शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

कला प्रबंधन (Art Management) पेपर - 05 के अंतर्गत परियोजना एवं प्रतिवेदन (Project and Report) का जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के मुख्य परीक्षा का नोट्स। Notes of Main Examination of District Art and Culture Officer.

 परियोजना एवं प्रतिवेदन 

(Project and Report)





      परियोजना एवं प्रतिवेदन (प्रोजेक्ट एवं रिपोर्ट) जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह दोनों अलग-अलग विषय वस्तु है तो चलिए इस लेख में हम दोनों को अलग-अलग समझने का प्रयास करते हैं। सबसे पहले हम जानेंगे परियोजना यानी की प्रोजेक्ट और उसके उपरांत प्रतिवेदन यानी की रिपोर्ट के बारे में ......

परियोजना (Project)

         परियोजना जिसे हम "कार्ययोजना" भी कह सकते हैं यह किसी समस्या के समाधान या किसी विषय वस्तु से संबंधित जानकारियों को प्रकाशित करने के लिए तैयार की गई एक पूर्ण योजना (Planing) होती है। 

इसे हम यूं भी कह सकते हैं कि,

      किसी भी क्षेत्र जैसे- चिकित्सा, विज्ञान, व्यापार, इत्यादि में किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जो विशेष योजना बनाई जाती है एवं उसे क्रियान्वित (पूरा) भी किया जाता है उसे प्रोजेक्ट (परियोजना) कहते हैं।

or

       परियोजना वैज्ञानिक आधार पर विकसित की गई एक कार्य योजना हैं जिसे निश्चित अवधि में विशेष उद्देश्य की प्राप्ति हेतु तैयार किया जाता है।

        परियोजना के प्रारूप में कार्य की शुरुआत कैसे होगी ? कब, कौन सा कार्य संपादित होगा ? कार्य की समाप्ति कब होगी ? कितने संसाधन लगेंगे ? कितने धन की आवश्यकता होगी ? इत्यादि बातों को भी क्रमबद्ध लिखा रहता है।

      वर्तमान परिदृश्य में समस्याएं हमारे सम्मुख विकराल रूप में आ खड़ी हुई है। जैसे - नौकरी की समस्या, बिजली की समस्या, अनेकों प्रकार के जीवाणु एवं विषाणु से उत्पन्न होने वाले बीमारियों की समस्या, इत्यादी। हमारे आस-पास बहुत सी ऐसी समस्याएं मौजूद रहती है जिन्हें देखकर कि हमें लगता है कि इसका समाधान होना चाहिए यदि हम उस समस्या के तह तक जाकर उसके सभी पहलुओं को जानने के उपरांत उसके निदान के लिए जो संभावित योजना बनाते हैं उसे ही परियोजना कहा जाता है। जैसे:- इसरो की चंद्रयान परियोजना, मंगलयान परियोजना, इत्यादि। 

परियोजना की विशेषताएं 

एक अच्छी परियोजना की निम्नलिखित विशेषताएं होती है :- 
उद्देश्य :- प्रत्येक परियोजना को तैयार करने के पीछे कुछ न कुछ उद्देश्य छिपा हुआ होता है जैसे ही उस उद्देश्य की प्राप्ति हो जाती है वैसे ही परियोजना का समापन हो जाता है। 

अद्वितीय :- प्रत्येक परियोजना अपने आप में अद्वितीय यानी कि यूनिक होता है कभी भी दो परियोजनाएं बिल्कुल एक जैसी नहीं हो सकती। हां उसमें थोड़ी बहुत समानताएं हो सकती है। 
अनिश्चितता (Uncertainty) :- भविष्य किसी ने नहीं देखा और यह भी नहीं जानता की कल क्या होगा ? ठीक उसी परियोजना जब तक समाप्त हो जाए तब तक उसमें अनिश्चितता बनी रहती है 
जोखिम (Risk) :- परियोजना चाहे छोटी हो या बड़ी जोखिम (Risk) हमेशा बना रहता है छोटी परियोजनाओं में कम जोखिम जबकि बड़ी परियोजनाओं में अधिकतम जोखिम रहता है।

प्रतिवेदन (Report)

      किसी परियोजना, घटना, प्रकरण (Episode) इत्यादि के बारे में स्पष्ट देखकर, छानबीन करके, शोध के द्वारा जो लिखित रूप में परिपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया जाता है उसे ही प्रतिवेदन कहते हैं।

     प्रतिवेदन दो शब्दों (प्रति + विद) से बना है जिसका अर्थ होता है - समस्त यानी पूरी जानकारी। प्रतिवेदन में पूरी जानकारी तो दी ही जाती है साथ ही साथ कुछ सुझाव एवं संतोषजनक जवाब भी दिया जाता है।

उदाहरण स्वरूप हम कह सकते हैं कि,

      देश या विदेश में घटित कोई भी घटनाक्रम का निरीक्षण, शोध करके तैयार की गई समस्त विवरण हमारे लिए प्रतिवेदन है।

प्रतिवेदन लिखते समय ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बिंदु -
  • प्रतिवेदन हमेशा संक्षिप्त होना चाहिए।
  • प्रतिवेदन का शीर्षक एवं उपशीर्षक ऐसा होना चाहिए कि पूरे मुख्य विषय को रेखांकित करता हो। 
  • जिस किसी भी घटना का हम प्रतिवेदन तैयार कर रहे हैं उसकी तिथि एवं समय उसमें अंकित होना चाहिए। 
  • प्रतिवेदन में हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि केवल महत्वपूर्ण तथ्य ही इस में सम्मिलित हो 
  • प्रतिवेदन में निर्णय की जानकारी होनी चाहिए 

प्रतिवेदन के प्रकार 

      प्रतिवेदन के तीन प्रकार होते हैं या यूं कह सकते हैं कि प्रतिवेदन तीन तरह के लिखे जाते हैं - 

  1. व्यक्तिगत प्रतिवेदन (Personal Report)
  2. संगठनात्मक प्रतिवेदन (Organisational Report)
  3. विवरणात्मक प्रतिवेदन (Descriptive Report)

 
(1). व्यक्तिगत प्रतिवेदन (Personal Report) :- इस प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने जीवन से संबंधित घटनाओं का वर्णन करता है। कभी-कभी यह प्रतिवेदन "डायरी" का भी रूप ले लेता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि यह प्रतिवेदन का श्रेष्ठ रूप नहीं है।

उदाहरण के लिए, मैं अपनी "डायरी" का एक पृष्ठ आपके साथ साझा कर रहा हूं जिसे मैंने 01/01/2022 को लिखा था।

      नए साल की शुभकामनाओं💐 के साथ 2022 की भी हम शुरुआत कर रहे है। इस बार नए साल की शुरुआत पटना के भिखना पहाड़ी से किये। भिखना पहाड़ी में रह हम बीपीएससी के द्वारा आयोजित जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी की तैयारी कर रहे हैं। मेरे साथ नालंदा का सागर भी हैं। जो कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना में हमसे 01 साल जूनियर था। हम दोनों एक साथ तैयारी कर रहे हैं।
Don't Be Same be Better.....


     Don't Be Same be Better..... यह पंक्तियां इस डायरी के कवर पर लिखी हुई है और शायद 2022 मेरे लिए Better भी हो क्योंकि पहली बार किसी परीक्षा के लिए हम इतनी तैयारी कर रहे हैं। कि चूंकि इसका पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग है और इसमें वही फार्म भरे हैं जो कला क्षेत्र के हैं तो मेरे लिए एक स्वर्णिम अवसर है। 38 सीट में से मुझे एक सीट लेना है इसी प्रतिज्ञा के साथ हम पटना आये भी हैं और अपनी तैयारी भी कर रहे हैं।

(2). संगठनात्मक प्रतिवेदन (Organisational Report) :- संगठनात्मक प्रतिवेदन में किसी सभा, संस्था, इत्यादि का विवरण रहता है। इस तरह के प्रतिवेदन में प्रतिवेदन लिखने वाला अपने बारे में कुछ ना बता कर सारी बातें संस्थाएं/सभा के सम्मान में ही लिखता है।

जैसे :- राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय कोइरी-गाँवा जहां मेरी प्राथमिक  शिक्षा पूरी हुई। उक्त बातें 1998-99 की है। उस समय विद्यालय के पास मात्र एक कमरा एक बरामदा और एक कार्यालय था और शिक्षक के रूप में दो मैडम थी। वन से लेकर पांचवी तक कक्षा का संचालन होता था। उस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर कई व्यक्ति कई उच्च जगहो पर पहुंच चुके हैं और कई संघर्षरत हैं जिनमें से एक नाम मेरा भी है।
       2022 कि यदि बात करे तो वहां पर वर्तमान में कक्षा आठवीं तक का संचालन होता है और विद्यालय के पास प्रत्येक कक्षा के लिए अपने अलग-अलग कमरे हैं, रसोईघर है और शिक्षकों की संख्या भी पर्याप्त है। जहां पर छात्र शिक्षा प्राप्त कर अपने भविष्य को उज्जवल कर रहे हैं।

विश्वजीत कुमार 
सहायक प्राध्यापक 
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय

(3). विवरणात्मक प्रतिवेदन (Descriptive Report) :- विवरणात्मक प्रतिवेदन में किसी यात्रा वृतांत, मेले, रैली, इत्यादि का विवरण प्रस्तुत रहता है।विवरणात्मक  प्रतिवेदन में बहुत ही सावधानी से पूरी सत्यता को दर्शाना होता है।


उदाहरण के लिए हम अपनी यात्रा वृतांत यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। जिसे आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हैं।



प्रतिवेदन की विशेषताएं :-

  • प्रतिवेदन में अधिकतर किसी घटना या कार्य की प्रमुख बातें ही लिखी जाती है।
  • प्रतिवेदन की बातें ज्यादा विस्तार में नही बल्कि संक्षेप में निरूपित रहती है।
  • प्रतिवेदन सच्ची बातों का विवरण होता है कि यही वजह हैं कि इसमें कल्पना एवं भावना के लिए कोई स्थान नहीं होता।
  • प्रतिवेदन में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं जिनका एक ही अर्थ हो ताकि पढ़ने वालो को कोई परेशानी न हो।
Reference :-




कला प्रबंधन (Art Management) पेपर - 05 के अंतर्गत कार्यालय प्रबंधन (Office Management) का जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के मुख्य परीक्षा का नोट्स। Notes of Main Examination of District Art and Culture Officer.

 कार्यालय प्रबंधन
(Office Management) 


        कार्यालय (Office) किसी भी संस्था का अभिन्न अंग होता है। इसके बिना हम, एक संस्था की कल्पना नहीं कर सकते है। कार्यालय प्रबंधन में संस्थान के द्वारा किये गए/किये जाने वाले व्यवहारिक कार्य को कागजी रूप प्रदान किया जाता है। कोई भी संस्था/संगठन कार्यालय प्रबंधन के ज्ञान के बिना उन्नति नहीं कर सकता। कार्यालय प्रबंधन में आई एक भी गलती सारे कार्य को बिगाड़ सकती है इसलिए इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

      दूसरे शब्दों में यदि हम कहे तो, कार्यालय प्रबंधन उन लोगों के समूह को कहा जाता है जो किसी भी कार्य की योजना, आयोजन, मार्गदर्शन, संचार, निर्देशन, समन्वय एवं नियंत्रण (Planning, organizing, guiding, communicating, directing, coordinating and controlling work) की प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक और आर्थिक रूप से प्राप्त करने के लिए कार्य करते हैं।

       कार्यालय प्रबंधन केवल व्यवसायिक संगठन के लिए ही आवश्यक नहीं है बल्कि गैर-व्यवसायिक संगठन एवं सरकारी कार्यों के लिए भी अति आवश्यक है। किसी भी कार्य को संपन्न करने के लिए उसकी एक रणनीति बनानी होती है और इस रणनीति को दिशा देने के लिए एक कार्यालय एवं कार्यालय के कार्य को सुचारू रूप से संपन्न करने में कार्यालय प्रबंधन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

कार्यालय प्रबंधन की परिभाषा (Definition of office Management  :-

    कार्यालय प्रबंधन कि यदि परिभाषा की बात की जाए तो हम कह सकते हैं कि किसी भी कार्य/उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु ऐसे लोगों का समूह जो वेतन-भोगी हो उनके द्वारा तय समय सीमा के अंदर कलात्मक रूप से कार्यों का निष्पादन करना।

कार्यालय प्रबंधन के कुछ अन्य परिभाषाएं :-

      कार्यालय प्रबंधन, प्रबंधन की कला और विज्ञान की वह शाखा है जो कार्यालय के काम के कुशल प्रदर्शन से संबंधित है। जब भी और जहां भी वह कार्य किया जाता है - विलियम एंगर।

      कार्यालय प्रबंधन अपने निर्दिष्ट उद्देश्यों (specified objectives) को प्राप्त करने के लिए अपने उपयुक्त साधनों के उपयोग में कार्यालय के कर्मियों को मार्गदर्शन करने की कला है। - मिल्स एवं स्टेडिनफोर्ड

कार्यालय प्रबंधन के तत्व (Elements of Office Management) :-

     कार्यालय प्रबंधन के तत्व की तुलना हम किसी मकान की नींव से कर सकते हैं यदि नींव मजबूत हो तो भवन भी मजबूत होगा। इसलिए हम कह सकते हैं कि कार्यालय प्रबंधन का कुशल कार्य, कार्यालय प्रबंधन के तत्वों पर ही निर्भर रहता है। 

कार्यालय प्रबंधन के आवश्यक तत्व निम्नलिखित है -

  • सामग्री :- सामग्री से तात्पर्य, कार्यालय के कार्य को संपन्न करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाले उपकरणों से है। जिसमें पेन, पेंसिल, इरेज़र, कागज, स्याही, कार्यालय प्रपत्र (Office form), कंप्यूटर, प्रिंटर, इत्यादि शामिल हैं।
  • वातावरण (माहौल) :- व्यवसाय की प्रकृति, कार्यालय के वातावरण को निर्धारित करती है। विभिन्न कार्यालयों के कार्य को एक विशेष स्थिति एवं वातावरण के तहत रहकर कर्मचारी अपना कार्य संपन्न करते हैं। कार्यालय के कार्य को सुचारू रूप से संपन्न एवं उपयुक्त वातावरण में लाना कार्यालय प्रबंधक का कर्तव्य एवं जिम्मेदारी होती है।
  • उद्देश्य :- कार्यालय के कर्मचारियों को अपने उद्देश्य एवं लक्ष्य के बारे में ज्ञात होना चाहिए ताकि वह अपना कार्य बेहतर तरीके से संपन्न कर सके। यदि एक कर्मचारी अपना कार्य ईमानदारी से पूरा करता है तो दूसरे कर्मचारी भी उसके प्रभाव से प्रभावित होकर अपना प्रदर्शन बेहतर करने का प्रयास करते हैं। यदि कार्यालय के कर्मियों को अपना उद्देश्य ज्ञात ना हो तो संस्था अपने लक्ष्य तक कभी नहीं पहुंच सकती है।
कार्यालय प्रबंधन का महत्व (Importance of office Management) :-

  • लक्ष्य की प्राप्ति (Goal Attainment) :- Aim या लक्ष्य का अर्थ होता है किसी भी कार्य को एक निश्चित समय-सीमा में प्राप्त करना एवं कुशल प्रबंधक अपने कर्मचारियों को उनके लक्ष्य से अवगत कराता एवं उन्हें प्राप्त करने के लिए निर्देशित भी करता है।
  • संसाधनों का इष्टतम उपयोग (Optimum use of Resources) :- एक कुशल प्रबंधक अपने कार्यालय में उपलब्ध सभी सामग्रियों का इष्टतम प्रयोग करना अपने सभी कर्मचारियों को सिखाता है एवं निरंतर प्रयोग के लिए प्रेरित भी करता है। 
  • लागत को कम करना (Reduce Cost) :- एक कुशल प्रबंधक के मार्गदर्शन और नियंत्रण में ही कार्यालय के लागत को कम किया जा सकता है बेहतर योजना, सुदृढ़ संगठन (Strong organization) और प्रभावी नियंत्रण (Effective control के माध्यम से प्रबंधक लागत को कम कर और प्रदर्शन को बेहतर बनाने का कार्य करता है। 
  • कार्य का सुचारू प्रवाह (Smooth flow of work) :- किसी भी कार्य का निर्बाध प्रवाह तभी संभव है जब उचित योजना और नियंत्रण के द्वारा कार्य को संपन्न किया जाए। एक कुशल प्रबंधक कार्य को सुचारू रूप से प्रवाह को सुनिश्चित करता है।

Reference:-



बुधवार, 27 जुलाई 2022

पाश्चात्य कला वेस्टर्न आर्ट (Western Art)

 पुनर्जागरण कला का शिखर काल (1500-1527)

उच्चपुनर्जागरण कला (16वीं शदी) (1500-1520)


(1) लियोनार्दो डा विंची (The Wonder of Age) युग का आश्चर्य 


      लियोनार्दो डा विंची का जन्म 1452 ई० में इटली के फ्लोरेस नगर में हुआ था। इनके गुरु वैरिचियो थे। यह चित्रकार, मूर्तिकार, स्थापत्यकार, इंजीनियर, वैज्ञानिक, संगीतकार इत्यादि थे।

Note :- चित्रकार के रूप में इन्हें अधिक प्रसिद्ध मिली।

    इसने शरीर के रक्त परिभ्रमण, युद्ध में काम आने वाले सशस्त्र गाड़ी, अनेक प्रकार के वायुयानो, हेलीकॉप्टर एवं पनडुब्बी की कल्पना कर हजारों रेखा-चित्र बनाएं। सैनिक एवं इंजीनियर के रूप में फ्लोरेंस में कार्यरत रहे। इसमें शवगृहो में जाकर अनेको शवों का अध्ययन किया। 


    इनके कार्य करने की प्रकृति बहुत ही धीमी थी जिस वजह से इसमें अधिकांश चित्रो को अधूरा छोड़ दिया उसमें रंग नहीं भर पाये।

इनके द्वारा निर्मित कुछ कलाकृतियां निम्न हैं -

  • ईशा की वंदना 
  • Virgin of Rock's (शैल खंडों की राजकुमारी) 

  • श्वेत रोमयुक्त कोट वाली महिला 
  • द लास्ट सपर (अंतिम भोजन) भित्ती चित्र संत मारिया उपासना गृह मिलान में 

पैरेगन ग्रंथ विंची द्वारा रचित है।

Note :- इनके द्वारा (1500 - 1504) ईसवी के बीच एक सैनिक अधिकारी की पत्नी "लीजा" को मॉडल बनाकर बनाया गया व्यक्तिचित्र सर्वाधिक प्रसिद्ध है। जिसे हम "मोनालिसा" के नाम से जानते हैं। वर्तमान में यह पेरिस के लुब्र संग्रहालय में सुरक्षित है। यह चित्र लाल रंग की टोन में बनाया गया है। पृष्ठभूमि में आयरिश एवं कुमुदिनी के फूल तथा संध्या का समय और क्रियाशील फ़व्वारे दर्शाये गए हैं।

Real Image of Monalisa Painting.

Credit:- wikipedia


      इनके द्वारा निर्मित अन्य चित्र हैं - 

बैटल ऑफ़ अधिकारी 

संत एन के साथ मरियम शिशु एवं ईशा।


माइकल एंजेलो (1475 - 1564)

(मूर्तिकार के रूप में प्रसिद्ध)


     इनका जन्म 1475 ई० में फ्लोरेंस इटली के कैस्टल कैंब्रिज नगर में हुआ था। इनकी शिक्षा दोमनिकों घिरलैंडियो के चित्रशाला में संपन्न हुई थी। संत पीटर गिरजाघर के लिए उन्होंने अपनी प्रथम कलाकृति पीयेता (1498-99) जिसे शोकमग्न मेरी की मूर्ति भी कहा जाता है का निर्माण करारा मार्बल (संगमरमर) से हुआ है।

      जुलियाना मकबरा माइकल एंजेलो की एक अन्य कृति है कुछ अन्य मूर्तिशिल्प जो इन्होंने फ्लोरेंस में तैयार की 

डेविड की मूर्ति (1504 ई०) इसकी ऊंचाई 15 फुट हैं। वर्तमान में अकादमी ऑफ फाइन आर्ट फ्लोरेंस में स्थित है। इस कलाकृति का निर्माण श्वेत पाषाण (करारा मार्बल) से हुआ है।

मरते हुए दास की मूर्ति (Dying Slave)


इनके द्वारा निर्मित प्रमुख भित्ति चित्र


  1508-1512 ई० के बीच इन्होंने 343 चित्र बनाए जिनमें से कुछ निम्न हैं -

Creation of the World (दुनिया का निर्माण/ सृष्टि का सृजन), आदम की उत्पत्ति।  इस चित्र का निर्माण वेटिकन के सिस्टाइन चैपल गिरजाघर की छत पर इन्होंने किया।

1534 ई० में इन्होंने The Last Judgement (अंतिम निर्णय/न्याय) वेटिकन के सिस्टाइन चैपल  की वेदी के पीछे भित्ती चित्र का निर्माण किया।

कामुकता पर आधारित इनकी कुछ रचनाएं -

लोडा एवं हंस 

The Conversion of Saul द कन्वर्सेशन ऑफ सोल बारोक कला की घोषणा करता हुआ प्रतीत होता है।

The Conversion of Saul is a fresco painting by Michelangelo.

क्रूसी फिकेसन ऑफ सेंट पीटर 
स्नानार्थी 

Note :- सेंट पीटर को नवीन गिरजाघर का प्रधान वास्तुशिल्पी माना जाता है।

 ज्योजियो बसारी ने माइकल एंजेलो की जीवनी को प्रस्तुत किया था। 1965 ई० में "द एगनी एंड एक्सटेसी" The Agony and the Ecstasy माइकल एंजेलो पर बनी फिल्म है जिसे जिसे इरविंग स्टोन द्वारा रचित पुस्तक के आधार पर निर्माता एवं निर्देशक कैरोल रीड के द्वारा 07 अक्टूबर 1965 को संयुक्त राज्य अमेरिका में रिलीज किया गया था। माइकल एंजेलो पहले ऐसे कलाकार थे जिसके जीवन काल में ही दो जीवन गथाये प्रकाशित हो चुके थी।

राफेल सांजियो 
(डिवाइन पेंटर/दैवीय चित्रकार)
(1483 - 1520)

      इनका जन्म 1483 ई० में फ्लोरेंस (इटली) के निकट आम्ब्रिया में हुआ था। इनके कला गुरु पेरुजीनो थे। इनके द्वारा निर्मित कुछ प्रारंभिक चित्र हैं :- 

  • सिस्टाइन मैडोना (वेदी चित्र) है। 
  • सीपीओ का स्वप्न (सैनिक का स्वप्न) 
  • स्कूल आफ एथेंस वेटिकन पुस्तकालय में चित्रित भित्ति चित्र 
  • हेलियोडोरस का निष्कासन 
  • मैडोना एवं शिशु 
  • घुघट वाली महिला 
  • सेंट पीटर का उद्धार 
  • मैरिज ऑफ वर्जिन 
  • मैंडोलीना एवं डोनी 
  • सायको की पुराण कथा 
  • मैडोना 
  • ईशा का दिव्य शरीर धारण करना
Note :- इनकी सर्वाधिक प्रसिद्धि मैडोना के चित्रों के कारण हुई।

सोमवार, 25 जुलाई 2022

पेंसिल (एक सूखा माध्यम) ऑनलाइन क्लास नोट्स Pencil (A Dry Medium) Online Class Notes 21-06-2022.

पेंसिल (एक सूखा माध्यम)


    सिडार की लकड़ी का प्रयोग पेंसिल के निर्माण में किया जाता है। पेंसिल हमें 15' पर दिखाई देती है।


     यह एक कार्बन का रूप होता है एवं ग्रेफाइट से बनी होती है। ग्रेफाइट के साथ ही मिट्टी का प्रयोग पेंसिल के निर्माण में किया जाता है।

पेंसिल दो प्रकार की होती है - 

  1.  Hard - हल्की - इंजीनियरिंग ड्रॉइंग में प्रयुक्त
  2. Black - गहरी (Dark) पेंटिंग/ड्रॉइंग में प्रयुक्त
HB पेंसिल मध्यम होती है। जिसमें H का मतलब Hard एवं B का मतलब Black होता है।

पेंसिल के बढ़ते क्रम - 2B, 4B, 6B, 8B, 10B.
पेंसिल के घटते क्रम - 2H, 4H, 6H.

साधारणयत: हल्की पेंसिल (Hard) 6H तक बनती है।

साधारणयत: Dark पेंसिल 10 B तक बनती है।

पेस्टल

पेस्टल दो प्रकार के होते हैं - 
  1. सॉफ्ट पेस्टल 
  2. ऑयल पेस्टल  

       पेस्टल रंग एक शुष्क माध्यम है इसकी प्रकृति अपारदर्शी होती है। इसको ब्रश के बिना स्टिक की सहायता से रंग लगाया जाता है। एक तरफ से रंग को रेखाओ की सहायता से लगाते हैं तत्पश्चात मिश्रण के लिए उंगली या कागज के बने टूल्स का प्रयोग करते है। 

Note:- पेस्टल, क्रेयॉन, चारकोल यह सभी शुष्क माध्यम के अंतर्गत आते हैं।

धरातल - खुरदरा/टिंट पेपर का इस्तेमाल किया जाता है। इन चित्रों को सुरक्षित रखने के लिए फिक्सेटिव की जरूरत पड़ती है। फिक्सेटिव स्थायीकरण की एक विधि हैं।

    पेस्टल की भांति ही क्रेयॉन होता है यह भी दो प्रकार का होता है 

  1. सॉफ्ट क्रेयॉन  
  2. ऑयल क्रेयॉन

कोलॉज

        कोलॉज को 1912 ईस्वी में फ्रांस के घनवादी कलाकारों के द्वारा प्रयोग किया गया। कागज/कपड़ा एवं अन्य प्रकार के टुकड़ों के द्वारा इसमें चित्रों का निर्माण किया जाता है।

बाटीक

      बाटीक कपड़े रंगने की एक विधि हैं। इसकी खोज इंडोनेशिया (एशिया) में हुई थी। मोम विद्या से कपड़ों पर पैटर्न बनाया जाता है। मोम लगाने के टूल्स को तीजान्टिन कहते हैं।

सरगाज फिटो/ सेग्रि फिटो 

      सरगाज फिटो/ सेग्रि फिटो भित्ति चित्रण की एक विधि हैं। 14वीं शताब्दी में इटली में इसकी खोज हुई थी।

एक्शन पेंटिंग (क्रियात्मक चित्रण)

         अमेरिका में रंगों को बहाकर की गई चित्रकारी को एक्शन पेंटिंग कहा गया। एक्शन पेंटिंग के प्रसिद्ध चित्रकार जैकसन पोलॉक है।

इलस्ट्रेशन (दृष्टांत चित्र)

     कहानी से सम्बंधित चित्र को इलस्ट्रेशन चित्रण कहा जाता है।

जांत्विक रंग :- रंगों में चमक बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। बसोहली शैली में इसका प्रयोग हमें अधिकतर दिखाई देता है।

टिपाई :- मुगल काल में प्रारंभिक रेखांकन को टिपाई कहां गया है। 

पेट्रोगिल्फ :- प्रागैतिहासिक कालीन चित्र जो कि पत्थरों पर उकेर कर बनाए गए हैं उनके लिए पेट्रोगिल्फ शब्द का प्रयोग किया जाता है।

आर्मेचर :- मूर्तिकला में मूर्ति को मजबूती प्रदान करने वाले छड़ को आर्मेचर कहते हैं। 

वस्ट :- आवाक्ष शिल्प

युकिए ए :- जापान में स्याही से (काली) की गई चित्रकारी को युकिए ए कहा जाता है। 

बेनिए :- जापान में गुलाबी तथा हरे रंग के प्रयोग से निर्मित चित्र को बेनिए कहते हैं।


रविवार, 24 जुलाई 2022

संस्कृत की विभिन्न रचनाओं के रचनाकारों एवं उनके मुख्य पात्रों को समाहित करती एक सुंदर अभिव्यक्ति....

 

 संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये। 

तेरा-मेरा हो मेल प्रिये।।


संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये। 

तेरा-मेरा हो मेल प्रिये।।


जब आए परीक्षा सिर पर तो, 

मचती है ठेलम-ठेल प्रिये।


संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये। 

तेरा-मेरा हो मेल प्रिये।।


मैं अभिज्ञान का दुष्यंत हूं,

तुम हो शकुंतला प्राण प्रिये।


मैं भवभूति का राम बनूं,

तो तुम सीता हो प्राण प्रिये।


जो मैं किरात का अर्जुन हूं,

तो तुम द्रोपदी होना सजनी।


जो मैं शुद्रक का चारुदत्त,

तो तुम वसंतसेना अपनी।


मैं रघुवंशम का हूं दिलीप,

तो तुम सुदक्षिणा हो जाना।


मैं स्वप्नवास का उदयन हूं,

तुम वासव दत्ता बन जाना।


उदयन की रानी कुपित हुई तो,

रत्नावली को जेल प्रिये।


संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये। 

तेरा-मेरा हो मेल प्रिये।।


मैं शिशुपाल का कृष्ण बनूँ,

तो तुम सतभामा हो जाना।


मैं हूं कुमारसंभव का शिव,

तो पार्वती तुम बन जाना।


मैं नैषधिय नायक नल हूं,

तुम दमयंती नायिका मेरी।


वेणीसंहार का भीम हूं मैं,

तो तुम द्रोपदी/पंचाली मेरी।


मैं मालविका का अग्निमित्र,

तुम विक्रम की उर्वशी प्रिय।


 मैं नागानन्द जीमूत बनूँ,

तुम मलयवती हो प्राणप्रिय।


पाणनि की अष्टाध्याई में,

सूत्रों की रेलम-रेल प्रिये।


संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये। 

तेरा मेरा हो मेल प्रिये।।


मैं मेघदूत का हूं विरही,

तुम अलका की यक्षणी प्रिये।


मैं रत्नावली का उदयन हूं।

तुम सागरिका हो प्राणप्रिये।


मैं मालती का हूं माधव,

तुम भवभुति की करुणा हो।


मैं हूं काशी का विश्वनाथ,

तुम वाराणसी की वरुणा हो।


मैं महावीर का राम बनूँ,

तुम जनक दुलारी सीता हो।


मैं हूं चाणक्य का चंद्रगुप्त,

जिसने राक्षस को जीता हो।


हर प्रेमी❤️ अपनी वाली से, 

करता है झेलम-झेल प्रिये।


संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये। 

तेरा-मेरा हो मेल प्रिये।।


मैं रामायण की गाथा हूँ,

तुम महाभारत की कथा प्रिये।


मैं कालिदास का हूं नाटक, 

तुम भवभूति की व्यथा प्रिये।


मैं हूं शुद्रक का शर्मिलक,

मदमस्त मंदिकना बनो मेरी।


मैं बाणभट्ट का चंद्रापीड,

तुम कादंबरी हो मदिरा मेरी।


मैं यक्ष हेममाली जैसा,

तुम विशालाक्षी हो प्राणप्रिये।


मैं कालिदास सा अज विरही,

तुम इंदुमती हो प्राण प्रिये।


तुम संस्कृत की सुंदरता हो,

पढ़ने को मुझे ढकेल प्रिये।


संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये। 

तेरा-मेरा हो मेल प्रिये।।


संस्कृत को पढ़ना खेल प्रिये। 

तेरा-मेरा हो मेल प्रिये।।


तेरा-मेरा हो मेल प्रिये।।


साभार :- सोशल मीडिया



शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

UNDERSTANDING THE SELF


BEPC - 4 

UNDERSTANDING THE SELF 

Full Marks : 50 

Course Credit : 2 

Practicum : 50

Contents : 

UNIT 1 : Exploring the Aim of Life 

Objectives 

  • To enable students to develop a vision of life for themselves. 
  • To encourage students to give conscious direction to their lives to take responsibility for their actions. 
  • To develop a holistic and integrated understanding of the human self and personality . 


Workshop Themes  


  • Vision as a person : Aspiration and purpose of life. 
  • Giving a conscious direction to life. 
  • Understanding different dimensions of self and personality and way in which they influence the dynamics of identity formation, values and direction of life. 


UNIT 2 : Discovering one's True Potential 


Objectives 

  • To facilitate the personal growth of the students by helping them to identify their own potential. 
  • To develop the power of positive attitudes. 
  • To encourage students to develop the capacity for self - reflection and personal integration.


Workshop Themes.

  • Understanding one's strengths and weaknesses through self observation exercises.  
  • Taking responsibility for one's own actions. 
  • Developing positivity, self - esteem and emotional integration. 
  • Exploring fear and trust : competition and co - operation. 
  • Developing skills of inner self organization and self - reflection. 
  • Writing a self - reflective journal.


UNIT 3 : Developing Sensitivity


Objectives 

  • To enable students to examine and challenge the stereo - typical attitudes and prejudices that influence identity formation and the process of individualization. 
  • To encourage students to develop the capacity for perspective taking and appreciating different points of view. 
  • To develop sensitivity towards needs of children by connecting with one's own childhood experiences. 


Workshop Themes


  • Understand and challenge the unconscious, conditioned attitudes that are stereo - typed and prejudiced (gender, case, class, race, region, disability etc.) and critically examine the sources of stereo - typed messages (e.g. media ). 
  • Defining consciously one's own values towards self and society and develop a capacity to understand and appreciate divergent points of view. 
  • Developing the capacity for empathic listening and communication skills. 
  • Understranding one's own childhood and adult - child gaps in society. 


UNIT 4 : Peace, Progress and Harmony 


Objectives 


  • To develop the capacity to establish peace within oneself. 
  • To develop the capacity to establish harmony within a group and methods of conflict resolution. 
  • To understand the meaning of leadership and develop attitudes and skills of a catalyst. 
  • To understand the basis of social disharmony, the factors those contribute to it and ways to facilitate change . 


Workshop Themes


  • Establishing peace within oneself, exercises of concentration and meditation. 
  • Understanding group dynamics and communications. 
  • Creating group harmony : exploring methods of creating a collective aspiration for progress and conflict resolution.

बुधवार, 20 जुलाई 2022

जानती हो🤔...पगली🥰

 


       ......बहुत छोटी-छोटी उम्मीदें है मेरी, तुमसे!!! जिनको पूरा तुम ही कर सकती हो, सिर्फ तुम। जैसे वो सिर्फ तुम का गाना हैं ना पहली-पहली बार मोहब्बत😍 की है, कुछ न समझ🤔 में आए मैं क्या करूं.... कॉलेज के समय से लेकर अभी तक यह गाना मेरा पसंदीदा रहा है और ना जाने कब तक रहेगा, यह भी नही पता। लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है बहुत मुश्किल है तुम्हारे लिए, मेरी किसी भी ख्वाहिश को पूरा करना। मैं जब अपनी फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करूं तुम उसमे लव वाला रिएक्ट❤️ कर दो, भले ही कुछ न लिखो। मैं मान लूंगा कि आज भी तुम मुझे वैसे ही याद करती हो जैसे उस जमाने में पटना के इको पार्क में आकर किया करती थी।


      ......मगर ये कार्य भी तुमसे नही होता।😥 मैं बार-बार रिएक्शन में तुम्हे ढूंढता हूं परन्तु तुम नही मिलती... जबकि दूसरे के फोटो पर तुम्हारा रिएक्शन और प्रतिक्रिया देख, हर जगह तुम्हारी मौजूदगी देख, मुझे बस यही गीत याद आता है - मुझसे क्या भूल हुई, जो यह सजा हमको मिली... बहुत कुछ सोचकर मैं नाउम्मीद😟 हो जाता हूं।

         फिर, मुझे याद आता है वो पल जब हमारी किसी बात पर बहस🗣️ होती थी। मैं किसी बहस पर अपनी बात बोल रहा होता था और तुम वहां मौजूद होती थी, तो मैं चाहता था तुम भी मेरी तरफ से कुछ तो बोलो। मगर हमेशा से खाली हाथ मैं लौट जाता था क्योंकि तुम्हारी मौजूदगी या तो खामोश होती या मेरे ही विरुद्ध होती थी।   

      जब कभी मैं तुमसे नाराज होता था तो मुझे इंतजार रहता की तुम मुझे कॉल करो, मुझसे कुछ बात कहो। 

मगर, नही। 

        ......एक लम्बा वक्त बीत जाता तुम मुझे कोई कॉल नहीं करती मुझसे कुछ भी नही पूछती थी। मैं उस वक्त ज्यादा उदास हो जाता था, जब कभी तुम मेरे सामने गैर लोगो से नजदीकियां दिखा रही होती थी। तब मुझे लगता है मेरी उपस्थिति शायद निरर्थक है क्योंकि उनके सामने तुम सबसे ज्यादा मुझे इग्नोर कर रही होती थी, जबकि मैं तुम्हारे लिए ही तो वहां मौजूद रहता।

       हर बार मैं और दु:खी हो जाता हूं... जब कभी मुझे लगता है तुम मुझसे मेरे बारे में कुछ कहो,  तब तुम हमेशा पूछते हो उस वक्त किसी दूसरे के बारे में कि फलां इंसान कैसा है ? जबकि तुम्हे जानना चाहिए तुम मेरे लिए क्या हो। 

      अंत में मैं कहना चाहूंगा .....शायद तुम्हें ना पता हो लेकिन अब मैंने Dairy Milk Chocolate  खरीदना एवं खाना छोड़ दिया हैं। आज वो दुकानदार भी पूछ रहा था भैया कभी दो-दो फ्लेवर के Dairy Milk Chocolate खरीदने वाले आज चॉकलेट से इतनी दूरी क्यो बना लिये है ? और जानती हो मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था। लेकिन फिर भी आज मैंने दो Chocolate खरीद तो ली है लेकिन इसे तुम्हारे बगैर खाने की इच्छा नहीं हो रही है।



        मुझे बहुत तिरस्कृत सा महसूस होता हैं....  तुम नही जानती हो मेरी तुमसे क्या उम्मीदें थी, हैं और रहेंगी। लेकिन, हां मैं जानता हूं तुम मेरी उम्मीदों का मूल कभी चुका नही सकोगी....


.....क्योंकि तुम्हारे भावों में शायद इतना सामर्थ्य नही है। अब तो बस इच्छा यही हैं कि तुमसे कह दूँ।


 पगली, अलविदा।


तुम्हारा विश्वजीत✍️

रविवार, 17 जुलाई 2022

पाश्चात्य कला वेस्टर्न आर्ट (Western Art)

 पुनर्जागरण युगिन कला (इटली)

(Renaissance Period Art)


यूरोप की प्रारंभिक पुनर्जागरण युग की कला का समय 1350 - 1500 ई० तक था।

Note:- 1453 ई० में तुर्कों के कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिए जाने के पश्चात वहां के चित्रकार इटली पहुंच गए तथा यहीं से पुनर्जागरण काल का वास्तविक प्रारंभ माना जाता है।

Imp.- पुनर्जागरण का प्रारंभ इटली के फ्लोरेंस नगर में हुआ था।


प्रारंभिक पुनर्जागरण युगीन कलाकार 

 (1414 - 1480 ईस्वी) 


(1). ब्रूनेलेसी :- यह फ्लोरेंस का प्रसिद्ध वास्तुकार था। फ्लोरेंस के गिरजाघर के गुंबद के निर्माण में गणितीय या ज्यामितीय नियमों को स्थापित उनके द्वारा किया गया।


(2). मसाच्चियो :- यह फ्लोरेंस के प्रसिद्ध चित्रकार थे। इनके द्वारा निर्मित प्रमुख चित्र है - 

द ट्रिनिटी

  1. द ट्रिनिटी - भित्ति चित्र (त्रित्व ईसाई धर्म का केंद्रीय तथा गूढ़तम धर्म सिद्धांत ईश्वर के आभ्यंतर स्वरूप से संबंधित है जिसे ट्रिनिटी अर्थात् त्रित्व कहते हैं। त्रित्व का अर्थ है कि एक ही ईश्वर में तीन व्यक्ति हैं, पिता, पुत्र तथा पवित्र आत्मा ।
  2. स्वर्ग से निष्कासन 
  3. उपहार धन

Note:- 28 वर्ष की अल्पायु में ही यह प्रसिद्धि को प्राप्त कर लिए थे।


(3). दोनातेल्लो :- यह एक प्रसिद्ध मूर्तिकार थे इनके द्वारा निर्मित श्रेष्ठ कलाकृति है - 

  1. संगमरमर की संत जान की प्रतिमा (St. John the Evangelist) 
St. John the Evangelist

  1. डेविड की मूर्ति। 

Note:- डेविड (Devid) की मूर्ति को माइकल एंजेलो के द्वारा भी बनाया गया हैं।

(4). फ्रांएन्जिलिको :- ये एक संत कलाकार थे। इन्हें धर्म प्रचारक भी कहा जाता है। इनके द्वारा निर्मित प्रसिद्ध चित्र हैं 

  1. दूत संदेश 
  2. मिश्र से पलायन 
  3. भविष्यवाणी 
  4. वर्जिन मैरी का अभिषेक 
  5. अंतिम न्याय
(5). पाओलो उच्चेल्लो (उच्चेल्लो पक्षी) :- इनको चित्रण में परिपेक्ष्य का आविष्कर्ता भी कहा जाता है। इनकी चित्रकला में चमत्कारपूर्ण गगनचुंबी परिकल्पना के कारण इन्हें उच्चेल्लो अर्थात पक्षी कहा गया। इनके द्वारा निर्मित प्रसिद्ध चित्र हैं - 

  1. अतिवृष्टि प्रलय या बाढ़, Flood 
  2. चार धर्म दूत 
  3. सेन रोमानो मार्ग पर


(5). एंड्रिया मंटेगना :- इन के कुछ प्रमुख चित्र हैं 

  1. सीजर की विजय 
  2. संत जेम्स के जीवन वृत्त की श्रृंखला इन्होंने चित्रित कि हैं।

(6). फ्रा फिलिप्पो लिप्पी :- यह मानवतावादी दृष्टिकोण से परिपूर्ण थे। इनके द्वारा निर्मित चित्र हैं -  हेरोद की दावत।

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

जिस अशोक स्तम्भ पर आज इतना विवाद हो रहा है कभी वह कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना का प्रतीक चिन्ह हुआ करता था।

 





       जिस अशोक स्तम्भ पर आज इतना विवाद हो रहा है कभी वह कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना बिहार का प्रतीक चिन्ह हुआ करता था।


       उपरोक्त तस्वीरों से इतना तो स्पष्ट है कि अशोक स्तंभ का रेखाचित्र 1950 से पहले भी बना था। जिसका उपयोग इस पटना स्कूल ऑफ आर्ट एवं बाद में राजकीय कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना के द्वारा किया जाता रहा। वैसे इस रेखाचित्र को बनानेवाले कौन थे यह स्पष्ट नहीं है, किंतु कला महाविद्यालय में पढ़ाने वाले गुरुजनों के द्वारा संभवतः इसे तैयार किया था। उस समय के कला गुरु श्री उपेंद्र महारथी जी थे। वही उपेंद्र महारथी जिनके नाम पर पटना में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान है। विदित हो कि उपेंद्र महारथी ने कोलकाता के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स से कला की शिक्षा ग्रहण की थी। यह वही उपेंद्र महारथी है जिनके अथक प्रयास से टिकुली कला पुन: जीवित हो पाई।

      यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस स्कूल के पहले प्रेसिडेंट डॉ० राजेंद्र प्रसाद थे। उनके बाद इस पद को सुशोभित किया अनुग्रह नारायण सिंह जी ने। इस प्रमाण पत्र में प्रेसिडेंट के तौर पर अनुग्रह नारायण जी के हस्ताक्षर हैं। दूसरी तरफ तत्कालीन प्राचार्य राधामोहन प्रसाद के हस्ताक्षर हैं।


सर्टिफिकेट की तस्वीर Shambhavi Singh के सौजन्य से।

 

     ज्ञातव्य हो कि 1950 में जब इसे भारत सरकार का प्रतीक चिन्ह घोषित किया गया, तब उसके बाद आर्ट स्कूल ने इसका प्रयोग बंद कर दिया।


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फिल्म रिव्यू: रॉकेट्री, द नम्बि इफेक्ट ! Movie Review: Rocketry, The Nambi Effect!



      आज हम और डॉ० राजीव सर रॉकेट्री, द नम्बि इफेक्ट Movie Sushil Plaza Gold Prime (Dolby Digital) में देख ही आए।


        फिल्म तो देख कर आ गए अब बारी है आपके साथ चर्चा करे उसके रिव्यु की। तो चलिए शुरू करते हैं....... 

       आप सभी के मन में यह ख्याल आ रहा होगा की फ़िल्म कैसी है ? तो हम बस यही कहेंगे कितनी भी तारीफ़ करे इस फिल्म की फिर भी शायद वो कम ही होगी क्योंकि हम सभी भारतीयों को न्यूटन, आइंस्टीन, एडिसन, इत्यादि वैज्ञानिकों का नाम तो बखूबी याद रहता है लेकिन अपने देश के महान वैज्ञानिकों के बारे में बहुत ही कम जानकारी है। 


        भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) ISRO की यदि बात की जाए तो जो नाम सबके सामने आता है वो है सर अब्दुल कलाम जी का और वो भी इसलिए क्योंकि वो हमारे देश के राष्ट्रपति भी थे। पर क्या हम सब सर विक्रम साराभाई को जानते हैं ? हो सकता है कि कुछ लोग बोलें - हां। पर जब पूछा जाएगा कि किस स्पेशल वर्क के लिए उन्हे जाना जाता है तो अधिकतर लोग चुप हो जाएंगे। वैसे ही, शायद ही आप डॉक्टर ऋतु कारीधाल श्रीवास्तव को जानते होंगे, शायद ही नंदिनी हरिनाथ को जानते होंगे, शायद ही आप सुब्बैया अरूणन को पहचानते होंगे। इस फिल्म के बनने से पहले शायद ही आप श्री नम्बी नारायणन को जानते होंगे !!!


         ......पर समय आ गया है कि हम सभी हिंदुस्तानी🇮🇳 खुद भी ऐसी फिल्में देखें और अपने बच्चों और दोस्तों को भी दिखाएं जिससे हमें मालूम चल सके कि हमारे देश के वैज्ञानिक कितने होनहार थे और हैं। किस तरह हमारे वैज्ञानिकों ने जिनके पास रिसोर्स की कमी थी पर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने स्वार्थ को किनारे कर अपने देश का सम्मान बढ़ाने के लिए, दिन-रात मेहनत किये और वो सबकुछ कर दिखाया जिसे हमारे देश को जरूरत थी। सलाम🙏 है अपने देश के सभी वैज्ञानिकों को।


       रॉकेट्री, द नम्बि इफेक्ट फिल्म नंबी नारायणन की जीवनी है जो ISRO में वैज्ञानिक थे और जिन्होंने विश्व प्रसिद्ध विकास इंजन का आविष्कार किया। अपने सैनिक अगर देशभक्त कहे जाते हैं तो हमारे वैज्ञानिक भी देशभक्ति में किसी से कम नहीं। नंबी नारायणन को अमेरिकन स्पेस एजेंसी (NASA) का ऑफर मिला था जो इसरो की सैलरी का करीब दस गुना था पर देश के बारे में सोचने वाले पैसों से कहां बिकते हैं। ऑफर ठुकराकर देश के लिए विभिन्न प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहने वाले नारायणन, अब्दुल कलाम और विक्रम साराभाई के चहेते थे।


        जब कोई सफल होते जाता है तो ईर्ष्या करने वाले भी बढ़ते जाते हैं। किसी की सफलता को खुश होकर एक्सेप्ट करना या सेलिब्रेट करना इंसानों के बस की बात कहां !!! सीक्रेट्स बेचने के एक फर्जी आरोप में नारायणन को गिरफ्तार कर लिया गया और बहुत प्रताड़ित किया गया। निर्दोष साबित होने में उन्हें 24 साल लग गए। नारायणन के ऊपर लगे देशद्रोह के आरोप ने इस प्रतिभावान वैज्ञानिक को तोड़ दिया और उनका पूरा परिवार बिखर गया। इस फर्जी आरोप के चलते हमारा स्पेस मिशन 12 वर्ष पिछड़ गया नहीं तो शायद उसी समय हम अमेरिका को टक्कर देते रहते।


      फिल्म में नारायणन सर का रोल माधवन ने बेहतरीन तरीके से निभाया है। इसके लिए उन्हें दस में दस 10/10 प्वाइंट मिलेंगे। सभी कलाकारों के काम की जितनी तारीफ करें उतनी कम। फिल्म में देशभक्ति है, परिवार है, प्यार है, विज्ञान है और हां छल है और फिर इमोशन है। कहानी सच है और एक्टिंग जोरदार है इसलिए बहुत से सीन आपको झकझोर देंगे, रोने पर मजबूर कर देंगे। यहां हम एक दृश्य का जिक्र करना चाहेंगे जिसमे नंबी नारायणन अपनी पत्नी को डॉक्टर से दिखा कर क्लिनिक से बाहर निकलते हैं तभी बारिश होने लगती है एक ऑटो में वो जैसे बैठते हैं उसके बाद उन्हें जबरदस्ती ऑटो से बाहर निकाल दिया जाता हैं क्योंकि उन पर देशद्रोह का मुकदमा लग गया था। इस दृश्य को बहुत ही बेहतरीन ढंग से फ़िल्माया गया हैं।


     वैसे, अभी तक मैने हमेशा देखा हैं कि अच्छे लोगों के साथ बहुत बुरा होता है इसलिए बहुत अच्छा तो कभी नहीं बनना चाहिए क्योंकि जब बुरा होता है तो कोई साथ नहीं देता है। फिल्म के एक दृश्य में CBI का अधिकारी उनसे पूछते है कि जब आप निर्दोष हैं तो आपके विभाग से अभी तक कोई मिलने क्यों नहीं आया ?


     ये फिल्म सभी हिंदुस्तानियों को देखनी चाहिए और हो सके तो सिनेमा हॉल में। ना इसमें हिंसा है, ना इसमें अश्लीलता है, ना इसमें धर्म युद्ध है और ना ही जातिवाद है, बस देशभक्ति है। 


     इसलिए, इस फिल्म को बढ़ाइए। ऐसी फिल्में खूब बननी चाहिए ताकि हम सब अपने देश और वैज्ञानिकों और उनके संघर्ष और देशहित में किए गए काम को जान सकें।


       ....तो सोचना क्या है, फ़िल्म देख कर आइए और हां Review कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा। जय हिंद 🇮🇳 


विश्वजीत कुमार✍️