बुधवार, 26 अगस्त 2020

आधुनिक कला शैली {Modern Art}


आधुनिक कला शैली B.Ed.1st Year. EPC-2 Unit-2. Munger University, Munger. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=d3UzasnWncI

   पुराने या आज-कल से पहले की शैलियों की पुनरावृति से भिन्न, विशेष पद्धति द्वारा बनाई गई कला शैली आधुनिक कला शैली कहलाती है। अभी की आधुनिक शैली भविष्य में एक शैली बन जाएगी और उस समय की विशिष्ट पद्धति आधुनिक कला शैली के नाम से पुकारी जाएगी। अजंता की कला शैली उसके निर्माण काल में आधुनिक कला शैली के रूप में ही थी। परंतु आज वह हमारे सामने अजंता शैली के नाम से विख्यात है।

      घटनाओं के तंतुजाल (Plexus) को कथावस्तु कहते हैं। (घटित घटनाओं का नाटकीय रूप में अंकन कथा कहलाता है) कथावस्तु या कथानक कहानी का मुख्य ढांचा होता है पहले की कला का आधार कहानी ही होता था परन्तु आजकल की कला का संबंध आंतरिक भावों की सूक्ष्म अभिव्यंजना अधिक होती है। आधुनिक कला को देखकर कभी कभी कुछ लोगों को कुछ समझ में नहीं आता हैं। इसका कारण स्पष्ट है कि व्यक्ति कलाकार के मन के भावों को समझ नहीं पा रहा होता है लेकिन जैसे ही कोई दर्शक चित्रकार के मनोभाव को समझते हुए चित्र देखना शुरु करता है उसकी सारी भ्रांतियां दूर हो जाती है और वह चित्र में छुपे हुए रहस्य को समझ सकता है।

भारत में आधुनिक कला की शुरुआत

        विशुद्ध भारतीय जीवन-दर्शन को साकार करने का सर्वप्रथम प्रयाश बंगाल स्कूल के चित्रकार अवनींद्र नाथ ठाकुर के द्वारा किया गया। अवनींद्र नाथ ठाकुर ने भारतीय कला क्षेत्र में नवीन विचारधारा को जन्म दिया। उन्होंने कहा है कि एक भारतीय कलाकार को पाश्चात्य कला की मृगतृष्णा एवं अंधानुकरण के पीछे दौड़ना निरर्थक है। अपनी परंपरागत कला अजंता, एलोरा, राजपूत, मुगल तथा पहाड़ी लघु चित्र शैली को आदर्श मानकर एवं उनका अध्ययन करके समकालीन विषयों का चित्रण करना चाहिए। जिससे उनकी कला में स्वाभाविकता के साथ भारतीय जीवन दर्शन की सत्य अनुभूति प्रकट हो सकती है। हॉवेल के विचारों से प्रेरणा पाकर अवनीन्द्रनाथ ने परंपरागत नियमों, रेखाओं की लयात्मकता, रंगों की मोहकता तथा उनकी विभिन्न शैलियों की प्रमुख विशेषताओं का गहन अध्ययन किया। 1902 ई० में जापानी कलाकार हिसिदा ताइकान कलकता आये। इन्हीं की प्रेरणा से अवनींद्र नाथ  ने चीन एवं जापानी आधार की Wash(प्रक्षालन)/धोना पद्धति की कोमल रंग संगती को अपनाया। भारतीय एवं जापानी शैलियों के सम्मिश्रण से एक नवीन कला शैली विकसित हुई जिसे हम "बंगाल शैली" या "पुनरुत्थान शैली" या फिर "आधुनिक कला शैली" कहते हैं।

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