मैया मोरी मैं नहीं आज नहायो
भोर भई मुंह धोने के बहाने,
बाथरूम मोहें पठायो।
बर्फीलो पानी वहां देख कर,
प्राण गले में आयो।
मैया मोरी मैं नहीं आज नहायो.....
मैं बालक ठण्ड को मारो,
त्राहि-त्राहि चिल्लायो।
घरवाले सब बैर पड़े हैं,
बरबस मुख धुलवायो।
मैया मोरी मैं नहीं आज नहायो.....
तू जननी मन की अति भोली,
बापू कहे कुटियाओ।
जिय तेरे कछु भेद दिखत है,
तबही नहीं बचायो।
मैया मोरी मैं नहीं आज नहायो.....
ये ले अपनी बाल्टी साबुनिया,
बहुत ही नांच नचायो।
"सुरदास" तब हंसी यशोदा,
खाली ड्राई-क्लीन करायो।
मैया मोरी मैं नहीं आज नहायो.....
सुन, मैया मोरी मैं नहीं आज नहायो....
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