मंगलवार, 12 जुलाई 2022

गुरु-पूर्णिमा (Guru Purnima)

 


     Guru Purnima is a tradition dedicated to all the spiritual and academic Gurus, who are evolved or enlightened humans, ready to share their wisdom, based on Karma Yoga. It is celebrated as a festival in India, Nepal and Bhutan by Hindus, Jains and Buddhists.

 

गुरु-पूर्णिमा का इतिहास


       यह त्योहार शिक्षकों और आध्यात्मिक गुरुओ को समर्पित है।  संस्कृत शब्द, 'गुरु' को दो रूपो में विभाजित किया गया है, 'गु' का अर्थ होता है अंधकार और 'रु' का अर्थ है अंधकार या अज्ञान को दूर करना।  'गुरु' हमारी अज्ञानता को दूर करने में मदद करते है और हमें मोक्ष के मार्ग पर ले जाते है।

       एक प्रसिद्ध ऋषि से एक बार जब पूछा गया कि 'गुरु' का महत्व क्या है, तो उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति हवा को महसूस कर सकता है क्योंकि यह हमारे चारों ओर है, लेकिन हम हवा को बेहतर महसूस करने के लिए एक पंखे के पास बैठते हैं।  इसी तरह, भगवान हमारे चारों ओर हैं, लेकिन हमें उस प्रशंसक के रूप में 'गुरु' की जरूरत है, जो उनके बगल में बैठे हैं जो हमें भगवान को बेहतर तरीके से महसूस कराएंगे।  


      बौद्ध परम्परा को मानने वाले भी इस त्योहार को मनाते हैं, क्योंकि इस दिन उनके धर्म संस्थापक भगवान बुद्ध ने सारनाथ (उत्तर प्रदेश) में अपना पहला उपदेश दिया था। हिंदू इस दिन को प्रसिद्ध ऋषि 'वेदव्यास' जिन्होंने हमें 'महाभारत' और चार मुख्य 'वेद' (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद) जैसे महाकाव्य साहित्य दिए थे, का आज ही के दिन जन्म हुआ था।


       जैन धर्म के अनुयायियों का भी इस दिन का अपना महत्व है, क्योंकि उनके 24वें 'तीर्थंकर' महावीर स्वामी ने मोक्ष प्राप्त करने के बाद आज ही के दिन अपना पहला शिष्य 'गौतम स्वामी' को बनाया था।


     वेदों में कहा गया है कि भगवान हमारे पास सब कुछ सिखाने नहीं आ सकते। इसलिए उन्होंने हमें जीवन में सब कुछ सिखाने के लिए गुरु को बनाया।  एक बच्चे द्वारा घर पर सीखी गई सभी मूल बातें स्कूल में शिक्षक द्वारा पॉलिश की जाती हैं।  गुरु पूर्णिमा का दिन एक शिक्षक की शिक्षाओं, विचारधाराओं और महान मूल्यों को याद करने से जुड़ा है।  जीवन के मूल्यों को सिखाने के लिए एक छात्र को हमेशा अपने शिक्षक का आभारी होना चाहिए।


विश्वजीत कुमार✍️

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