हो जख्म दिल❤️ में लाख मगर मुस्कुराना😊 चाहिए।
आंसू🥲 भी अगर आ जाएँ तो छुपाना चाहिए ।।
कितना भी गम हो, दर्द हो, इस जिंदगी में पर।
अफसुर्दगी चेहरे🙂 में नहीं आना चाहिए ।।
अपना तजुर्बा मैं बताता हूं, सभी सुनो।
बिन सोचे समझे दिल❤️ नहीं लगाना चाहिए ।।
गम का खजाना दिल के तहखाने में कुछ यूँ रखो।
वो सामने दुनिया के, नहीं आना चाहिए ।।
जब दर्द हद से बढ़ जाए छुपकर के रो लेना ।
कुछ जख्म❤️🩹 दिल के दिल💞 में ही दफनाना चाहिए ।।
जिस दिल💝 में वर्षों से, मैं रोज आता जाता हूँ।
अब मुझको भी लगता है वहां नहीं जाना चाहिए ।।
शायद!!! वह अब हो चुका है इख्तियार गैर का।
अब मुझको उनपे हक नहीं जताना चाहिए ।।
गजल में प्रयुक्त कुछ शब्दों के अर्थ -
अफसुर्दगी - अफ़्सुर्दगी शब्द के कई अर्थ होते हैं:- मलिनता, खिन्नता, उदासीनता, ठिठरापन, बेरौनक़ी, शोभाहीनता, उदासी, कुम्लाहट.
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