मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020

गिरिहिंडा पहाड़, जिस पर महाभारत काल में भीम की पत्नी राक्षसी हिडिम्भा का निवास स्थान था। शेखपुरा, बिहार।


 

 CLICK HERE 

 




     गिरिहिंडा पहाड़ शेखपुरा जिले की एक पहचान है। यह पहाड़ करीब 800 फीट ऊंचा है। पहाड़ की चोटी पर स्थित है शिव-पार्वती मंदिर। जिसे बाबा कामेश्वर नाथ मंदिर के नाम से भी स्थानीय लोगों के द्वारा जाना जाता है। 

        इस मंदिर के मुख्य पुजारी श्री मिथिलेश पांडे के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण द्वापर युग में महाभारत काल के समय हुआ था। महाभारत काल में हिडिम्भा नाम की एक दानवी इसी गिरिहिंडा पहाड़ के शिखर पर रहती थी।

  
        पांडव पुत्रों को जब निर्वासन काल सहना पड़ा तो गदाधारी भीम अपने चार भाइयों एवं माता कुंती के साथ कुछ वक्त के लिए इसी गिरिहींडा के पहाड़ पर ठहरे थे। इस दौरान उन्होंने हिडिंभा के साथ गंधर्व विवाह भी किया जिससे घटोतकच्छ नामक राक्षस पैदा हुआ था। मान्यता के मुताबिक गदाधारी भीम ने ही गिरिहींडा के पहाड़ पर इस शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसके बाद भगवान शिव के आदेश के बाद विश्वकर्मा जी ने रातों-रात इस मंदिर का निर्माण कराया। जो बाद में शिव-पार्वती मंदिर के नाम से जाने जाने लगा वर्तमान में यह मंदिर बाबा कामेश्वर नाथ मंदिर के रूप में भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। 


           इस मंदिर के कर्ताधर्ता श्री रामप्रवेश दास के अनुसार, शेखपुरा जिले के चहुवारा में एक बहुआरा बस्ती है वहां के निवासी कामेश्वरी लाल थे। उन्होंने ही सबसे पहले लगभग 200-250 साल पहले इस शिवलिंग को इस पहाड़ी पर देखा एवं उसे वह यहां से उठाकर अपने घर ले जाना चाहते थे। इसीलिए वह इसकी खुदाई करना शुरू किए लेकिन दिन-भर के कार्य के बाद भी वह शिवलिंग को निकाल नहीं पाए इसके उपरांत पुनः वह अगले दिन भी यही कार्य के लिए सुबह जैसे पहाड़ पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि जो गड्ढा उन्होंने कल खोद रखा था वह यथावत भरा हुआ है यानी ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई कार्य वहां हुआ ही नहीं हो। 

 
       उन्होंने पुनः प्रयास किया लेकिन परिणाम असफल रहा। कई दिनों तक वह लगातार प्रयास करते रहे दिन-भर शिवलिंग को निकालने के लिए गड्ढा खोदते और सुबह वह गड्ढा पुनः भरा मिलता। एक दिन वह अपने साथ 20-30 मजदूरों को लेकर आए और शिवलिंग को निकालने का प्रयास किया लेकिन सभी असफल रहे। अंतत: उन्होंने हार मानकर शिवजी से माफी मांगी और उनकी पूजा अर्चना की। तभी से उन्हीं के नाम यानी कामेश्वरी लाल से कामेश्वर नाथ मंदिर के नाम से यह मंदिर विश्व विख्यात है।


    
        इस लेख में प्रयुक्त सारे फोटोग्राफ विश्वजीत वर्मा के द्वारा गिरीहिंदा की पहाड़ी, शेखपुरा बिहार पर से खींचे गए हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें