शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

भारतीय चित्रकला (Indian Painting)


भारतीय चित्रकला, भाग -01. B.Ed.1st Year. EPC-2 Unit-2. Munger University, Munger. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=-z9voxc4ZCo

भारतीय चित्रकला, भाग-02 EPC-2, Unit-2. B.Ed.1st Year. Munger University, Munger. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=G04WVBQQSYg&list=PL9TVIXFOxWRqATIFwPJ605KEpILBq13Pk&index=81

        सौंदर्य को व्यक्त करने के विभिन्न माध्यमों का प्रयोग मानव पीढ़ी-दर-पीढ़ी करता चला आया है और इस माध्यम में कला एक सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। कला की प्रस्तुतिकरण के क्षेत्र में भारत अत्यंत समृद्ध एवं वैभवशाली रहा है।
       भारत कला संस्कृति की दृष्टि से न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष छवि बनाए हुए हैं। देश को विरासत में मिली साहित्यिक, पुरातात्विक, लोक संस्कृति एवं कलाओं को अधिक प्रभावी एवं सामान्य जन तक पहुंचाने तथा उन्हें जीवंत बनाए रखने की स्वतंत्रता को बरकरार रखने में कला एवं संस्कृति विभाग का भी बहुत बड़ा योगदान है।
भारतीय चित्रकला की विशेषताएं: 
       यह सर्वविदित है कि भारतीय चित्रकला अन्य देशों की कलाओं से भिन्न है और भारतीय कलाओं की कुछ ऐसी महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जो अन्य देशों की कला से इसे अलग कर देती है। ये विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
  • धार्मिकता एवं आध्यात्मिकता:-  विश्व की सभी कलाओं का जन्म धर्म के साथ ही हुआ है। कला के उद्भव में धर्म का बहुत बड़ा योगदान है। धर्म ने ही कला के माध्यम से अपनी धार्मिक मान्यताओं को जन-जन तक पहुंचाया है। भारतीय कला का स्वरूप भी मुख्यत: धर्म प्रधान ही है।
  • अंत: प्रकृति से अंकन:- भारतीय चित्रकला में मनुष्य के स्वभाव या अंतः करण को गहराई तथा पूर्णता से दिखाने का महत्व हैं। अजंता की चित्रावलियों में जंगल, पर्वत, प्रकृति, सरोवर, रंगमहल तथा कथा के पात्र सभी को एक साथ एक ही दृश्य में दिखाया गया है। इसी प्रकार अजंता की गुफाओं में पद्मपाणि के चित्र में कुछ ही रेखाओं के द्वारा गौतम बुद्ध के विचार मुद्रा का जो अंकन हुआ है, वह दर्शनीय हैं।
  • कल्पना (Imagination):-  कल्पना, भारतीय चित्रकला की प्रमुख विशेषता हैं। वह उसके आधार पर ही पली-बढ़ी। अतः उसमें आदर्शवादीता का उचित स्थान है। ऐसे भी भारतीय कलाकारों का मन यर्थाथ की अपेक्षा कल्पना में अधिक रमा । कल्पना का सर्वश्रेष्ठ रूप ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में दिखाई देती है। उदाहरण स्वरूप:-  बुद्ध की जन्म जन्मांतर की कथाएं कल्पना प्रस्तुत ही तो है।
  • प्रतीकात्मकता (Symbolic)  भारतीय कला की एक विशेषता उसकी प्रतीकात्मकता में निहित हैं। प्रतीक कला की भाषा होती है। सांकेतिक एवं कलात्मक दोनों प्रतीकों का सर्वाधिक महत्व है।
  • आदर्शवादीता (Idealism):-  भारतीय चित्रकार यथार्थ की अपेक्षा आदर्श में ही विचरण करते हैं। वह संसार में जैसा देखते हैं वैसा चित्रण न करके जैसा होना चाहिए वैसा चित्रण करते हैं।
Eg.- एक महान राजा को कलाकार आदर्श राजा के रूप में ही चित्रित करते हैं ठीक उसी प्रकार भगवान बुद्ध ज्ञान देने वाले के रूप में आदर्श बन गए हैं।
  • मुद्राएं, हाव-भाव (Expression):- भारतीय चित्रकला, मूर्तिकला एवं नृत्य कला में मुद्राओं को अत्यधिक महत्व दिया गया है। आकृति की रचना कलाकार ने यथार्थ की अपेक्षा भाव अथवा गुण के आधार पर ही की है। 
               भरतमुनि के नाट्यशास्त्र के अभिनय प्रकरण में अंगों तथा उपांगो के अलग-अलग प्रयोगों द्वारा अनेक मुद्राओं का अवतरण किया गया है।
उदाहरण स्वरुप:-  ध्यान, विचार, संकेत, उपदेश, क्रोध, प्रेम, इत्यादि। मानवीय भावों को बड़ी ही स्वाभाविक रूप में दर्शाया गया है। अजंता चित्र शैली में दर्शित आकृतियां अपनी भावपूर्ण नृत्य मुद्राओं के कारण संसार भर में प्रसिद्ध हैं। इसी प्रकार मुगल, राजपूत शैलियों में भी बहुत ही सुंदर भावरूप का समावेश हुआ है।
  • रेखा तथा रंग (Line and Colour):- भारतीय चित्रकला रेखा प्रधान हैं। उसमें गति है। रेखाओं द्वारा वाह्य सौंदर्य के साथ-साथ गंभीर भाव भी कलाकारो ने चित्रों में बड़ी ही कुशलता से दर्शाए हैं। आकृतियों में सपाट रंग का प्रयोग किया गया है।
  • अलंकारिकता (Ornamentation):-  भारतीय कला में अलंकरण का अत्यधिक महत्व है क्योंकि भारतीय कलाकारों ने सत्यम शिवम के साथ सुंदरम  की भी कल्पना की है और इसीलिए सुंदर तथा आदर्श रूप के लिए वह अलंकरणो का अपनी चित्र रचना में प्रयोग करता है।
जैसे:-  मुगलकालीन चित्र शैलियों में हाशियों में फूल-पत्तियों, पशु-पक्षियों का अलंकरण देखने को मिलता है। इसके अलावा अजंता की गुफाओं में अलंकृत चित्रावालिया मिलती है जिसमें छतो में अलंकरण प्रमुख है।
  • कलाकारों के नाम (Artist Name):-  प्राचीन काल के कलाकारों ने अपनी कृतियों में नाम अंकित नहीं किए हैं। किंतु राजस्थानी चित्र शैली में कहीं-कहीं कलाकार द्वारा चित्रित चित्र पर कलाकार का नाम अंकित किया हुआ मिलता है। मुगल शैली में तो चित्रों में कलाकार के नाम के साथ साथ-साथ चित्र में रंग किसने भरे हैं? रेखांकन किसने किया है? इत्यादि। तक लिखे हुए मिलते हैं।
  • साहित्य पर आधारित (Based on Literature):- भारतीय चित्रकला साहित्य पर भी आश्रित रही। चित्रकारों ने काव्य में वर्णित साहित्य/कथा के अनुरूप ही चित्रों का निर्माण किया।
  • सामान्य पात्र (Common Character):- भारतीय कला में सामान्य पात्र विधान परंपरागत रूप में विकसित हुआ है जबकि पाश्चात्य कला में व्यक्ति विशिष्ट का महत्व है।

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