जिस अशोक स्तम्भ पर आज इतना विवाद हो रहा है कभी वह कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना बिहार का प्रतीक चिन्ह हुआ करता था।
उपरोक्त तस्वीरों से इतना तो स्पष्ट है कि अशोक स्तंभ का रेखाचित्र 1950 से पहले भी बना था। जिसका उपयोग इस पटना स्कूल ऑफ आर्ट एवं बाद में राजकीय कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना के द्वारा किया जाता रहा। वैसे इस रेखाचित्र को बनानेवाले कौन थे यह स्पष्ट नहीं है, किंतु कला महाविद्यालय में पढ़ाने वाले गुरुजनों के द्वारा संभवतः इसे तैयार किया था। उस समय के कला गुरु श्री उपेंद्र महारथी जी थे। वही उपेंद्र महारथी जिनके नाम पर पटना में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान है। विदित हो कि उपेंद्र महारथी ने कोलकाता के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स से कला की शिक्षा ग्रहण की थी। यह वही उपेंद्र महारथी है जिनके अथक प्रयास से टिकुली कला पुन: जीवित हो पाई।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस स्कूल के पहले प्रेसिडेंट डॉ० राजेंद्र प्रसाद थे। उनके बाद इस पद को सुशोभित किया अनुग्रह नारायण सिंह जी ने। इस प्रमाण पत्र में प्रेसिडेंट के तौर पर अनुग्रह नारायण जी के हस्ताक्षर हैं। दूसरी तरफ तत्कालीन प्राचार्य राधामोहन प्रसाद के हस्ताक्षर हैं।
ज्ञातव्य हो कि 1950 में जब इसे भारत सरकार का प्रतीक चिन्ह घोषित किया गया, तब उसके बाद आर्ट स्कूल ने इसका प्रयोग बंद कर दिया।
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Very good information 👌
जवाब देंहटाएंThank you Mama jee🙏
हटाएंNice Sir 🙏
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