ईद का पायजामा
एक आदमी ने जो डांटा दर्जी की जात को,
कुर्ता-पायजामा आ ही गया चांद रात🌙 को।
देखा पहन कर जब उसे कुर्ता तो ठीक था,
पायजामे पर लगा उन्हें कुछ तीन इंच बड़ा।
बेगम से बोले आज मेरा यह काम करो,
तीन इंच काट कर फिर ठीक से इसे सील दो।
बेगम बोली देखिए फुर्सत कहां मुझे,
कल ईद है और आज बड़ा काम है सर पें।
बेटी जो बड़ी सामने से आई तो उससे कहां,
मेहंदी का मगर उसने बहाना बता दिया।
यूं चार बेटियों से जब बात ना बनी,
करते भी क्या किसी से भी उम्मीद ना रही।
खुद ही पायजामा काटकर सिल दिया उसे,
फिर वह ज़नाब बेफिक्र की नींद सो गए।
बेगम बेचारी काम से फारील हुई जरा,
पायजामे की सिलाई का तब ध्यान आ गया।
नाराज ना हो जाए मियां किसी भी बात पर,
पायजामा ठीक कर दिया नीचे से काटकर।
धोया जो बड़ी बेटी ने मेहंदी भरे वो हाथ,
पायजामा छोटा कर दिया फिर खुश दिल्ली😊 के साथ।
जिस-जिस को जब भी वक्त मिला,
सबने पायजामा छोटा करके वही रख दिए।
यूं रात भर सभी थे, पायजामे पर मेहरबान!!!
कहता भी क्या,
वह किसी से मासूम बेजुबान।
पायजामे की थी सुबह में हालत अजीब सी,
कुर्ते पर थी एक सफेद चड्डी रखी हुई।
साभार - सोशल मीडिया
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