परियोजना एवं प्रतिवेदन
(Project and Report)
परियोजना एवं प्रतिवेदन (प्रोजेक्ट एवं रिपोर्ट) जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह दोनों अलग-अलग विषय वस्तु है तो चलिए इस लेख में हम दोनों को अलग-अलग समझने का प्रयास करते हैं। सबसे पहले हम जानेंगे परियोजना यानी की प्रोजेक्ट और उसके उपरांत प्रतिवेदन यानी की रिपोर्ट के बारे में ......
परियोजना (Project)
परियोजना जिसे हम "कार्ययोजना" भी कह सकते हैं यह किसी समस्या के समाधान या किसी विषय वस्तु से संबंधित जानकारियों को प्रकाशित करने के लिए तैयार की गई एक पूर्ण योजना (Planing) होती है।
इसे हम यूं भी कह सकते हैं कि,
किसी भी क्षेत्र जैसे- चिकित्सा, विज्ञान, व्यापार, इत्यादि में किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जो विशेष योजना बनाई जाती है एवं उसे क्रियान्वित (पूरा) भी किया जाता है उसे प्रोजेक्ट (परियोजना) कहते हैं।
or
परियोजना वैज्ञानिक आधार पर विकसित की गई एक कार्य योजना हैं जिसे निश्चित अवधि में विशेष उद्देश्य की प्राप्ति हेतु तैयार किया जाता है।
परियोजना के प्रारूप में कार्य की शुरुआत कैसे होगी ? कब, कौन सा कार्य संपादित होगा ? कार्य की समाप्ति कब होगी ? कितने संसाधन लगेंगे ? कितने धन की आवश्यकता होगी ? इत्यादि बातों को भी क्रमबद्ध लिखा रहता है।
वर्तमान परिदृश्य में समस्याएं हमारे सम्मुख विकराल रूप में आ खड़ी हुई है। जैसे - नौकरी की समस्या, बिजली की समस्या, अनेकों प्रकार के जीवाणु एवं विषाणु से उत्पन्न होने वाले बीमारियों की समस्या, इत्यादी। हमारे आस-पास बहुत सी ऐसी समस्याएं मौजूद रहती है जिन्हें देखकर कि हमें लगता है कि इसका समाधान होना चाहिए यदि हम उस समस्या के तह तक जाकर उसके सभी पहलुओं को जानने के उपरांत उसके निदान के लिए जो संभावित योजना बनाते हैं उसे ही परियोजना कहा जाता है। जैसे:- इसरो की चंद्रयान परियोजना, मंगलयान परियोजना, इत्यादि।
परियोजना की विशेषताएं
एक अच्छी परियोजना की निम्नलिखित विशेषताएं होती है :-
उद्देश्य :- प्रत्येक परियोजना को तैयार करने के पीछे कुछ न कुछ उद्देश्य छिपा हुआ होता है जैसे ही उस उद्देश्य की प्राप्ति हो जाती है वैसे ही परियोजना का समापन हो जाता है।
अद्वितीय :- प्रत्येक परियोजना अपने आप में अद्वितीय यानी कि यूनिक होता है कभी भी दो परियोजनाएं बिल्कुल एक जैसी नहीं हो सकती। हां उसमें थोड़ी बहुत समानताएं हो सकती है।
अनिश्चितता (Uncertainty) :- भविष्य किसी ने नहीं देखा और यह भी नहीं जानता की कल क्या होगा ? ठीक उसी परियोजना जब तक समाप्त हो जाए तब तक उसमें अनिश्चितता बनी रहती है।
जोखिम (Risk) :- परियोजना चाहे छोटी हो या बड़ी जोखिम (Risk) हमेशा बना रहता है। छोटी परियोजनाओं में कम जोखिम जबकि बड़ी परियोजनाओं में अधिकतम जोखिम रहता है।
प्रतिवेदन (Report)
किसी परियोजना, घटना, प्रकरण (Episode) इत्यादि के बारे में स्पष्ट देखकर, छानबीन करके, शोध के द्वारा जो लिखित रूप में परिपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया जाता है उसे ही प्रतिवेदन कहते हैं।
प्रतिवेदन दो शब्दों (प्रति + विद) से बना है जिसका अर्थ होता है - समस्त यानी पूरी जानकारी। प्रतिवेदन में पूरी जानकारी तो दी ही जाती है साथ ही साथ कुछ सुझाव एवं संतोषजनक जवाब भी दिया जाता है।
उदाहरण स्वरूप हम कह सकते हैं कि,
देश या विदेश में घटित कोई भी घटनाक्रम का निरीक्षण, शोध करके तैयार की गई समस्त विवरण हमारे लिए प्रतिवेदन है।
प्रतिवेदन लिखते समय ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बिंदु -
- प्रतिवेदन हमेशा संक्षिप्त होना चाहिए।
- प्रतिवेदन का शीर्षक एवं उपशीर्षक ऐसा होना चाहिए कि पूरे मुख्य विषय को रेखांकित करता हो।
- जिस किसी भी घटना का हम प्रतिवेदन तैयार कर रहे हैं उसकी तिथि एवं समय उसमें अंकित होना चाहिए।
- प्रतिवेदन में हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि केवल महत्वपूर्ण तथ्य ही इस में सम्मिलित हो
- प्रतिवेदन में निर्णय की जानकारी होनी चाहिए
प्रतिवेदन के प्रकार
प्रतिवेदन के तीन प्रकार होते हैं या यूं कह सकते हैं कि प्रतिवेदन तीन तरह के लिखे जाते हैं -
- व्यक्तिगत प्रतिवेदन (Personal Report)
- संगठनात्मक प्रतिवेदन (Organisational Report)
- विवरणात्मक प्रतिवेदन (Descriptive Report)
(1). व्यक्तिगत प्रतिवेदन (Personal Report) :- इस प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने जीवन से संबंधित घटनाओं का वर्णन करता है। कभी-कभी यह प्रतिवेदन "डायरी" का भी रूप ले लेता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि यह प्रतिवेदन का श्रेष्ठ रूप नहीं है।
उदाहरण के लिए, मैं अपनी "डायरी" का एक पृष्ठ आपके साथ साझा कर रहा हूं जिसे मैंने 01/01/2022 को लिखा था।
नए साल की शुभकामनाओं💐 के साथ 2022 की भी हम शुरुआत कर रहे है। इस बार नए साल की शुरुआत पटना के भिखना पहाड़ी से किये। भिखना पहाड़ी में रह हम बीपीएससी के द्वारा आयोजित जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी की तैयारी कर रहे हैं। मेरे साथ नालंदा का सागर भी हैं। जो कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना में हमसे 01 साल जूनियर था। हम दोनों एक साथ तैयारी कर रहे हैं।
Don't Be Same be Better.....
Don't Be Same be Better..... यह पंक्तियां इस डायरी के कवर पर लिखी हुई है और शायद 2022 मेरे लिए Better भी हो क्योंकि पहली बार किसी परीक्षा के लिए हम इतनी तैयारी कर रहे हैं। कि चूंकि इसका पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग है और इसमें वही फार्म भरे हैं जो कला क्षेत्र के हैं तो मेरे लिए एक स्वर्णिम अवसर है। 38 सीट में से मुझे एक सीट लेना है इसी प्रतिज्ञा के साथ हम पटना आये भी हैं और अपनी तैयारी भी कर रहे हैं।
(2). संगठनात्मक प्रतिवेदन (Organisational Report) :- संगठनात्मक प्रतिवेदन में किसी सभा, संस्था, इत्यादि का विवरण रहता है। इस तरह के प्रतिवेदन में प्रतिवेदन लिखने वाला अपने बारे में कुछ ना बता कर सारी बातें संस्थाएं/सभा के सम्मान में ही लिखता है।
जैसे :- राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय कोइरी-गाँवा जहां मेरी प्राथमिक शिक्षा पूरी हुई। उक्त बातें 1998-99 की है। उस समय विद्यालय के पास मात्र एक कमरा एक बरामदा और एक कार्यालय था और शिक्षक के रूप में दो मैडम थी। वन से लेकर पांचवी तक कक्षा का संचालन होता था। उस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर कई व्यक्ति कई उच्च जगहो पर पहुंच चुके हैं और कई संघर्षरत हैं जिनमें से एक नाम मेरा भी है।
2022 कि यदि बात करे तो वहां पर वर्तमान में कक्षा आठवीं तक का संचालन होता है और विद्यालय के पास प्रत्येक कक्षा के लिए अपने अलग-अलग कमरे हैं, रसोईघर है और शिक्षकों की संख्या भी पर्याप्त है। जहां पर छात्र शिक्षा प्राप्त कर अपने भविष्य को उज्जवल कर रहे हैं।
विश्वजीत कुमार
सहायक प्राध्यापक
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय
(3). विवरणात्मक प्रतिवेदन (Descriptive Report) :- विवरणात्मक प्रतिवेदन में किसी यात्रा वृतांत, मेले, रैली, इत्यादि का विवरण प्रस्तुत रहता है।विवरणात्मक प्रतिवेदन में बहुत ही सावधानी से पूरी सत्यता को दर्शाना होता है।
उदाहरण के लिए हम अपनी यात्रा वृतांत यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। जिसे आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हैं।
प्रतिवेदन की विशेषताएं :-
- प्रतिवेदन में अधिकतर किसी घटना या कार्य की प्रमुख बातें ही लिखी जाती है।
- प्रतिवेदन की बातें ज्यादा विस्तार में नही बल्कि संक्षेप में निरूपित रहती है।
- प्रतिवेदन सच्ची बातों का विवरण होता है कि यही वजह हैं कि इसमें कल्पना एवं भावना के लिए कोई स्थान नहीं होता।
- प्रतिवेदन में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं जिनका एक ही अर्थ हो ताकि पढ़ने वालो को कोई परेशानी न हो।
Reference :-
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