रोज-रोज न होगी,
चिक-चिक, किच-किच।
बात-बात पे टोका-टाकी,
ना अपने बीच।
लटके-झटके आंशु को,
हथियार न कभी बनाऐ...गे।
सात-जनम की खातिर,
हम बस तेरे कहलाऐं...गे।।
इक ही अलमारी में,
दोनो के कपड़े सज जाऐं...गे।
डेली सोप और कुकीज़ का,
पैकेज टीवी से हटवाऐ...गे।
क्रिकेट मैच और समाचार,
अब दिन भर देखे जाऐ...गे।अ
अपने घर को दोस्तो का,
पार्टी प्लेस🥂 बनाऐ...गे।
पायल, झुमके, नथुनी का क्या ?
पैसे बचाऐ...गे।
फैशन, साड़ी, कुर्ती सबको,
ठेंगा अपन दिखाऐं...गे।
ब्यूटी-पार्लर, मेकअप वाले,
ठगे-ठगे रह जाऐं...गे।
इक ही परफ्यूम में हम दोनो,
दुनिया को महकाऐ..गे।
प्री-काशन हमको ना करना,
बच्चो में अन्तर ना रखना।
जाँच-सलाह, झाड़-फूंक में,
पैसा नया खर्च ना करना।
लेकर इक-दो अनाथ गोद में,
दोनो को पापा है बनना।
वो दिन और नौ माह भूलके,
हर दिन गदर मचाऐ...गे।
पंकज श्रीवास्तव✍️
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