विदाई का समय उदासी का भी समय होता है, चाहे विदाई कोई भी हो, किसी की भी हो। यह भावुकता छिपाए भी नहीं छिपती है। विदा होने वाला और विदा करने वाला दोनों ही भावुक होते हैं, हो सकता है कि भावुकता के उस वेग में या मात्रा में थोड़ा-बहुत अंतर हो।
आसमान में पूरब दिशा में लटका हुआ चाँद भी आज न जाने क्यूँ उदास है ?
शायद🤔 इसलिए कि आज यह चाँद सावन के महीने को विदा कर रहा है। यह चाँद 🌕 आज पूरा होकर भी अधूरा है क्योंकि यह विदा करने के लिए ही आकाश में आया है।
आज के इस चाँद में बिरह का दर्द साफ़ झलक रहा है। पर काल के चक्र को भला कौन बदल पाया है। जब कोई चाँद को देख रहा है तो वह किसी और तरफ़ बादल में जाकर मुँह फेर ले रहा है, ठीक वैसे ही जैसे कोई इंसान किसी ओर झेंप जाता हो।
जानते हैं, चाँद अपनी शीतलता के लिए भी जाना जाता है पर आज के चाँद की शीतलता नमी बन के इसकी आँखों में दिख जा रही है और इसे ख़ूब अच्छे से महसूस भी किया जा सकता है। यह शीतल नमी न जाने कब आँसू बन के इस चाँद की आँखों से छलक उठे यह चाँद को भी नहीं पता और आँखों से उतरती इस नमी को शायद वह चाँद चाह कर भी नहीं रोक पाएगा।
.....शायद यह विदा होते और विदा करते चाँद की अपनी वेदना का आवेग है।
ख़ैर,
चलिए जाते हुए इस सावन को उस उदास दिख रहे चाँद के साथ हँस😊 के विदा किया जाए।
विकास ✍️
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