शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

खुद से आंख मिला ना पाता, तोड़ दिया मैंने वो दर्पण।

 पापा थे किसान,

माँ थी आंगनवाड़ी शिक्षक।

खुद से आंख मिला ना पाता, 

तोड़ दिया मैंने वो दर्पण


उस टूटे दर्पण में मुझको, 

मेरी टूटी किस्मत दिखती थी

मईया मोरी सबसे छिपकर, 

हर रात सिसक-कर रोती😭 थी 


बापू का संघर्ष बड़ा था, 

जमाने भर का ताना था 

बहन आधा पेट हैं खाती, 

भूख नहीं है बहाना था 


फटे ज़ेब थे फट्टे थे कॉलर, 

उनको भी सिलवाना था

बापू को तो था दर्द बहुत, 

लेकिन फिर भी खेत में जाना था


कलम से था रिश्ता,

कलम ही दिन-रात मै खींचता था।

 हाथों में पड़ गए छाले,

पर जरा नहीं सिसकता था।


नयन में जो तेरे सपना था,

वह हम सबका अपना था।

और उसका पूरा करने को, 

मुझको तो आग🔥 में तपना था।


 छत जो घर की टपक रही थी,

उसको भी तो भरना था।

जिस कर्म के लिए जन्मा लाल तुने,

उस कर्म को पूरा करना था।


पर्वों से नाता तोड़ लिया, 

अब घर से भी मुख मोड़ लिया। 

पत्थर बहुत थे राहों में,

चुन-चुन कर सब को तोड़ दिया। 


तो अब मईया को बतलाना है, 

सपना उसका साकार हुआ। 

देख लाल उसका आज, 

सज-धज कर तैयार हुआ।  


तो माँ अब मैं तुमको बता दूं, 

पहले वाली बात नहीं

वो पहले जैसे दिन नहीं, 

वो पहले जैसी रात नहीं। 


अब बहना को कह देना, 

आधा पेट ना खाना है। 

और कह देना पिताजी से, 

अब खर्चा नहीं भिजवाना है।  


कठिन तपस्या थी मगर,

मेहनत मेरा हथियार था। 

गुरुओ से लेकर दीक्षा, 

तेरा लाल रण को तैयार था। 


सब्र की मैया बांध ना टूटी,  

मै गला किस्मत का घोंट गया।

देख तेरा लाल तुझ तक, 

बन प्रोफेसर लौट गया।


साभार:- सोशल मीडिया 




9 टिप्‍पणियां:

  1. गागर में सागर। हैं आपकी कविता । जीवन एक संघर्ष हैं सफलता पूंजी हैं।

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  2. पापा थे किसान,

    माँ थी आंगनवाड़ी शिक्षक।

    खुद से आंख मिला ना पाता,

    तोड़ दिया मैंने वो दर्पण।

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  3. दर्पण जब जब है टूटेगा
    विश्व में जीत बनकर उभरेगा
    बहना की भूख, माता की सिसक
    पा के संघर्ष की गाथा बनकर उभरेगा
    वंशज है विश्वा, उस अपूर्ण दर्पण का
    कभी न कभी वह उभरेगा
    कलम है उसकी जो जाग उठी
    गाथाएं अब वह लिखेगा
    टूटा दर्पण सी अमिट कहानी
    लिखकर वह विश्वा अब जो चमकेगा
    अर्पण है हमें उनका, टूटा यह दर्पण
    जो हम सबके लिए अमिट कहानी है
    बहना,अम्मा,और अब्बा के
    वीर सुपूत की बस, टूटे दर्पण सी कहानी है🙏🤗🙏

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. अपने जीवन की सफलता पूण अनुभव आपने जो बताया है वह हम लोग के जीवन में काफी लाभदायक होगा हम लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं।
    इतनी कठिन रास्तों से अपने गुजर करके इन मुकाम तक अपने आप को पहुंचाया है इसके लिएआपको बहुत-बहुत बधाई । ऐसे ही उन्नति पूर्ण आपका जीवन भरा हो।

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  6. यह सिर्फ एक कविता नही, अपितु लेखक के कठिन सघर्स के सफलता की संछिप्त कहानी है.
    फटे ज़ेब थे फट्टे थे कॉलर,

    उनको भी सिलवाना था।

    बापू को तो था दर्द बहुत,

    लेकिन फिर भी खेत में जाना था

    पर्वों से नाता तोड़ लिया,

    अब घर से भी मुख मोड़ लिया।

    पत्थर बहुत थे राहों में,

    चुन-चुन कर सब को तोड़ दिया।

    Best part of this poetry 👏🏻

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