोगी मूल्यों का विकास करना। 

(05.) पाठ्य-सहगामी क्रियाओं का आयोजन करना, योग्यता व क्षमता के अनुसार खेलकूद, आदि कार्यक्रमों का संचालन करना और छात्रों की समस्याओं का समाधान करना। 

(06.) निष्पक्ष मूल्यांकन करना, पाठ्यक्रमीय व पाठ्य-सहगामी क्रियाओं का पक्षपात रहित मूल्यांकन करना और नवीन प्रयोग निरन्तर करते रहना। 

(07.) छात्रों में सामाजिक दक्षता का विकास करना अर्थात् समाज के लिए उपयोगी नागरिक तैयार करना और उनमें नेतृत्व क्षमता का विकास करना। 

(08.) छात्रों में व्यवसाय के प्रति रुचि पैदा करना और कर्तव्यनिष्ठता का विकास करना। 

(09.) छात्रों को राष्ट्र के अच्छे नागरिक बनाना, उनमें प्रजातान्त्रिक गुणों का विकास करना और उनमें अनुशासित रहने की प्रवृत्ति का विकास करना। 

       अत: कहा जा सकता है कि अध्यापक के विविध उत्तरदायित्व और कार्य हैं। विद्यालय का विकास अध्यापक के इन विविध कार्यों की व्यावहारिक कुशलता पर निर्भर करता है। वह छात्रों को भली प्रकार से प्रशिक्षित करके विद्यालय के अच्छे शैक्षिक परिणाम प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिए। 

सीखने-सिखाने में कला अनुभव के प्रभावी समावेश हेतु विद्यालय की भूमिका 

       विद्यालय ही वह जगह है जहाँ घर के पश्चात् बालक कला को सीखता है । जॉन ड्यूवी ने लिखा है- "विद्यालय एक ऐसा वातावरण है, जहाँ जीवन के कुछ गुणों और विशेष प्रकार की क्रियाओं तथा व्यवसायों की शिक्षा इस हेतु से दी जाती है कि बालक का विकास वांछित दिशा में हो।" 

      विद्यालय बालक में कला अनुभव के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि एक विशेष आयु के बाद उसका अधिकांश समय विद्यालय में ही व्यतीत होता है। विद्यालय के वातावरण, आदर्शों और क्रिया कलापों का प्रभाव बालक के व्यवहार, व्यक्तित्व, संस्कारों व सीखने की गति पर पड़ता है।

         विद्यालय की भूमिका सिलाई-बुनाई, कला, संगीत, बगवानी, गणना, लकड़ी का कार्य, चित्रकारी, भोजन बनाना, आदि। कार्यों को शामिल किया जाता है जिसके द्वारा बालक पढ़ना, गिनना, लिखना, नृत्य, संगीत, आदि। कलाओं को सीख जाता है।            

          विद्यालयों में स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस व वार्षिक उत्सवों में होने वाले नृत्य, संगीत, नाटकों में भाग लेने पर भी बालकों को विभिन्न प्रकार की कलाओं को सीखने का अवसर मिलता है। 

         विद्यालय द्वारा जब शैक्षणिक भ्रमण, प्रदर्शनियों, मेलों व विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है तब विद्यार्थी विभिन्न प्रकार की कलाओं को सीखते हैं और उनमें कौशलों का विकास होता हैं।

            कला शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है। इसमें स्थिरता नहीं है अतः यह स्वाभाविक रूप से प्रवाहयुक्त दिशा में बालक के विकास को सुनिश्चित करती है।

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बुधवार, 26 मई 2021

विष के दाँत कहानी का सारांश लिखें।

 


         'विष के दाँत' आचार्य नलिन विलोचन शर्मा की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं सुप्रसिद्ध कहानी है, इसमें सामाजिक भेदभाव, लिंग-भेद, आक्रामक स्वार्थ की छाया में पलते हुर प्यार-दुलार के कुपरिणामों को दिखाते हुए सामाजिक समानता एवं मानवाधिकार का स्वर प्रमुखता से उभरा है। 
         कहानी सेन साहब के परिचय के साथ शुरू होती है। उनके पास एक नई मोटरकार है जो बंगले के सामने बरसाती में खड़ी है। सेन साहब के पाँच लड़कियाँ और एक लड़का है। उनकी लड़कियाँ सीमा, रजनी, आलो, शेफाली और आरती जहाँ तहजीब और तमीज की जीती-जागती प्रतिमाएं हैं, वहीं लड़का काशू उनके अपवाद स्वरूप मनबढू और तुनुकमिजाज है। इसका कारण सेन साहब और उनकी पत्नी का उसके प्रति जरूरत से अधिक प्यार दुलार है। एक दिन की बात है कि सेन साहब के ड्राइंग रूम में उनके कुछ दोस्त बैठे गपशप कर रहे थे। उनमें से एक पत्रकार थे, जिनका होनहार और समझदार बेटा भी साथ था। किसी ने उसकी ज्योंही बड़ाई की, सेन साहब अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनते हुए अपने बेटे को बड़ाई करते हुए उसे इंजीनियर बनने की बात करने लगे इस पर जब किसी ने पत्रकार महोदय से उनके बच्चे के विषय में पूछा तो उन्होंने बड़े संयत किन्तु व्यंग्यात्मक रूप में जवाब दिया कि "मैं चाहता हूँ कि वह Gentleman बस बने और जो कुछ बने, उसका काम है। "सेन साहब कटकर रह गये 'तभी शोरगुल सुन सभी बाहर निकले। वहाँ सभी देखते हैं कि खेन साहब का शोफर एक औरत से उलझ रहा था, क्योकि उसका बच्चा मदन गाड़ी को छूना चाह रहा था। सेन साहब उस औरत को डाँटकर भगा देते हैं। इसके तुरंत बाद ही लोगों को मालूम होता है कि काशू ने सेन साहब की गाड़ी की पिछली बत्ती को चकनाचूर कर दिया है। इतना ही नहीं, उसने मिस्टर सिंह की गाड़ी की हवा भी निकाल दी हैं किन्तु सेन साहब उसे एक बार भी डाँटते-फटकारते नहीं, उल्टे उसकी बड़ाई करते हैं। जब उनके दोस्त चले गए तो उन्होंने गिरधर लाल जो मदन का पिता और फैक्टरी में किरानी था, को बुलाकर उससे अपने बेटे को सम्भालने की नसीहत देते हैं क्योंकि उनकी दृष्टि में ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर और डाकू बनते हैं। सेन साहब की बात पर गिरधर लाल ने उस दिन रात में अपने बेटे को खूब पिटाई की। 
        लेकिन, दूसरे दिन अजीब बात हो गई। शाम के समय खोखा यानी काशू खेल-खेल में बंगले से बाहर बगलवाली गली में जा निकला, जहाँ मदन अपने पड़ोसी आवारागर्द छोकरों के साथ लटू नचा रहा था। खोखा को भी लटू नचाने का मन हुआ और उसने बड़े रौब के साथ लट्ट मांगा। पर, मदन पर उसके रोब का कोई असर नही हुआ। तब दोनों में झगड़ा शुरू गया। खाखा मदन का सामना न कर सका और मार खाकर भाग निकला। उधर मदन अपने पिता के डर के कारण दिन भर घर नहीं जाता हैं, इधर-उधर घूमता रहता है। आखिरकार रात होने पर जब वह घर पहुँचता है तो माँ-बाप की कानाफूसी को सुन अचरज में पड़ जाता है। इसी बीच उसका पैर लोटे से टकराता है, जिसकी ठनक सुन गिरधरलाल आकर आशा के विपरीत मदन को गोद में उठा शाबाशी देने लगा और कहा कि शाबाश बेटा!!! तूने तो खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले। "इस प्रकार कहानी का बड़ा की अर्धगर्भित अंत हो जाता है।"

"अर्थगर्भित" का अर्थ:- जिसमें एक या कई अर्थ हो सकते हों; अर्थपूर्ण।

सारगर्भित; अर्थयुक्त।

अभिव्यक्तिपूर्ण।

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शनिवार, 22 मई 2021

अच्छे साध्य की प्राप्ति हेतु क्या बुरे साधनों को अपनाया जा सकता है? नीति-शास्त्र के अनुसार उत्तर लिखें।

 


         अक्सर हम सभी के मन में यह ख्याल आता है कि क्या अच्छे साध्य की प्राप्ति हेतु बुरे साधनों को अपनाया जा सकता है? यदि हां तो क्यों और नहीं तो क्यों? आज के इस लेख में हम इसी प्रश्न का उत्तर ढूंढने का प्रयास करेंगे। 
         सबसे पहले हम पक्ष वाले मुद्दे पर चर्चा करते हैं यदि साध्य अच्छा है तो साधन चाहे कितने भी बुरे क्यों ना हो उसे सहज रूप से स्वीकार किया जा सकता है। यदि हम उदाहरण की बात करें तो मुझे महाभारत का प्रसंग याद आता है जब धर्मराज युधिष्ठिर बोलते हैं- 
अश्वत्थामा मृतो गत:, 
नर: ना गज:।
           अर्थात, अश्वत्थामा मारा गया लेकिन वह इंसान नहीं हाथी था। यहां पर पांडव का साध्य था महाभारत का युद्ध जीतना इसके लिए उनके द्वारा इस साधन को अपनाया गया। कहा भी गया है कि Everything is Fair Love and War. प्यार और जंग में सब कुछ जायज है। यहां सब कुछ का अर्थ हुआ हर एक वो चीज़ जो आपको जीत दिला सके। अब बारी है नीतिशास्त्र यानी Ethics कि जो यह तो कहता है सब कुछ जायज है लेकिन कैसे? यह उस समय की परिस्थिति पर निर्भर करता है। एक ही प्रश्न का दो या तीन उत्तर हो सकता है, यदि परिस्थितियां अलग-अलग हो। इसे हम दो उदाहरण द्वारा समझते हैं।
           पहला उदाहरण, हम वर्तमान परिस्थिति को ही लेते हैं जैसे ही किसी को कोई आपदा की जानकारी मिलती है तो तुरंत आपदा में अवसर खोजना शुरू कर देते हैं और फिर उस आपदा में प्रयोग की जाने वाली सामग्री की मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए अचानक से उसके विक्रय मूल्य में वृद्धि शुरु कर देते है। एक अधिकारी के रूप में यदि आप नियुक्त हैं तो सबसे पहले आपको यह करना चाहिए कि जो व्यक्ति ऐसे कार्य में संलग्न है उन्हें तत्काल कठोर से कठोर दंड देना चाहिए और उनकी पहचान भी सार्वजनिक करनी चाहिए ताकि आगे से वह ऐसा कार्य नहीं कर सके। यदि किसी व्यक्ति को किसी से भय लगता है तो वह है- हमारा समाज। ऐसे व्यक्तियों को समाज के द्वारा कलंकित किया जाएगा तो पुनः वैसा कार्य नहीं करेंगे और ना ही कोई और व्यक्ति ऐसा करने को सोचेगा। 
            दूसरे उदाहरण में मान लीजिए परिस्थिति अनुकूल है लेकिन आपको ज्ञात हुआ कि अमुक वस्तु की कीमत तय मूल्य से ज्यादा में बेची जा रही है वैसी स्थिति में आपको एक अधिकारी के तौर पर तत्काल कार्रवाई नहीं करनी चाहिए चाहिए बल्कि उस समस्या के तह तक जाना चाहिए कि आखिर वह वजह क्या है जिससे इस वस्तु को विक्रय मूल्य से ज्यादा में बेचा जा रहा है और इस कार्य में कौन-कौन लोग संलग्न है? चूंकि अनुकूल परिस्थिति में यदि कोई वस्तु के मूल्य से अधिक में बेची जाती है तो इसके पीछे कई सारे व्यक्तियों का योगदान रहता है। क्योंकि समय अनुकूल है तो हम उचित समय देकर इस समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं। 
                तो हमने यहां देखा कि समस्या एक थी लेकिन परिस्थितियां अलग। परिस्थिति के अनुसार किया गया गलत कार्य भी गलत नहीं होता इसका ज्ञान हमें नीतिशास्त्र में प्राप्त होता है। जैसे अपनी आत्मरक्षा के लिए किसी की हत्या जायज है उसी प्रकार नाव में आवश्यकता से अधिक सवार की स्थिति में यदि नाव का संतुलन बिगड़ता है तो कुछ लोगों को पानी में फेंकना जायज है। यदि ऐसी परिस्थिति में यह कदम ना उठाया जाए तो सभी व्यक्तियों की मृत्यु हो सकती है। यानी बहुतों को बचाने के लिए कुछ की कुर्बानी दी जा सकती है। यह सभी कार्य सही है, जायज हैं। चाहे फिर वह किसी को सजा देना हो या अपमानित करना। हमें बस यह ध्यान देना होगा कि हमारा साध्य उचित रहे साधन अनुचित भी हो सकते हैं। 
             अब हम इसके दूसरे पहलू यानी विपक्ष पर चर्चा कर लेते हैं। आप सभी के मन में यह विचार आ रहा होगा की तब तो परीक्षा पास करने के लिए परीक्षा हॉल में चोरी करना सही है। नौकरी लेने के लिए फर्जी डिग्री लेने का कदम उठाना भी सही है। हजारों ऐसे छात्र जो बिना महाविद्यालय गए प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेते हैं उनके द्वारा किया गया कार्य सही है। क्योंकि उनका साध्य सही है लेकिन साधन गलत। 
           यहां पुनः हम नीतिशास्त्र का ही एक उदाहरण प्रस्तुत करेंगे उसमें यह भी कहा गया है कि समय और परिस्थिति के अनुसार किया गया कार्य सही हैं अन्यथा गलत। महाभारत में भी श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं- 
हे पार्थ, धनुष उठाओ और इन का वध करो क्योंकि यही इस समय की मांग है। यदि यह कार्य तुम नहीं करोगे तो मैं स्वयं यह कार्य करूँगा। और हम आगे देखते हैं कि वही श्री कृष्ण धृतराष्ट्र एवं गंधारी को क्षमा भी करते हैं जब उनके द्वारा अनुचित कार्य संपन्न होता है। हम यहाँ देख सकते हैं कि समय एवं परिस्थिति के अनुसार किया गया कोई भी कार्य कभी गलत नहीं होता। हमें भी अपनी जिंदगी में साध्य पर ध्यान तो देना है लेकिन उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है साधनों पर नियंत्रण रखना क्योंकि जब तक आप अपने साधनों पर नियंत्रण नहीं रखेंगे वह अनियंत्रित होकर हमें अपने साध्य से भटका सकती है। 
         अंत में मैं कहना चाहूंगा हमें अच्छे साध्य की प्राप्ति तो करनी ही है बुरे साधनों को भी अपनाना है लेकिन समय एवं परिस्थिति के अनुसार।

शुक्रवार, 21 मई 2021

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day)

 चाय पिलाने की बात करो, 

तो रुक भी जाऊ।

मोहब्बत की बातें, 

अब 

समझ में नही आती

विश्वजीत कुमार 


                          अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) की आप सभी को शुभकामनाये☕

गुरुवार, 20 मई 2021

एक सेल्फी🤳 खरबूजे🍈 के साथ।

           गर्मियों की सुबह कुछ ज्यादा ही आनंददायक होती है और ना चाहते हुए भी सुबह में विलंब हो ही जाता है। पूरे सप्ताह की थकान को मिटाने के लिए ही तो रविवार आता है कल आराम से देर तक सोता रहूंगा यह सोचकर शनिवार को देर रात तक अपने Blogs पर कार्य करते रहें। रविवार की सुबह लगा की कोई जगा रहा है। जब मैने आंखें खोली तो देखा बब्लू था। 

वह बोला- सुप्रभात💐 सर!!! 

मैंने अर्द्धनिद्रा में ही बोला- सुप्रभात बबलू जी!! कैसे हैं? 

वह बोला- सर, लालमी खैथिन? 

मुझे समझ में नहीं आया कि वह बोल क्या रहा है। फिर दोबारा पूछा तो उसने कहा- सर जी, लालली लाने जा रहे हैं। चलियेगा? सुबह-सुबह टहल भी लीजिएगा। 

मैंने कहा- कहां पर लालमी  मिलता है? 

वह बोला- यही डोवाडीह में। 

मैंने कहा- डोवाडीह में तो कभी देखा नहीं। मैं अक्सर सुबह में मॉर्निंग वॉक के लिए जाता हूं। हां कभी-कभी खरबूजा🍈 अवश्य दिखा हैं लालमी🍉 नहीं।


तब वह बोला- सर, खरबूजा क्या होता है? 
फिर मैंने उसे मोबाइल में उसकी तस्वीर दिखाई। तस्वीर देखते ही वह बोला- सर!!!! यही तो लालमी है। 
         तो मैंने कहां- यह लाल कहां है? जब मैंने उसे लालमी यानी Watermelon🍉 की तस्वीर दिखाई तो वह कहां यह तो तरबूज है। मुझे स्थिति पूरी तरह समझ में आ गई कि यहां के लोग खरबूजा यानी Muskmelon को लालमी कहते हैं।
         जब इतनी चर्चाएं हो गई तो खाने का भी मन करने लगा। नींद को वहीं बिस्तर पर छोड़ उसके साथ हो लिए। डोवाडीह पहुंचे तो वहां दूर तक कहीं लालमी यानी खरबूजा नहीं दिखा लेकिन वह हिम्मत नहीं हारा और बोला कि सर थोड़ा आगे चलेंगे ना तो अमारी गांव है वहां मिल जाएगा। जब लालमी अमारी गांव में भी नहीं मिला तो उसके कदम पीछे नहीं मुड़े बल्कि आगे बढ़ते ही गए हम भी इसी आशा एवं उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे थे कि शायद अब प्राप्त हो जाए लेकिन अमारी, सुगिया को पार करते हुए हम शेखोपुर सराय बाजार के पास पहुंचने वाले थे। 
मैंने उसे कहां- चलो अब नहीं मिलेगा। 
तब उसने कहां- सर, शेखोपुर सराय बाजार में मिल जाएगा।
मैंने उसे स्पष्ट बोल दिया कि देखो हम बाजार में नहीं जाने वाले हैं चलो बरबीघा से आ जाएगा, वहां मिलता है। लेकिन कहा जाता है ना जो चीजें आप मन में प्रण कर के चलते हैं जब तक वह पूरा नहीं होता संतुष्टि नहीं मिलती। कुछ वैसा ही वहां पर भी था पता नहीं बब्लू के पास एक विचार आया बोला कि यहां से सामने जो खेत दिख रहा हैं ना सर वहीं पर इसकी खेती होती है चलिए खेत से ही लाते हैं। सामने दूर खेत दिख तो रहे थे लेकिन खेत में कोई व्यक्ति नहीं था। फिर भी शायद कोई मिल जाए यह सोचकर हम खेत की तरफ बढ़ चले। आखिरकार तरबूजे के खेत तो मिल गए लेकिन खेत का मालिक नहीं मिला। दो-चार मिनट इंतजार भी किए लेकिन दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था सोचे कि जब खेत में आ ही गए हैं तो एक सेल्फी भी खरबूजे के साथ ले ही लेते हैं। 

              मैं खरबूजे के साथ सेल्फी ले रहा था बबलू को लगा कि मैं लालमी तोड़ रहा हूं। फटाफट उसने चार खरबूजे तोड़ लिये और बोला कि चलिए सर हो गया!!! इतना काफी है। 
मैंने बोला- आपने खरबूजे क्यों तोड़ लिये?? चलिए अब खेत के मालिक को ढूंढते हैं उन्हें इसके पैसे भी तो देने पड़ेंगे। उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गई और बोला कि सर कहां हम लोग ढूंढते फिरेंगे। ऐसे भी बहुत विलंब हो चुका है, अब चलना चाहिए। 
मैंने कहा- उक्त बातें तो आपको खरबूजा तोड़ने से पहले सोचना चाहिए ना!!! सामने गांव दिख रहा है संभवत उसी में से किसी का खेत होगा और मैंने उसे आदेश देते हुए कहा- सुबह से हम आपके अनुसार चल रहे थे और अब आप मेरे अनुसार चलिए। ना ईच्छा होते हुए भी बब्लू को मेरे साथ चलना पड़ा। कुछ ही देर में हम लोग गांव में थे। अब समस्या यह थी कि वार्तालाप शुरू कहां से करें। 
मैंने एक व्यक्ति से पूछा- यहां किसी के पास लालमी मिल जाएगा? कोई खेती किये है इसकी। 
वह बोले- हां हां कितना चाहिए?? स्वयं मेरा ही खेत है। अभी सुबह-सुबह तोड़ कर लाए हैं, एकदम ताजा है।
मैंने कहा- नहीं!!नहीं!! वहां पर जो खेत है ना मुझे उसी खेत का चाहिए और फिर उस खेत की ओर इशारा किया। 
तब उन्होंने कहा- उनका घर तो बीच गांव में है। क्या आप उन्हें जानते हैं? 
मैंने कहा- जानते तो नहीं है। क्या आप मुझे उनके घर तक पहुंचा देंगे? 
उन्होंने एक छोटे बच्चे को बुलाया जोकि वहीं पास में खेल रहा था। उससे कुछ कहे और हमारी तरफ मुखातिब होकर बोले यह आपको उनके घर तक छोड़ देगा। उसके उपरांत फिर हम उस बच्चे का अनुसरण करते हुए चलने लगे।
             अभी कुछ दूर आगे बढ़े ही थे कि एक प्रशिक्षु हमें दिखा। उसे तो पहले कुछ समय लगा. हमें पहचानने में। क्योंकि इतनी सुबह वैसे ड्रेस में हम ही हैं या फिर कोई और। 
फिर भी उसने हिम्मत करके मेरे पास आया और बोला- प्रणाम सर🙏 आप इधर? इस समय? हम कुछ कहते इससे पूर्व ही वह छोटा बच्चा जो कि हम लोगों के आगे चल रहा था और उसको जिम्मेदारी मिली थी लालमी वाले के घर तक पहुंचाने की अचानक से बोल उठा- यह तो आप ही के घर तो जा रहे हैं। उसे और आश्चर्य हुआ, मेरे घर!!! और मुझे पता ही नहीं है। 
फिर उसने बोला- सर कुछ कार्य था तो मुझे फोन कर लेते हैं आप क्यों परेशान हुए। फिर उसने बब्लू को देखा जो कि इतनी देर से हाथ में खरबूज लिए चल रहा था और बोला- इन्हें तो हम पहचानते हैं। यह आप ही के कॉलेज के हैं ना? 
मैंने कहा- हां, यह कॉलेज में ही कार्य करते हैं। 
फिर उसने छोटे बच्चे से कहा- बाबू, अब तुम जाओ। वह बच्चा तो बस यही सुनना चाह रहा था, तुरंत वहां से खिसक लिया।
               कुछ देर बाद, हम उसके घर पर थे। चाय-नाश्ता करने के उपरांत हम जिस कार्य से उसके घर आए थे वह बातें रखें और खरबूजे के खेत से लेकर उसके घर पहुंचने तक का किस्सा सुनाएं। पहले तो सभी हंसे फिर एक थैले में खरबूजा भरकर लाए। 
मैंने बब्लू से कहा- आप अपना भी इसी में रख दीजिए और इसका वजन करा दीजिए। 
मेरा इतना कहते ही उसके पापा बोले- नहीं सर, यह आपके लिए है। इसका पैसा हम नहीं लेंगे। 
मैंने कहा-  तब फिर ठीक है। आप पैसा नहीं लेंगे तो हम इसे लेकर भी नहीं जाएंगे। 
तब उन्होंने कहा- आप भी तो मेरे लड़के को पढ़ाते हैं। 
मैंने कहा- ठीक है। लेकिन इसके लिए आप महाविद्यालय को पैसे भी देते हैं ना। 
बहुत देर तक ऐसे ही बातें चलती रही लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल रहा था।
अंततः मैंने कहा- ठीक है, आप एक कार्य कीजिए। अभी आप पैसे ले लीजिए फिर कभी जब आपकी इच्छा हो तो मेरे यहां भिजवा दीजिएगा, उस समय हम कुछ नहीं कहेंगे। लेकिन आज कम-से-कम ऐसा न कीजिए। फिर उन्होंने ना इच्छा होते हुए भी सारे खरबूजे को तौले और मैंने बाजार दर के अनुसार पैसे दिए।
         इस घटना को बीते 02 साल से ऊपर हो गए हैं आज भी प्रत्येक साल जब वो खरबूजे की खेती करते हैं तो मेरे यहां जरूर भिजवाते हैं। खरबूजे को देखकर पुनः खरबूजे के साथ सेल्फी और उस घटना का दृश्य मेरे आंखों के सामने चलने लगता है।

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बुधवार, 19 मई 2021

बड़े बावरे ★हिन्दी के मुहावरे★



 

बड़े बावरे ★हिन्दी के मुहावरे 

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   हिंदी के मुहावरे ~ बड़े ही बावरे हैं

      खाने-पीने की चीजों से भरे हैं

       कहीं पर फल है, तो ...

         कहीं आटा-दालें हैं

           कहीं पर मिठाई है, तो ...

             कहीं पर मसाले हैं


      चलो ... 

      फलों से ही शुरू कर लेते हैं

     एक-एक कर सबके मजे लेते हैं


          आम के आम और 

     गुठलियों के भी दाम मिलते हैं

      कभी अंगूर खट्टे हैं, तो कभी ...

     खरबूजे, खरबूजे को देख कर 

              रंग बदलते हैं


     कहीं दाल में काला है, तो कहीं 

    किसी की दाल ही नहीं गलती है

 

  कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,

     तो कोई ... लोहे के चने चबाता है

       कोई घर बैठा रोटियाँ तोड़ता है,

               कोई दाल-भात में  

             मूसरचंद बन जाता है


      मुफलिसी में जब ...

        आटा गीला होता है, तो ....

          आटे दाल का भाव 

             मालूम पड़ जाता है


             सफलता के लिए ...

         कई पापड़ बेलने पड़ते हैं

   आटे में नमक तो चल जाता है, पर 

   गेहूँ के साथ .. घुन भी पिस जाता है


          अपना हाल तो बेहाल है,

        ये मुँह और मसूर की दाल है


              गुड़ खाते हैं, और 

         गुलगुले से परहेज करते हैं

  और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं


             कभी तिल का ताड़, 

        कभी राई का पहाड़ बनता है


        कभी ऊँट के मुँह में जीरा है,

              कभी कोई जले पर ...

              नमक छिड़कता है


           किसी के दाँत दूध के हैं,

           तो कई ... दूध के धुले हैं


       कोई जामुन के रंग सी 

         चमड़ी पा के रोई है

           तो किसी की चमड़ी जैसे 

                 मैदे की लोई है


                  किसी को ...

       छठी का दूध याद आ जाता है

          तो कोई ... दूध का जला 

      छाछ को भी फूँक-फूँक पीता है

           फिर दूध का दूध और 

         पानी का पानी हो जाता है


        शादी ... बूरे के लड्डू है,

    जिसने खाए वो भी पछताए, और 

  जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं

          पर शादी की बात सुन, 

      मन में लड्डू जरुर फूटते हैं

           और शादी के बाद ...

      दोनों हाथों में लड्डू आते हैं


    कोई जलेबी की तरह सीधा है, 

     तो कोई ... कोई टेढ़ी खीर है

     किसी के मुँह में घी-शक्कर है, 

    सबकी अपनी अपनी तकदीर है


    कभी कोई चाय-पानी करवाता है,

      तो कोई ... मख्खन लगाता है

       और जब छप्पर फाड़ कर 

            कुछ मिलता है, तो ...

    सभी के मुँह में पानी आ जाता है

       भाई साहब ! अब कुछ भी हो,

        घी तो खिचड़ी में ही जाता है


        जितने मुँह ... उतनी बातें हैं,

     सब अपनी-अपनी बीन बजाते हैं

              पर नक्कारखाने में ...

      तूती की आवाज कौन सुनता है


         सभी बहरे है, बावरे हैं 

    ये सब हिंदी के मुहावरें हैं 


    👆  ये गज़ब मुहावरे नहीं ... 👆

     बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं

               सच पूछो तो ....

        हिन्दी भाषा की जान हैं


साभार:- Facebook


सोमवार, 17 मई 2021

"कोरोना से बचने के लिए कोविशिल्ड का प्रथम टीका"

           सुबह से ही मन उत्साहित था। हो भी क्यों ना? कोरोना का टीका लेने जो आज जाना था। जब से रजिस्ट्रेशन हुआ था तब से कई बार उस टेक्स्ट मैसेज को देख चुके हैं जिसमें की लिखा था आपको 15-05-2021 को 9:00 AM से 11:00 AM के बीच टीका लेना है। 05 अंक मेरे लिए शुभ रहा है। यहां तो दो-दो 05 थे यानी की ज्यादा शुभ होने वाला है।


         प्रत्येक दिन 05:00 AM में नींद खुलती थी लेकिन आज 04:00 AM में ही लगा की सुबह हो गया। फिर भी 04:30 तक बिस्तर छोड़ दिये और 05:00 बजे तक तैयार भी हो गये। कहीं भी मुझे समय से जल्दी पहुंचने की बचपन से आदत रही है। 06:30 AM में सड़क पर चले गए। 02-03 Auto तो सामने से गुजरा लेकिन उसमें सीट नहीं था। लॉकडाउन की वजह से बसें नहीं चल रही है केवल छोटी-मोटी गाड़ियां ही चल रही थी। तभी एक और ऑटो आया वो भी लगभग पूरा भरा हुआ ही था इसलिए मैंने उसे रोकना उचित नहीं समझा। लेकिन वह ऑटो कुछ दूर आगे जाकर रुक गया और उसमें से एक जाना-पहचाना चेहरा दिखा मेरी ओर मुखातिब होकर बोला प्रणाम सर!!!🙏🏻 आइये बैठीये। डबल मास्क में होने की वजह से वह थोड़ी थोड़ी देर से मुझे पहचाना फिर ऑटो वाले से बोला- जाना तो सभी को है ना!!! चूंकि वह ऑटो वाला कोरोना की गाइडलाइन के अनुसार चलना चाह रहा था लेकिन कई बार परिस्थिति के अनुसार नियम तोड़ना भी पड़ता है। 
             कहां भी गया है ना कि अच्छे साध्य की प्राप्ति हेतु बुरे साधनों को अपनाया जा सकता है और यह कार्य नीति-शास्त्र के अनुसार सही भी है। वह ऑटो जैसे ही बरबीघा के मिशन चौक पर पहुंचा एक व्यक्ति ऑटो वाले के पास आया। उस व्यक्ति को देखते ही ऑटो वाले ने ₹30 निकाल कर देने का प्रयास किया लेकिन वह 40 से कम नहीं लेना चाह रहा था। फिर 35 और अंततः 40 लेकर ही वहां से गया। इस संपूर्ण प्रक्रिया में 05 मिनट से ज्यादा का समय लग गया। जैसे ही वह व्यक्ति ऑटो से दूर हुआ ऑटो वाले ने कुछ नासमझ आने वाली भाषा में बोलते हुए ऑटो स्टार्ट किया और आगे बढ़ाया। उसके उपरांत जब तक उसने सभी सवारियों को ऑटो से उतार नहीं दिया तब तक ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग करता रहा कि मैं उसे यहां प्रस्तुत नहीं कर सकता। 
           बरबीघा से पुनः शेखपुरा के लिए मुझे बस मिल गई। कोरोना यदि कहीं नहीं है तो वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट ही है। ख़ैर हम फाइनली अपने लक्ष्य के केन्द्र पर पहुंच गए। शेखपुरा सदर अस्पताल सेकंड फ्लोर पर टीका का केंद्र था। अभी फर्स्ट फ्लोर पर ही थे तभी किसी ने कहा की कोरोना का टिका यहाँ नहीं पड़ता है। मैंने पुनः मोबाइल में पता देखा SADAR ASPATAL 2ND FlOOR SKP. Address तो यही का था, तब उसने फिर कहा:- टीका इसके बगल में टाउन हॉल के परिसर में दिया जाएगा। मैं वहां से जल्दी-जल्दी टाउन हॉल गया। उस समय तक 08:00 बज गया था। मैं यह सोच रहा था कि 09:00 बजे से टीका शुरू करने का समय है तो 08:30 तक सभी कर्मचारी आ ही जाएंगे लेकिन जब मैं परिसर में गया तो मेरे अलावा उस परिसर में कोई नहीं था सिवाय कुछ पक्षियों🦜 एवं गिलहरियों🦨 के। 
          कभी समय मिले तो प्रकृति🌳 के साथ भी वार्तालाप कर लेना चाहिए यह सोचकर मै परिसर में घूमकर प्रकृति के साथ अंतर्संबंध बनाने का प्रयास करने लगा तभी मेरी नजर वहां दीवारों पर बनी बिहार की सुप्रसिद्ध कला मधुबनी चित्रकला पर गई। उन तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किए जो कि आप सभी के साथ साझा कर रहे हैं।👇👇




             मैं परिसर में बैठा अपने आप में मग्न था तभी अचानक किसी के आवाज से मेरी एकाग्रता भंग हुई। कोई 50-55 के बीच व्यक्ति थे 
उन्होंने कहा- कोरोना का सुई यही मिलेगा? 
मैंने कहा- जी, यही मिलेगा। 
तब उसने दोबारा पूछा- कब से शुरू होगा? 
कुछ जवाब देने से पूर्व मैंने समय देखा 09 बजने में 05 Min. कम था और उस परिसर में हम दोनों के अलावा तीसरा कोई नहीं था। मैंने उन्हें कहा देखिए आधे घंटे में शुरू हो जाए। 
          30 मिनट मैंने इसलिए कहां क्योंकि सरकारी कार्य को संपादित करने का System मुझे पता था। वह भी वही बैठ गए और समय व्यतीत करने के लिए हमसे बात-चीत शुरू कर दिए। उनसे बात-चीत से पता चला कि वह लखीसराय के थे और यहां टीका लेने आए थे। इसकी वजह मैंने नहीं पुछी क्योंकि मैं स्वयं तो सिवान का होकर शेखपुरा में टीका लेने आया था। 
       जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था वैसे-वैसे भीड़ बढ़ती जा रही थी। टीका देने वाले डॉक्टर एवं नर्स को छोड़कर सभी लोग पहुंच चुके थे बस लोग टीका यही लगेगा ना? यही पूछ कर संतुष्ट हो जा रहे थे। 10:00 बज चुका था लेकिन अभी तक टीका केंद्र पर ताला ही लगा हुआ था।

              अब तो वह लोग भी पहुंचने लगे थे जिनका ग्यारह से एक बजे वाला स्लॉट बुक हुआ था जैसे उन्हें पता चला कि अभी 09:00 से 11:00 वालों का शुरू नहीं हुआ है तो उन्हें थोड़ी निराशा हुई लेकिन हम भारतीय है ना!!! हमें इस बात का अफसोस नहीं होता है कि कोई सुविधा कैसे मिला? बस मिल गया!!! यही हमारे लिए बड़ी बात होती है। भले हम सिस्टम की हम बात करते हैं लेकिन जिसको जितना मौका मिलता है वह उतना ही उसे ध्वस्त करने का प्रयास भी करता है। उस समय तक लगभग 60 से 70 लोग पहुंच चुके थे। हर कोई अपने अनुसार बातचीत करके समय को व्यतीत कर रहा था। कुछ युवा भी थे जो टीका लेते वक्त कौन किसकी फोटो क्लिक करेगा यह तय कर रहे थे। मुझे लगा कि यह तो अच्छा है कि कोरोना का टीका बाएं हाथ में पड़ता है नहीं तो यदि............???
            कुछ लोग गंभीर मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे। जैसे की कोरोना का टीका अभी तक कौन-कौन ले चुका है? उनका इशारा हमारे देश के राजनेताओं की ओर था, कई तो इस बात से डरे हुए थे कि कहीं बुखार ना हो जाए। इन्हीं सब बातों के बीच हाथ में बैग, दवाई की किट लेकर चार पांच लोग प्रकट हुए। यहां "प्रकट" शब्द का प्रयोग इसलिए क्योंकि जितनी तत्परता एवं समय से हम इंतजार कर रहे थे यदि इतनी तत्परता से तपस्या करते तो शायद भगवान भी प्रकट हो जाते लेकिन डॉक्टर भी तो भगवान का ही दूसरा रूप होते हैं हमने उन भगवानों को नमन किया और मन में विश्वास किया की भगवान तो देर से ही आते हैं वह भक्तों की लंबी प्रतीक्षा के बाद दर्शन देते हैं।
                उस समय तक 10:30 हो चुका था मेरी तरह और भी किसी ने वहां पर यह पूछने की जरूरत नहीं समझी कि इतना विलंब क्यों??? फटाफट लोग एक-दूसरे के पीछे लाइन में लग गए। 11:00 बजे से टीकाकरण कार्य शुरू हुआ मेरा नंबर आते-आते 12:00 बज गया। कहां मैं 09:00 से 11:00 के बीच स्लॉट बुक किया था लेकिन क्या करें System है। टीका लेते वक्त एक सेल्फी 🤳 मैंने भी ले ली ताकि उसे सोशल मीडिया में अपलोड कर सके।


Covishield 

           टीका लेने के बाद 30 मिनट वहां रुका जाता है उक्त बातें ना मुझे याद रही और ना ही कोई कहां। शेखपुरा जाने में तो खैर विशेष कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन आते समय थोड़ी-बहुत हुई लेकिन मैं आ ही गया। शेखपुरा से आने के दरम्यान बस वाले ने 30 की जगह 50 लिया और बरबीघा से कुतुब-चौक के लिए 15 की जगह 20. जब मैंने इसकी वजह पूछी तो ड्राइवर ने मधुर मुस्कान के साथ कहां- यही तो मौका है सर आपदा में अवसर का। मैं कुछ कहता उससे पूर्व वह आगे निकल गया क्योंकि उसे और भी सवारियों को अपने मंजिल पर पहुंचानी थी या यूं कह सकते हैं कि आपदा में अवसर ढूंढना था।


शुक्रवार, 14 मई 2021

U.P.I. क्या होता हैं ? What is U.P.I. सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में।



UPI क्या होता है? इसका प्रयोग हम कैसे करें? यह सवाल तो आपके मन में भी कई बार आया होगा। आप मे से अधिकतर लोग इसके बारे में जानते भी होंगे और यदि नहीं भी जानते है तो कोई बात नहीं मैं विश्वजीत कुमार आपको  इस लेख में विस्तृत रूप से बताएगा की UPI ID क्या होता है? और इसका उपयोग कहाँ और कैसे किया जा सकता  है? 
            लेख को आरंभ करने से पूर्व मैं आपको UPI की फुल फॉर्म बताता हूँ UPI का फुल फॉर्म Unified Payment Interface होता है। यदि आप इसकी हिंदी जानना चाहे तो इसका हिंदी होता है- एकीकृत भुगतान अंतरापृष्ठ। यह एक Instant Real Time Payment System होता है। जिसको National Payment corporation of India यानी की NPCI ने तैयार किया है। यह सुविधा हमें Bank to Bank facilitate करता है, यानी यह एक बैंक से दूसरे बैंक में मोबाइल द्वारा तुरंत पैसे भेजने के लिए एक बेहद ही अच्छा सिस्टम बनाया गया है। इस सिस्टम को Reserve Bank of India यानी की RBI के द्वारा देखरेख किया जाता है। भारत के लगभग सभी बैंक अपने कस्टमर्स को UPI की सुविधा उपयोग करने की सुविधा देते हैं। UPI पैसे भेजने का एक बेहद ही सुलभ तरीका है। वैसे तो ऑनलाइन पैसे भेजने के लिए हमारे पास नेट बैंकिंग पहले से ही मौजूद था लेकिन Internet Banking आज भी भारत में आधे से ज्यादा लोगो को सही जानकारी ना होने के कारण उपयोग नहीं कर पाते। क्योंकि नेट बैंकिंग का उपयोग करने के लिए User को बैंक के वेबसाइट पर Login करना होता है जिसके लिए आपको Login ID और Password को याद रखना होता है, और सिर्फ इतना ही नहीं Login करने के बाद भी अंदर की प्रोफाइल को Access करने के लिए भी अलग Password होता है, और हर बैंकिंग वेबसाइट का डिज़ाइन लुक फीचर अलग-अलग होते हैं जिसके बारे में सामान्य जनता को पता नहीं होता और सिर्फ कुछ ही लोग Internet Banking का उपयोग कर पाते थे। इसी वजह से Transaction को आसान बनाने के लिए  UPI को बनाया गया।
            UPI में फायदा यह है कि आप जैसे ATM में जाते हैं और 04 Digit का Pin डालकर अपना पैसा निकालते हैं। ठीक उसी प्रकार यू.पी.आई. में भी 04 या 06 डिजिट का पिन टाइप करके आप पैसे को एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में आसानी से भेज सकते हैं।

Benefits Of UPI 

01. UPI के द्वारा आप कही भी आसानी से पैसे भेज सकते हैं और पैसे मंगवा भी सकते हैं वो भी एक Virtual Payment Address (VPA) का उपयोग करके। Virtual Payment Address को आप इस तरह समझ सकते हैं जैसे आपके घर का एक पता है (जो किसी और का पता नहीं हो सकता), आपके पास एक मोबाइल नंबर है  (जो नंबर किसी अन्य व्यक्ति के पास नहीं हो सकता), आपकी E-mail ID भी किसी और की नहीं हो सकती, इसी तरह से आपका VPA भी होता है जो किसी और का नहीं हो सकता। यदि आप अपना VPA बैंक से निर्मित कर रहे हैं तो वह कुछ इस तरह का होता है। Yourname@oksbi, Yournumber@okicici , Youremail@okaxis . अगर आप VPA किसी App से बना रहे हैं तो कुछ इस तरह का होगा - YourEmail@paytm, Yourmobilenumber@freecharge, yourmobilenumber@ybl, etc. तो जैसे आपको किसी से पैसे मंगवाना हो तो आप सिर्फ उसको अपना VPA देंगे जैसे Youremail@oksbi और अगर वह व्यक्ति UPI से पैसे ट्रांसफर करना जानता होगा तो वह आपका VPA (youremail @ oksbi) से ही डायरेक्ट आपके खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकता है। आपको उस व्यक्ति को कोई Account Number, IFSC, Branch, Bank etc कुछ देने की जरुरत नहीं पड़ेगी सिर्फ एक Virtual Payment Address ही काफी होगा। 

02. दोस्तों UPI का दूसरा फायदा यह है कि अगर आपको किसी को पैसे भेजने हैं और अगर आपके पास उस व्यक्ति के खाते की Details नहीं है और अगर आपके पास उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर हैं तो भी आप सिर्फ Mobile नंबर से ही पैसे भेज सकते हैं, लेकिन हाँ उस व्यक्ति का अकाउंट उसके मोबाइल नम्बर से जुड़ा होना चाहिए। कभी-कभी एक व्यक्ति के अलग-अलग बैंको में खाते होते हैं और सभी खाते एक ही नंबर जुड़े रहते हैं तो ऐसी परिस्थिति में उस व्यक्ति ने जो Primary Account Set कर रखा होगा उसी में पैसे प्राप्त होंगे।

3.UPI का तीसरा फायदा यह है की आप अगर किसी का खाता नंबर, IFSC Code जानते हैं, और पैसे भेजना चाहते हैं तो भी नेट बैंकिंग की तरह ही डायरेक्ट उस व्यक्ति के खाते में पैसे Transfer कर सकते हैं। 

04. UPI का चौथा फायदा यह है की आप आधार का उपयोग करके भी किसी व्यक्ति के खाते में पैसे भेज सकते हैं, पर ध्यान यह रहे की उस व्यक्ति का आधार उसके बैंक खाते से जुड़ा हुआ होना चाहिए।
 
05. पांचवा फायदा UPI का यह है कि QR Code (Quick Response Code) की मदद से भी आप किसी को पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। QR Codes को आपने ज्यादातर Mall, दुकान , रेस्टोरेंट, होटल आदि। में देखा होगा, जहां QR को स्कैन करके ही आप आसानी से अपने बिल का भुगतान कर सकते हैं।

06. यह बहुत ही Secure Transaction होता हैं, क्योंकि यहाँ पर आपको Single click to factor Authentication होता है और इसमें आपको किसी व्यक्ति के साथ कोई Extra Details Share नहीं करना पड़ता।

07. UPI का सातवां Benefit यह है कि इसमें आपको Sent, Request दोनों विकल्प मिल जाते हैं, सेंड का मतलब आप किसी को पैसे सेंड करोगे और रिक्वेस्ट का मतलब यदि आप किसी व्यक्ति को अमाउंट टाइप करके पेमेंट की रिक्वेस्ट कर सकते हैं, यदि वह व्यक्ति सहमत होता है तो उसको अपना PIN इंटर करना है और आपके पास पैसे आ जायेगें। 

08. UPI का आठवां फायदा यह है कि आप एक ही App के अंदर Multiple Accounts Add कर सकते हैं। 

UPI से कितने पैसे भेजे जा सकते हैं ? 

UPI से हम कितने पैसे भेज सकते हैं और UPI की Transfer Limit कितनी होती है आइये जाते हैं। 
GooglePay/Day Balance Transfer Limit - 1100000 
Phone Pay/Day Balance Transfer Limit - 11,00,000 
PayTm /Day Balance Transfer Limit - 31,00,000 
BHIM/Day Balance Transfer Limit - 340,000


गुरुवार, 13 मई 2021

एक बिहारी का देश के प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र।






मोदी सर के नाम मेरा एक खुला पत्र।


(नोट:- थोड़ा बड़ा है, पढ़िए और ठीक लगे तो शेयर ज़रूर कर दीजिएगा ताकि यह मोदी सर तक पहुँच जाए।)


सबसे पहले तो आप तक मेरा प्रणाम पहुँचे क्योंकि हमारे यहाँ संवाद के शुरुआत में यह न हो तो ठीक नहीं लगता।
शिष्टाचार का होना और बचे रहना बहुत ज़रूरी है।
मोदी जी हम बिहार में पैदा हुए हैं और इच्छा है कि अंतिम समय में भी यहीं की मिट्टी नसीब हो।


          हम उन लाखों-करोड़ों बिहारियों की तरह नहीं हैं जिनको एक तरफ़ बिहारी कहलाने में शर्म भी महसूस होती है और दूसरी तरफ़ वे बिहार के गौरवगाथा से अटूट प्रेम रखते हैं और अपने अतीत को अपने मोबाइल की तरह लिए घूमते हैं। कभी मगध से तो कभी चंद्रगुप्त से तो कभी अशोक से एक दूसरे को मारते फिरते हैं।
पर मोदी सर हम तो उन कुछ बिहारियों में से हैं जिनको अपने अतीत और अपनी गौरवगाथा पर ख़ूब गुमान है। परन्तु आज हमसे हमारे बिहार का वर्तमान सवाल कर रहा है। आज मेरा वर्तमान दीवाल पर लटके पंखे की तरह मेरे सामने लटका हुआ दिख रहा है, हम पर घूर रहा है।
हम तो पहले ही बिहार के गुणगान में कविता लिखना कौन कहे विडीओ तक बना चुके हैं। बिहार के लिट्टी से लेकर बलुई मिट्टी तक पर बड़ा-बड़ा लिख और कह चुके हैं।
अगर समय मिले तो सुनिएगा, अभी नहीं तो कम से कम बिहार Election के ही समय।
समय तो नहीं है आपके पास आख़िर आप अट्ठारह-अट्ठारह घंटे काम करते हैं। कोई-कोई तो कहता है कि आप चौबीस घंटे काम करते हैं।
आप पर जिसको प्रश्न उठाना है उठाए, पर हमको आप पर पूरा विश्वास है। अगर कोई कहे आप एक दिन में पच्चीस घंटे काम करते हैं तो हम वह भी आँख मूँद के मान लेंगे और बिना किसी संशय के।


हम बिहार के पूर्वी चंपारण के एक छोटे से गाँव से हैं, एकदम प्रेमचंद जी के उपन्यास वाले गाँव की तरह।
हमारे यहाँ कई लोग अभी भी बिना घड़ी देखे और माथा के ऊपर लटके सूरज को देखकर समय बता देते हैं।


मोदी सर आज एक तरफ़ जहाँ सब लोग चंद्रमा पर जाने की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ़ हमारे यहाँ आज भी बढ़िया डाक्टर से मिलने के लिए कोसों दूर ज़िला मुख्यालय जाने में भी रोआँ काँप उठता है।
यहाँ सड़क है और वह भी बहुत चकाचक। गाड़ियाँ भी साँय-साँय चलती हैं, पर उतना दूर जाने के लिए किराया देना पड़ता है और साथ में कोई न हो तो भी दिक्कत होती है।
ज़िला मुख्यालय में डाक्टर साहेब लोग का फ़ीस भी पेट्रोल के मीटर से अधिक तेज़ी से भागता है एकदम आपके बुल्लेट ट्रेन के रफ़्तार में।
इस कारण कई लोग झोला छाप डाक्टर से ही बड़े से बड़ा इलाज करा लेते हैं।
कईयों के साथ दुर्घटना भी हो जाती है। अब कई लोग मर जाते हैं या कोई अनहोनी हो जाती है तो उसका ज़िम्मा आपके सर पे थोड़ी न है।उनका नसीब है तो वो भोगें।


अभी कोरोना है मोदी जी, आपसे क्या छुपा है।
पर इस समय ये झोला छाप डाक्टर ख़ूब मदद कर रहे हैं, इसके लिए इनको शुक्रिया कह के इनके इस मदद को छोटा कर देना ठीक नहीं लग रहा हमको।
हम आपके इस चिट्ठी के माध्यम से इन सभी झोला छाप डॉक्टरों को भी प्रणाम🙏 भेजते हैं।
मेरा प्रणाम उनतक पहुँचाने में मदद करिएगा या अगर आपको समय इजाज़त दे तो दो-चार शब्द अपने मन की बात में कह दीजिएगा।


मोदी जी आप भगवान हैं। साक्षात नारायण हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं आप खिसियाइएगा मत हमसे।
बल्कि भारत में बहुत लोग कह रहे हैं, अगर नहीं भी हैं तो आप बन जाइए और गाँवों में स्वास्थ्य सुविधाएँ ठीक करा दीजिये मोदी सर।
हम आपसे वादा करते हैं कि हम ज़िंदगी भर आपके लिए थाली और ताली बजाएँगे।
गाँव में आपका अस्पताल भी है पर व्यवस्था नहीं है, वह चलकर भी नहीं चल रहा है।
बहुत दुःख होता है मोदी सर।
आपके रहते हुए कोई माँ कैसे अपने बेटे के गोद में दम तोड़ सकती है!!!!
राजा जी आपके राज में कैसे कोई एम्बुलेंस के बिना दम तोड़ सकता है!!!!
लाखों की आबादी वाले गाँव में भी ठीक-ठाक या कामचलाऊँ स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
ज़िला मुख्यालय या पास के शहर में जाने में वक्त भी लगता है और सबके पास रावण वाला उड़नखटोला या पुष्पक विमान भी नहीं है जो झट से उड़ के डॉक्टर साहेब के यहाँ पहुँच जाए।
जाते-जाते देर हो जाती है और इसी क्रम में ही अनहोनी भी हो जाती है।
आप अभी नहीं तो कुछ समय बाद ही सही पर इसे दुरुस्त करा दीजिए।
लोग बच गए तो इलाज कराएँगे ज़रूर। उनको ज़िंदगी मिलेगी और आपको वोट के साथ-साथ अनगिनत दुआएँ, एकदम एक पर एक फ़्री की तरह मोदी सर।


मोदी सर हमारा भी तबीयत बहुत ठीक नहीं है। अभी के लिए इतना ही, फिर लिखेंगे✍️
आप पढ़िएगा ज़रूर।


हमेशा ज़िन्दाबाद रहिए।
Narendra Modi
फिर से प्रणाम🙏 आपको।


विकास जी के Facebook Wall से।

कम्प्यूटर में Function key क्या होता हैं और इसके कार्य प्रणाली क्या है? What is Function key in P.C.


नमस्कार🙏, आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं  लैपटॉप/computer के Function Key के बारे में। आजकल हम सभी के पास computer या laptop हैं। जिनमे सामान्य तरह से उपयोग होने वाली keys जैसे:-Alphabets और Numerical keys का उपयोग तो आप सभी जानते हैं कि इनका उपयोग भी हम किसी भी word या Number को टाइप करने के लिए करते हैं। मगर शायद आपने Function keys पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया होगा और अगर दिया भी होगा तो एक या दो function keys का ही मतलब पता होगा। लेकिन मैं विश्वजीत कुमार आज आपको बताने वाला हूँ सारे function keys के बारे में जिनसे आपको बहुत फायदा मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं F-1 key से।
 F-1 Function key 

F-1 function key का उपयोग किसी भी Software या Application के Help Center के लिए किया जाता है। यानी जैसे:- अभी आप मेरी Blog पर इस पोस्ट को किसी Browser पर पढ़ रहे हैं चाहे वह chrome, firefox, UC browser हो या अन्य कोई browser. यदि आप अपने कंप्यूटर/लैपटॉप पर F-1 बटन दबायेंगे तो सीधा उस ब्राउज़र का Help page open हो जायेगा। 

 F-2 Function key 

F-2 function key का उपयोग किसी भी फाइल को Rename करने के लिए किया जाता है। क्या पता था आपको??? Comment कर के बताइयेगा। अभी तक आप भी माउस के Right Click करके फिर Rename Option पर जाकर तब किसी फ़ाइल को Rename करते होंगे मगर एक बार आप किसी फाइल पर F-2 बटन दबा कर देखें तो आप बस एक बटन के दबाने से ही File Rename कर पायेंगे।
                                                                  
                                                                    F-3 Function key

F-3 function key  को किसी Application में File, word, Alphabets को find करने के लिए किया जाता है। जैसे आप किसी ब्राउज़र में कोई आर्टिकल पढ़ रहे हैं। अगर आप F-3 दबायेंगे तो एक छोटा सा Box Open होगा जिसमें आप कुछ भी Type करेंगे तो वह उस keyword से Related files और Words को Highlight कर देगा। 
                                                                 
                                                                 F-4 Function key

F-4 function key को दबाने से तो कुछ नहीं होगा मगर जब आप इस keys को Alt के साथ यानी Alt + F4 प्रेस करेंगे तो आपकी जो Application खुली होगी वह बंद हो जाएगी। और जब आप Alt + Shift + F4 दबाते हैं तो आपका कंप्यूटर आपको shut down, restart, Log off, task manager, के विकल्प खुल जायेंगे और फिर आप आसान तरीके से अपने कंप्यूटर को Restart, shutdown कर सकते हैं। Alt + Shift + F4 + Enter जब आप प्रेस करेंगे तब आप का कंप्यूटर shutdown यानी बंद हो जाएगा।

                                                                  F-5 Function key

F-5 function key का काम किसी भी window, desktop, website,  Web page को Refresh करना होता है। यदि आप अपने माउस का Right dick करके refresh करते हे तो अब F-5 दबाये ओर समय बचाए।

                                                                   F-6 Function key

F-6 function key Laptop में F-6 key वॉल्यूम कम करने का कार्य और डेस्कटॉप में किसी भी Browser के URL (Uniform Resource Locator) में सीधे जाने के लिए इसका  उपयोग किया जाता है। 
                                                                       
                                                                    F-7 Function key

F-7 function key यदि आप laptop में F-7 दबायेंगे तो यह वॉल्यूम को बढाएगा और यदि आप डेस्कटॉप का प्रयोग  कर रहे हैं तो F-7 दबाने पर कुछ भी नहीं होगा लेकिन जब आप M.S. word, Power Point, या कोई भी word document file पर काम कर रहे हों , तो वहाँ यह Spelling, Grammar check करने के लिए इस Key का प्रयोग किया जाता हैं। 

                                                                       F-8 Function key

F-8 function key का उपयोग हम दो चीजो के लिए करते हैं। 
1. Safe Mode में जाने के लिए जब भी आप अपने Computer को Safe Mode में चालु करना चाहते हैं तो आपको अपने कंप्यूटर या लैपटॉप में F-8 Press करना होगा। 
2. M.S. office पर कार्य के लिये जब आप किसी word file में काम कर रहे हो तो F-8 दबाने से आपका सारा Text Select हो जायेगा। अमूमन आप ये कार्य Ctrl+A  से करते होंगे। F-8 से भी प्रयास कर सकते हैं।
                                                                         
                                                                   F-9 Function key

F-9 function key का प्रयोग  लैपटॉप में Brightness Decrease करने के किया जाता है और Desktop में F-9 प्रेस करने से कुछ भी नहीं होगा मगर जब आप  Ms word में काम कर रहे हो तब आप F-9 दबाकर Document को Refresh कर सकते हैं, इसके अलावा आप Microsoft outlook में Email send और Receive करने के लिए भी F-9 key का उपयोग कर सकते हैं। 
                                                                    F-10 Function key

F-10 function key अगर आप Laptop में F-10 press करेंगे तो Laptop का  Brightness बढ़ जायेगा। यदि आप Desktop में F-10 Press करेंगे तो यह किसी भी Open Application के Menu बार को Activate कर देगा। इसके अलावा अगर आप Ms word का प्रयोग  कर रहे हैं तो वहां पर आप Shift + F10 प्रेस करेंगे तो आपको वही पर एक छोटा सा Shortcut Menu दिख जायेगा, ये मेनू आप अपने माउस के  Right click करके भी देख सकते हैं

                                                                     F-11 Function key

F-11 function key का कार्य किसी भी Browser को full-screen Mode में देखने के लिए किया जाता है। जिस से उपर का URL (Uniform Resource Locator) Bar और नीचे का Taskbar Hide हो जायेगा और बीच का पार्ट आपको full screen पर दिखेगा।

                                                                        F-12 Function key

F-11 function key का उपयोग Laptop में Wi-Fi को चालु एवं बंद और Flight Mode को  Activate करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा आप Ms word में F-12 का प्रयोग Document को Save करने के लिए कर सकते हैं, Ms word में जैसे ही आप F-12 Press करेंगे तो आपसे पूछा जायेगा की आप फाइल को कहाँ और किस नाम से save करना चाहते हैं। 

            तो चलिये हम उमीद करते हैं कि आपको कम्प्यूटर में Function key क्या होता हैं और इसके कार्य प्रणाली क्या है? What is Function key in P.C. अच्छे से समझ में आ गया होगा। यदि फिर भी कोई सवाल या  सुझाव हो तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं और ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए VISIT करते रहे हमारे Blog को।

धन्यावाद