बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

प्राचीन भारत (पाषाण काल)

 

पाषाण काल
  • पाषाण काल को तीन भागों में बाँटा गया है:- पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल तथा नवपाषाण काल। 
  • पुरापाषाण काल में मनुष्य की जीविका का मुख्य आधार शिकार था। इस काल को आखेटक तथा खाद्य-संग्राहक काल भी कहा जाता है।
  • लगभग 36,000 ई.पू. में आधुनिक मानव पहली बार अस्तित्व में आया। आधुनिक मानव को 'होमो-सेपियन्स (Homo-Sapiens) भी कहा जाता है।
  • मानव द्वारा प्रथम पालतू पशु कुत्ता था, जिसे मध्यपाषाण काल में पालतू बनाया गया।
  • आग की जानकारी मानव को पुरापाषाण काल से ही थी, किन्तु इसका प्रयोग नवपाषाण काल से प्रारम्भ हुआ था।
  • नवपाषाण काल से मानव ने कृषि कार्य प्रारम्भ किया, जिससे उसमे स्थायी निवास की प्रवृत्ति विकसित हुई।
  • भारत में पाषाणकालीन सभ्यता का अनुसन्धान सर्वप्रथम रॉबर्ट बूस फुट ने 1863 ई . में प्रारम्भ किया।
  • भारत में व्यवस्थित कृषि का पहला साक्ष्य मेहरगढ़ (बलूचिस्तान ,पाकिस्तान में पुरातात्विक स्थल) से प्राप्त हुआ है।
  • बिहार के चिरांद (छपरा से ११ किलोमीटर दक्षिण पूर्व में डोरीगंज बाजार के निकट स्थित चिरांद सारण जिला का सबसे महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल है।) नामक  स्थल से नवपाषाण कालीन हड्डी  के औजार मिले हैं।
  • पाषाण काल के तीनों चरणों का साक्ष्य-बेलन घाटी इलाहाबाद से प्राप्त हुआ है।   
  • औजारों में प्रयुक्त की जाने वाली पहली धातु ताँबा थी तथा इस धातु का ज्ञान मनुष्य को सर्वप्रथम हुआ। 
  • लगभग 8000 ई. पू. चावल की खेती का प्राचीनतम साक्ष्य लोहार देवा या लहुरा देवा (सन्त कबीर नगर), उत्तर प्रदेश से पाया गया है।
  • पहिये का आविष्कार नवपाषाणकाल में हुआ।

   

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