ग़ज़ल
मेरा दर्द तू, हमदर्द तू ।
दौलत मेरी, मेरा कर्ज तू ।।
इक तू ही मेरा इलाज है।
मेरा लाइलाज है मर्ज़ तू ।।
मसला है तू, तू है बहर ।
मेंरी हर ग़ज़ल का तर्ज तू ।।
मेरे दिल की है आवारगी ।
मेरी ज़िंदगी का है फर्ज तू ।।
मुतमईन हो नहीं पाया कभी ।
ख्वाबों को हकीकत में बदलने नहीं दिया तू ।।
अब क्या लिखूँ मैं।
सच है बड़ी खुदगर्ज तू ।।
गजल में प्रयुक्त कुछ शब्दों के अर्थ -
बहर - बहुत बड़ा जलाशय, नदी या समुद्र।
मुतमईन - आश्वस्त होना।
साभार - सोशल मीडिया।
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