बच्चे उड़ गये अकेली चिड़िया रहती है।
बड़ी सी एक हवेली में बुढ़िया रहती है।।
ये ख़्वाब ले गये आँखों को अपने साथ-
अब अकेली काजल की डिबिया रहती है।
जिस पर बैठ कर फूले नहीं समाते थे-
कोने में धूल चढ़ी वो फटफटिया रहती है।
महक ले गया हो कोई फ़िज़ा की सारी-
और बिन फूलों की कोई बगिया रहती है।
सिमेट कर दुनिया भर का शोर ‘शेखर’-
तन्हाई की दुनिया में एक दुनिया रहती है।
shekhar✍️
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