कलम और डायरी है तन्हाई मिटाने के लिए।
गम ही काफी है दोस्त हमको हंसाने के लिए।।
बड़े नादान हो हंसने को खुशी कहते हो ।
लब तो हंसते हैं फखत दर्द छुपाने के लिए।।
अब तो बच्चे भी बुजुर्ग हो रहे हैं बचपन में।
इन जिम्मेदारियों का बोझ उठाने के लिए।।
मुझ में हैं लाख बुराई मैं भूल जाता हूं।
आपका शुक्रिया ये बात बताने के लिए।।
है किसे आरज़ू लंबी हयात की यारों ।
हम तो जिंदा हैं महज फर्ज निभाने के लिए।।
गिर गया इतना की अब आदमी उठे कैसे।
क्या नहीं उसने किया पैसा कमाने के लिए।।
फिर भी लबो पर ख़ामोशी रखता हूँ
क्योकि वादा किया था तुमसे हमेशा मुस्कुराने के लिए।।
साभार:- सोशल मीडिया
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